नई दिल्ली
तीस हजारी कोर्ट में शनिवार का दिन शुरुआत में बेहद आम था। वकील, पुलिस, जज सब अपने कामों में लगे थे कि अचानक एक छोटे से झगड़े ने विकराल रूप ले लिया। देखते ही देखते पूरा माहौल बिगड़ गया। वकीलों और पुलिसवालों के बीच हुई इस झड़प में हालात इतने बिगड़ गए कि वहां मौजूद कैदियों की भी जान पर बन आई। इस सबके बीच इन कैदियों को दिल्ली पुलिस के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर पवन ने बचाया या निकलने से रोका। अगर ऐसा नहीं होता तो स्थिति कहीं ज्यादा बिगड़ सकती थी।
दरअसल, आगजनी और तोड़फोड़ के बीच वकील कोर्ट परिसर में मौजूद लॉक-अप में घुसना चाहते थे। उनके साथ एक जज भी मौजूद थे। इन सबने उस अफवाह पर यकीन कर लिया था जिसमें वकील को खींचकर लॉकअप में बंद करने की बात कही गई थी।
पवन वहीं तैनात थे। वकीलों द्वारा दबाव बनाने पर भी उन्होंने ताला नहीं खोला। पवन लगातर कह रहे थे कि किसी वकील को लॉक-अप में नहीं रखा गया है। आखिर में जज को समझ आ गया और वह चले गए। लेकिन वकील वहीं अड़े रहे और अंदर जाने की हर संभव कोशिश करते रहे। मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक, यह सब बेहद डरावना था क्योंकि पुलिसवाले के सामने वकीलों की अच्छी खासी और गुस्साई भीड़ थी। घटना के बाद एडिशनल डीसीपी हरेंद्र सिंह ने यह भी कहा था कि वकील लॉक-अप में आग लगाकर उसे तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश में थे।
पवन ने मानों ठान रखा था कि इन कैदी जिसमें कई हिस्ट्रीशीटर भी थे उन्हें जेल तक पहुंचाकर ही दम लेंगे। इस बीच पवन लगातार दिल्ली पुलिस की तीसरी बटालियन में मौजूद अपने सीनियर्स के संपर्क में थे।
रेप आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर भी लॉक-अप में थे
हंगामे के बीच जिन कैदियों की जान खतरे में थी उसमें उन्नाव रेप केस के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर भी शामिल थे। इसके अलावा हाइ रिस्क कैटेगिरी के कैदी फिरोज और जावेद समेत 18 अंडरट्रायल महिला कैदी थीं।
पवन के साथ एएसआई कांता प्रसाद भी मौजूद थे। दोनों को अपने उस साथी की भी चिंता थी जिसे गुस्से से भरे ये वकील ढूंढ रहे थे। यह वही पुलिसवाला था जिससे वकीलों की बहस हुई थी।
पार्किंग पर शुरू हुआ विवाद
सारी बहस पार्किंग को लेकर थी। पुलिसवाले जिस वाहन में कैदियों को लेकर आए थे, उसकी जगह पर एक वकील ने अपनी जीप पार्क कर दी थी। युवा पुलिसवाले (जिसे वकील ढूंढ रहे थे) ने उनसे कार हटाने को कहा। इसपर ही बात बिगड़ती चली गई। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, उस युवा संतरी ने जीप मालिक वकील को हाथ तक नहीं लगाया था। बल्कि वकील ही आक्रमक हो रहे थे।
वकील को लॉक-अप में रखने की बात गलत
पुलिसवाले वकीलों के उस दावे को भी गलत बता रहे हैं कि जिसमें एक वकील को पकड़कर लॉकअप में बंद करने की बात कही गई थी। पुलिस का कहना है कि उनके पास सीसीटीवी फुटेज है, जिसमें दिख रहा है कि वकील को एसीपी के ऑफिस तक लाया गया था और लॉकअप वहां से काफी अंदर जाकर है।
पूरे विवाद पर इंस्पेक्टर रैंक के एक पुलिसवाले ने कहा, 'हमारे साथियों ने कुछ भी गलत नहीं किया है। उनके साहस और हिम्मत का परिचय दिखाकर स्थिति को संभाला। कैदियों को बचाया, आग को बुझाया। यह सब लगातार होते हमलों के बीच किया गया।' इंस्पेक्टर ने अपने सीनियर्स को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। बता दें कि फिलहाल पवन को सस्पेंड कर दिया गया है।
