नई दिल्ली
दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई इलाकों में एयर क्वॉलिटी बुधवार से बिगड़ सकती है और हफ्तेभर बाद स्थिति धीरे-धीरे बदतर होती जा सकती है। यह स्थिति ठंड का मौसम आने, दिवाली में पटाखे चलाए जाने, पंजाब हरियाणा में पराली जलाए जाने और मॉनसून सीजन की समाप्ति के बाद हवाओं की रफ्तार धीमी होने के चलते बन सकती है। मॉनसून सीजन लंबा हो जाने और तेज हवाएं चलने की वजह से हाल के हफ्तों में दिल्ली की हवा काफी साफ रही, जबकि आमतौर पर ऐसा नहीं होता है।
मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज के तहत आने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटरोलॉजी की एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग यूनिट के मुताबिक जल्द हालात बदलने वाले हैं। इसकी हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 'पिछले दो दिनों से तेज हवा चल रही थी, जिसकी रफ्तार अब घट सकती है। बुधवार को एयर क्वॉलिटी बिगड़कर मॉडरेट क्वॉलिटी के मध्य में आ सकती है।' उसने यह भी कहा है कि उत्तर भारत में हवा में नमी कम होने से भी दिल्ली की एयर क्वॉलिटी बिगड़ सकती है।
दुर्गा पूजा: यमुना में नहीं हुआ कोई मूर्ति विसर्जन
एक महीने लंबा खिंचा मॉनसून सीजन इसी हफ्ते खत्म हो सकता है। इससे भी उत्तर भारत की एयर क्वॉलिटी खराब हो सकती है। अब आसमान साफ रहेगा और हवा धीमे-धीमे बहेगी। मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक, 'हवा की गति कम रहने से उसमें प्रदूषणकारी कण मिलेंगे और उसकी गुणवत्ता खराब होगी। अगर एक्सटर्नल (पराली जलाए जाने) या इंटरनल (दिवाली में पटाखे चलाए जाने) वजहों से पल्यूशन बढ़ता है तो हालात बिगड़ सकते हैं। इसके चलते चारों तरफ मैदानी इलाके से घिरी दिल्ली में एयर क्वॉलिटी लंबे समय तक खराब रह सकती है।
रोक के बाद भी किसानों ने शुरू किया पराली जलाना
मॉनसूनी हवाओं की वापसी महीने भर की देरी से हो रही है। ऐसे में उत्तर भारत के इलाकों में खेतों में पराली जलाए जाने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। इससे यहां वातारण जहरीला धुआं फैल सकता है। मॉनसून सीजन के एक महीना लंबा होने से गर्मियों में बोई गई फसल के पकने में देरी हुई है। इससे किसानों को अगली फसल की खातिर खेत तैयार करने का कम समय मिला है। अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकारों ने किसानों को खेतों में पराली जलाने से रोकने के लिए उनके बीच जागरूकता अभियान चलाए हैं, लेकिन अगली फसल के लिए खेत तैयार करने में दो हफ्ते से भी कम समय रह जाने के चलते कुछ किसानों ने पहले ही पराली जलाना शुरू कर दिया है। उनकी देखादेखी दूसरे किसान भी जल्द पराली जलाने लग सकते हैं।
'दिल्ली के पलूशन पर पराली जलाने का असर नहीं'
पिछले साल चंडीगढ़ में कुछ अधिकारियों ने कहा था कि दिल्ली में एयर पल्यूशन के लिए उत्तर भारत के किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि दिल्ली की एयर क्वॉलिटी उसके अपने धुएं की वजह से खराब है। उनका कहना था कि उत्तर भारत के कई इलाकों में पराली जलाए जाने के बावजूद वहां की एयर क्वॉलिटी दिल्ली से अच्छी रही थी।
दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई इलाकों में एयर क्वॉलिटी बुधवार से बिगड़ सकती है और हफ्तेभर बाद स्थिति धीरे-धीरे बदतर होती जा सकती है। यह स्थिति ठंड का मौसम आने, दिवाली में पटाखे चलाए जाने, पंजाब हरियाणा में पराली जलाए जाने और मॉनसून सीजन की समाप्ति के बाद हवाओं की रफ्तार धीमी होने के चलते बन सकती है। मॉनसून सीजन लंबा हो जाने और तेज हवाएं चलने की वजह से हाल के हफ्तों में दिल्ली की हवा काफी साफ रही, जबकि आमतौर पर ऐसा नहीं होता है।
मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज के तहत आने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटरोलॉजी की एयर क्वॉलिटी मॉनिटरिंग यूनिट के मुताबिक जल्द हालात बदलने वाले हैं। इसकी हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, 'पिछले दो दिनों से तेज हवा चल रही थी, जिसकी रफ्तार अब घट सकती है। बुधवार को एयर क्वॉलिटी बिगड़कर मॉडरेट क्वॉलिटी के मध्य में आ सकती है।' उसने यह भी कहा है कि उत्तर भारत में हवा में नमी कम होने से भी दिल्ली की एयर क्वॉलिटी बिगड़ सकती है।
दुर्गा पूजा: यमुना में नहीं हुआ कोई मूर्ति विसर्जन
एक महीने लंबा खिंचा मॉनसून सीजन इसी हफ्ते खत्म हो सकता है। इससे भी उत्तर भारत की एयर क्वॉलिटी खराब हो सकती है। अब आसमान साफ रहेगा और हवा धीमे-धीमे बहेगी। मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक, 'हवा की गति कम रहने से उसमें प्रदूषणकारी कण मिलेंगे और उसकी गुणवत्ता खराब होगी। अगर एक्सटर्नल (पराली जलाए जाने) या इंटरनल (दिवाली में पटाखे चलाए जाने) वजहों से पल्यूशन बढ़ता है तो हालात बिगड़ सकते हैं। इसके चलते चारों तरफ मैदानी इलाके से घिरी दिल्ली में एयर क्वॉलिटी लंबे समय तक खराब रह सकती है।
रोक के बाद भी किसानों ने शुरू किया पराली जलाना
मॉनसूनी हवाओं की वापसी महीने भर की देरी से हो रही है। ऐसे में उत्तर भारत के इलाकों में खेतों में पराली जलाए जाने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। इससे यहां वातारण जहरीला धुआं फैल सकता है। मॉनसून सीजन के एक महीना लंबा होने से गर्मियों में बोई गई फसल के पकने में देरी हुई है। इससे किसानों को अगली फसल की खातिर खेत तैयार करने का कम समय मिला है। अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकारों ने किसानों को खेतों में पराली जलाने से रोकने के लिए उनके बीच जागरूकता अभियान चलाए हैं, लेकिन अगली फसल के लिए खेत तैयार करने में दो हफ्ते से भी कम समय रह जाने के चलते कुछ किसानों ने पहले ही पराली जलाना शुरू कर दिया है। उनकी देखादेखी दूसरे किसान भी जल्द पराली जलाने लग सकते हैं।
'दिल्ली के पलूशन पर पराली जलाने का असर नहीं'
पिछले साल चंडीगढ़ में कुछ अधिकारियों ने कहा था कि दिल्ली में एयर पल्यूशन के लिए उत्तर भारत के किसानों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि दिल्ली की एयर क्वॉलिटी उसके अपने धुएं की वजह से खराब है। उनका कहना था कि उत्तर भारत के कई इलाकों में पराली जलाए जाने के बावजूद वहां की एयर क्वॉलिटी दिल्ली से अच्छी रही थी।
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