नई दिल्ली
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में गार्ड की नौकरी करते हुए इसी साल जब राजस्थान के रामजल मीणा ने यूनिवर्सिटी का एंट्रेंस एग्जाम क्रैक किया, तो वह एक मिसाल बन गए। ‘सबके लिए बढ़िया और सस्ती पढ़ाई’… जेएनयू की इसी खूबी के वो मुरीद हुए थे। जमकर मेहनत की और बीए रशियन स्टडीज के स्टूडेंट बनें मगर अब इसी यूनिवर्सिटी की बढ़ी फीस उनके लिए अड़ंगा बन गई है।
सतलज हॉस्टल, रूम नंबर 212 के स्टूडेंट रामजल अब हॉस्टल छोड़ने पर मजबूर हैं। पढ़ाई के लिए नौकरी छोड़ चुके मीणा हर महीने 7-8 हजार रुपये की हॉस्टल फीस नहीं दे सकते। वह कहते हैं, पूरा पीएफ निकाल चुका हूं, अगले साल से मुश्किलें और बढ़ेंगी। इन दिनों बस यही सोच रहा हूं कि पढ़ाई कैसे जारी रखूं।
रामजल मीणा 2014 में जेएनयू में बतौर सिक्यॉरिटी गार्ड तैनात हुए और जेएनयू का आजाद माहौल इतना जंचा कि 2019-20 का एंट्रेंस पास कर इसी कैंपस के स्टूडेंट बन गए। पढ़ने में दिलचस्पी इतनी थी कि मजदूरी कर, घर की हर जिम्मेदारी निभाते हुए, ठहर-ठहर कर पढ़ाई की। मगर अब सतलज हॉस्टल का यह स्टूडेंट हॉस्टल की बढ़ी फीस से परेशान हैं। वह बताते हैं, रशियन लैंग्वेज मेरे लिए बिल्कुल नई थी। इसे चुना इसलिए था क्योंकि रूस के बारे अखबार में बहुत पढ़ा था।
रात की ड्यूटी के बाद, नींद एक और दिक्कत बन रही थी, तो यह सोचकर अक्टूबर में जॉब छोड़ दी कि फर्स्ट इयर के बाद काम करूंगा। पांच साल का 50 हजार रुपये का सारा पीएफ निकलवा दिया, अब अप्रैल-मई तक खर्च मेरे पास है। 34 साल के रामजल ने पत्नी, तीन बच्चों को मुनीरका में छोटे से कमरे में 5 हजार रुपये किराए में रखा है, कमरे के अंदर ही किचन-बाथरूम है। गांव में माता-पिता का जिम्मा भी है। रामजल कहते हैं कि पढ़ाई के लिए ही हॉस्टल चुना। यहां माहौल है, साथी लोग भी मदद कर देते हैं, लाइब्रेरी भी जा सकता हूं।
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में गार्ड की नौकरी करते हुए इसी साल जब राजस्थान के रामजल मीणा ने यूनिवर्सिटी का एंट्रेंस एग्जाम क्रैक किया, तो वह एक मिसाल बन गए। ‘सबके लिए बढ़िया और सस्ती पढ़ाई’… जेएनयू की इसी खूबी के वो मुरीद हुए थे। जमकर मेहनत की और बीए रशियन स्टडीज के स्टूडेंट बनें मगर अब इसी यूनिवर्सिटी की बढ़ी फीस उनके लिए अड़ंगा बन गई है।
सतलज हॉस्टल, रूम नंबर 212 के स्टूडेंट रामजल अब हॉस्टल छोड़ने पर मजबूर हैं। पढ़ाई के लिए नौकरी छोड़ चुके मीणा हर महीने 7-8 हजार रुपये की हॉस्टल फीस नहीं दे सकते। वह कहते हैं, पूरा पीएफ निकाल चुका हूं, अगले साल से मुश्किलें और बढ़ेंगी। इन दिनों बस यही सोच रहा हूं कि पढ़ाई कैसे जारी रखूं।
रामजल मीणा 2014 में जेएनयू में बतौर सिक्यॉरिटी गार्ड तैनात हुए और जेएनयू का आजाद माहौल इतना जंचा कि 2019-20 का एंट्रेंस पास कर इसी कैंपस के स्टूडेंट बन गए। पढ़ने में दिलचस्पी इतनी थी कि मजदूरी कर, घर की हर जिम्मेदारी निभाते हुए, ठहर-ठहर कर पढ़ाई की। मगर अब सतलज हॉस्टल का यह स्टूडेंट हॉस्टल की बढ़ी फीस से परेशान हैं। वह बताते हैं, रशियन लैंग्वेज मेरे लिए बिल्कुल नई थी। इसे चुना इसलिए था क्योंकि रूस के बारे अखबार में बहुत पढ़ा था।
रात की ड्यूटी के बाद, नींद एक और दिक्कत बन रही थी, तो यह सोचकर अक्टूबर में जॉब छोड़ दी कि फर्स्ट इयर के बाद काम करूंगा। पांच साल का 50 हजार रुपये का सारा पीएफ निकलवा दिया, अब अप्रैल-मई तक खर्च मेरे पास है। 34 साल के रामजल ने पत्नी, तीन बच्चों को मुनीरका में छोटे से कमरे में 5 हजार रुपये किराए में रखा है, कमरे के अंदर ही किचन-बाथरूम है। गांव में माता-पिता का जिम्मा भी है। रामजल कहते हैं कि पढ़ाई के लिए ही हॉस्टल चुना। यहां माहौल है, साथी लोग भी मदद कर देते हैं, लाइब्रेरी भी जा सकता हूं।
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