नई दिल्ली
अपने बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए मां-बाप के त्याग की कई कहानियां हमने सुनी होंगी। ऐसी ही एक अनोखी कहानी है 15 वर्षीय टेबल टेनिस खिलाड़ी आदर्श ओम छेत्री की। आदर्श के पिता आनंद ने उन्हें खिलाड़ी बनाने के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। अच्छी ट्रेनिंग दिलाने के लिए वह मेघालय से दिल्ली आ गए। बेटे को अच्छी सुविधा मिले और किसी तरह की दिक्कत ना हो इसके लिए आदर्श के पैरंट्स उसी की अकैडमी में नौकरी करने लगे। आज आदर्श नैशनल के साथ ही इंटरनैशनल स्तर पर भी अपनी पहचान बनाने लगा है।
यूं शुरू हुआ सफर
आदर्श ने 9 साल की उम्र में अपने राज्य मेघालय का नैशनल में प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद उनका एडमिशन पेट्रोलियम स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड, अजमेर में हो गया। महज 9-10 महीने के बाद ही उसे वहां से यह कहकर निकाल दिया गया कि अच्छा नहीं कर पा रहा है। आदर्श के पैरंट्स ने हिम्मत नहीं हारी और उसे लेकर दिल्ली आ गए। यहां अंशुल गर्ग अकैडमी में एडमिशन करवाया। बच्चे को उनकी याद न सताए, इसलिए सरकारी नौकरी और घर-बार छोड़कर मेघालय से दिल्ली शिफ्ट हो गए। कुछ दिन कहीं और काम किया लेकिन बाद में अकैडमी में ही नौकरी शुरू कर दी। पिता अकैडमी में केयरटेकर हैं जबकि मां रीता किचन का काम संभालती हैं।
यह साल रहा शानदार
आदर्श ने इस साल दिल्ली का प्रतिनिधित्व करते हुए धर्मशाला में सब जूनियर सिंगल्स में गोल्ड जीता। जम्मू में आयोजित जूनियर और यूथ नैशनल चैंपियनशिप में जूनियर बॉयज टीम इवेंट, जूनियर बॉयज डबल्स और यूथ बॉयज टीम इवेंट में गोल्ड जीता। खेल इंडिया यूथ गेम्स में भी ब्रॉन्ज अपने किया जबकि इसी साल वह मंगोलिया में आयोजित एशियन जूनियर अंडर-15 चैंपियनशिप के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे। उन्होंने दुनिया के चौथे-छठे नंबर के खिलाड़ी को हराया।
आदर्श को अपने पैरंट्स के त्याग पर नाज है। एनबीटी से बातचीत में उन्होंने बताया, ‘मेरे पापा ने मेरे लिए अपना घर-बार और सरकारी नौकरी तक छोड़ दी। मैं अब खेल में अच्छा करना लगा हूं और मुझे कुछ-कुछ पैसे भी मिलने लगे हैं। अकैडमी में सर ने मुझसे दो साल तक कोई फीस नहीं ली। लेकिन, अब मुझे प्राइजमनी मिलने लगी हैं तो मैं सर को कभी-कभी फीस भी दे देता हूं।
अपने बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए मां-बाप के त्याग की कई कहानियां हमने सुनी होंगी। ऐसी ही एक अनोखी कहानी है 15 वर्षीय टेबल टेनिस खिलाड़ी आदर्श ओम छेत्री की। आदर्श के पिता आनंद ने उन्हें खिलाड़ी बनाने के लिए अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। अच्छी ट्रेनिंग दिलाने के लिए वह मेघालय से दिल्ली आ गए। बेटे को अच्छी सुविधा मिले और किसी तरह की दिक्कत ना हो इसके लिए आदर्श के पैरंट्स उसी की अकैडमी में नौकरी करने लगे। आज आदर्श नैशनल के साथ ही इंटरनैशनल स्तर पर भी अपनी पहचान बनाने लगा है।
यूं शुरू हुआ सफर
आदर्श ने 9 साल की उम्र में अपने राज्य मेघालय का नैशनल में प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद उनका एडमिशन पेट्रोलियम स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड, अजमेर में हो गया। महज 9-10 महीने के बाद ही उसे वहां से यह कहकर निकाल दिया गया कि अच्छा नहीं कर पा रहा है। आदर्श के पैरंट्स ने हिम्मत नहीं हारी और उसे लेकर दिल्ली आ गए। यहां अंशुल गर्ग अकैडमी में एडमिशन करवाया। बच्चे को उनकी याद न सताए, इसलिए सरकारी नौकरी और घर-बार छोड़कर मेघालय से दिल्ली शिफ्ट हो गए। कुछ दिन कहीं और काम किया लेकिन बाद में अकैडमी में ही नौकरी शुरू कर दी। पिता अकैडमी में केयरटेकर हैं जबकि मां रीता किचन का काम संभालती हैं।
यह साल रहा शानदार
आदर्श ने इस साल दिल्ली का प्रतिनिधित्व करते हुए धर्मशाला में सब जूनियर सिंगल्स में गोल्ड जीता। जम्मू में आयोजित जूनियर और यूथ नैशनल चैंपियनशिप में जूनियर बॉयज टीम इवेंट, जूनियर बॉयज डबल्स और यूथ बॉयज टीम इवेंट में गोल्ड जीता। खेल इंडिया यूथ गेम्स में भी ब्रॉन्ज अपने किया जबकि इसी साल वह मंगोलिया में आयोजित एशियन जूनियर अंडर-15 चैंपियनशिप के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे। उन्होंने दुनिया के चौथे-छठे नंबर के खिलाड़ी को हराया।
आदर्श को अपने पैरंट्स के त्याग पर नाज है। एनबीटी से बातचीत में उन्होंने बताया, ‘मेरे पापा ने मेरे लिए अपना घर-बार और सरकारी नौकरी तक छोड़ दी। मैं अब खेल में अच्छा करना लगा हूं और मुझे कुछ-कुछ पैसे भी मिलने लगे हैं। अकैडमी में सर ने मुझसे दो साल तक कोई फीस नहीं ली। लेकिन, अब मुझे प्राइजमनी मिलने लगी हैं तो मैं सर को कभी-कभी फीस भी दे देता हूं।
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