बस का पिछला चक्का अनीता के शरीर के ऊपर से गुजर गया।जिंदगी में तूफान मच गया और फिर निराशा से खुद को निकाल कर नई तकदीर लिख दी। अब दूसरों को भी जीने का राह दिखा रही हैं।
Read more: जब बंद हो गए सारे दरवाजे तब जीने का सलीका ही बदल कर अनिता ने लिख दी नई तकदीर