तीस हजारी कोर्ट में शनिवार का दिन शुरुआत में बेहद आम था। वकील, पुलिस, जज सब अपने कामों में लगे थे कि अचानक एक छोटे से झगड़े ने विकराल रूप ले लिया। देखते ही देखते पूरा माहौल बिगड़ गया। वकीलों और पुलिसवालों के बीच हुई इस झड़प में हालात इतने बिगड़ गए कि वहां मौजूद कैदियों की भी जान पर बन आई। इस सबके बीच इन कैदियों को दिल्ली पुलिस के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर पवन ने बचाया या निकलने से रोका। अगर ऐसा नहीं होता तो स्थिति कहीं ज्यादा बिगड़ सकती थी।
दरअसल, आगजनी और तोड़फोड़ के बीच वकील कोर्ट परिसर में मौजूद लॉक-अप में घुसना चाहते थे। उनके साथ एक जज भी मौजूद थे। इन सबने उस अफवाह पर यकीन कर लिया था जिसमें वकील को खींचकर लॉकअप में बंद करने की बात कही गई थी।
पवन वहीं तैनात थे। वकीलों द्वारा दबाव बनाने पर भी उन्होंने ताला नहीं खोला। पवन लगातर कह रहे थे कि किसी वकील को लॉक-अप में नहीं रखा गया है। आखिर में जज को समझ आ गया और वह चले गए। लेकिन वकील वहीं अड़े रहे और अंदर जाने की हर संभव कोशिश करते रहे। मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक, यह सब बेहद डरावना था क्योंकि पुलिसवाले के सामने वकीलों की अच्छी खासी और गुस्साई भीड़ थी। घटना के बाद एडिशनल डीसीपी हरेंद्र सिंह ने यह भी कहा था कि वकील लॉक-अप में आग लगाकर उसे तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश में थे।
पवन ने मानों ठान रखा था कि इन कैदी जिसमें कई हिस्ट्रीशीटर भी थे उन्हें जेल तक पहुंचाकर ही दम लेंगे। इस बीच पवन लगातार दिल्ली पुलिस की तीसरी बटालियन में मौजूद अपने सीनियर्स के संपर्क में थे।
रेप आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर भी लॉक-अप में थे
हंगामे के बीच जिन कैदियों की जान खतरे में थी उसमें उन्नाव रेप केस के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर भी शामिल थे। इसके अलावा हाइ रिस्क कैटेगिरी के कैदी फिरोज और जावेद समेत 18 अंडरट्रायल महिला कैदी थीं।
पवन के साथ एएसआई कांता प्रसाद भी मौजूद थे। दोनों को अपने उस साथी की भी चिंता थी जिसे गुस्से से भरे ये वकील ढूंढ रहे थे। यह वही पुलिसवाला था जिससे वकीलों की बहस हुई थी।
पार्किंग पर शुरू हुआ विवाद
सारी बहस पार्किंग को लेकर थी। पुलिसवाले जिस वाहन में कैदियों को लेकर आए थे, उसकी जगह पर एक वकील ने अपनी जीप पार्क कर दी थी। युवा पुलिसवाले (जिसे वकील ढूंढ रहे थे) ने उनसे कार हटाने को कहा। इसपर ही बात बिगड़ती चली गई। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, उस युवा संतरी ने जीप मालिक वकील को हाथ तक नहीं लगाया था। बल्कि वकील ही आक्रमक हो रहे थे।
वकील को लॉक-अप में रखने की बात गलत
पुलिसवाले वकीलों के उस दावे को भी गलत बता रहे हैं कि जिसमें एक वकील को पकड़कर लॉकअप में बंद करने की बात कही गई थी। पुलिस का कहना है कि उनके पास सीसीटीवी फुटेज है, जिसमें दिख रहा है कि वकील को एसीपी के ऑफिस तक लाया गया था और लॉकअप वहां से काफी अंदर जाकर है।
पूरे विवाद पर इंस्पेक्टर रैंक के एक पुलिसवाले ने कहा, 'हमारे साथियों ने कुछ भी गलत नहीं किया है। उनके साहस और हिम्मत का परिचय दिखाकर स्थिति को संभाला। कैदियों को बचाया, आग को बुझाया। यह सब लगातार होते हमलों के बीच किया गया।' इंस्पेक्टर ने अपने सीनियर्स को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। बता दें कि फिलहाल पवन को सस्पेंड कर दिया गया है।
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