नई दिल्ली
रोड ऐक्सिडेंट मरीजों के लिए दिल्ली सरकार ने बड़ी योजना शुरू की है। अगर ऐक्सिडेंट के तुरंत बाद अस्पताल नहीं पहुंच पाते और पहुंचने में 72 घंटे तक लग जाते हैं, तो सभी प्राइवेट अस्पतालों को कैशलेस इलाज करना होगा। यही नहीं अगर किसी मरीज को कोई अस्पताल दूसरे प्राइवेट अस्पताल में रेफर करता है, तब भी कैशलेस इलाज देना होगा। राहत की बात उन ऐक्सिडेंट मरीजों के लिए भी है, जिनका इलाज के दौरान पैसा खत्म हो जाए या फिर बीमा की लिमिट क्रॉस हो जाए तो उन्हें भी प्राइवेट अस्पतालों को कैशलेस इलाज मिलेगा।
फरिश्ते दिल्ली योजना के तहत होगा इलाज
सरकार ने फरिश्ते दिल्ली के योजना के तहत यह सुविधा देने का फैसला किया है। यही नहीं दिल्ली सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने सभी प्राइवेट अस्पतालों के अंदर 3 जगहों पर इससे संबंधित सूचना को भी प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है। इस योजना के तहत इलाज से इनकार करना दंडनीय अपराध होगा और अगर ऐसी कोई घटना होती है, तो दिल्ली सरकार अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर देगी।
अस्पतालों को 3 जगहों पर सूचना प्रदर्शित करना अनिवार्य
दिल्ली सरकार ने फरिश्ते दिल्ली के योजना के तहत पीड़ितों को गोल्डन आवर में इलाज मुहैया कराने के लिए न केवल प्राइवेट अस्पतालों को इलाज करना अनिवार्य किया है, बल्कि उन्हें अपने अस्पतालों के अंदर 3 जगहों पर इससे संबंधित सूचना को भी प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है। आप सरकार की इस योजना के तहत दिल्ली के सभी प्राइवेट अस्पतालों को रोड ऐक्सिडेंट, ऐसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी के पीड़ितों को कैशलेस इलाज करना अनिवार्य है। सभी प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को 3 प्रमुख स्थानों पर स्थायी सूचना बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए स्थान भी निश्चित किया गया है, बाहर का प्रवेश द्वार (सड़क के किनारे से दिखाई देने वाला), इमरजेंसी वार्ड का प्रवेश वाले जगह पर और तीसरा रिसेप्शन या कोई अन्य प्रमुख स्थान पर यह सूचना लगानी है।
सभी नर्सिंग होम को 2 हफ्ते के अंदर व्यवस्था का निर्देश
सरकार ने सभी प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को 2 हफ्ते के भीतर यह व्यवस्था करनी है। हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम की ओर से सड़क दुर्घटना, ऐसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी मामलों में इलाज से इनकार करना दंडनीय अपराध होगा। अगर ऐसी कोई घटना होती है, तो दिल्ली सरकार अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर देगी। इस योजना के तहत सड़क दुर्घटना के किसी भी पीड़ित को कैशलेस इलाज प्रदान किया जाएगा। चाहे पीड़ित को 72 घंटे के भीतर संबंधित प्राइवेट अस्पताल में लाया या भेजा या स्थानांतरित किया गया है, तब भी इलाज करना अनिवार्य है।
बीमा राशि खत्म होने पर भी कैशलेस मिलेगा इलाज
डिपार्टमेंट का कहना है कि अगर सड़क दुर्घटना के एक पीड़ित मरीज का प्राइवेट अस्पताल में नकद या बीमा के माध्यम से इलाज चल रहा है और मरीज का पैसा खत्म हो जाए या बीमा राशि समाप्त हो गई है, तो ऐसे मरीज को भी कैशलेस आधार पर आगे का इलाज मिलेगा। हालांकि, अस्पताल की सबसे निचली अर्थव्यवस्था श्रेणी में आगे का इलाज किया जाएगा। हेल्थ डिपार्टमेंट ने यह साफ कर दिया है कि इलाज में पहले किए गए खर्च का प्रतिपूर्ति नहीं की जाएगी। एक बात यह भी है कि अगर इस योजना के तहत पहली बार इलाज के बाद छुट्टी दे दी जाती है, तो सरकार आगे के इलाज का खर्च वहन नहीं करेगी।
दिल्ली आरोग्य कोष का इस्तेमाल सड़क दुर्घटनाओं के लिए
इस योजना के जरिए सरकार पीड़ित को दूसरे अस्पताल या नर्सिंग होम में ऐंबुलेंस से ले जाने पर 10 किलोमीटर के दायरे में एक हजार रुपये देगी। उसके ऊपर सौ रुपये प्रति किलोमीटर दिया जाएगा। इसके लिए शर्त यह है कि कैट्स ऐंबुलेंस उपलब्ध न हो तो। सड़क दुर्घटना वगैरह के पीड़ितों के इलाज के लिए ऑल-इनक्लूसिव पैकेज रेट्स तय हैं, जिसे दिल्ली की गवर्निंग बॉडी आरोग्य कोष द्वारा तैयार किया गया है। दिल्ली आरोग्य कोष का इस्तेमाल सड़क दुर्घटनाओं, ऐसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी के पीड़ितों के इलाज के लिए किया जाएगा। अब तक, सड़क दुर्घटना के 3000 से अधिक पीड़ित, ऐसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी के पीड़ितों का इलाज निजी अस्पतालों में कैशलेस हो चुका है।
रोड ऐक्सिडेंट मरीजों के लिए दिल्ली सरकार ने बड़ी योजना शुरू की है। अगर ऐक्सिडेंट के तुरंत बाद अस्पताल नहीं पहुंच पाते और पहुंचने में 72 घंटे तक लग जाते हैं, तो सभी प्राइवेट अस्पतालों को कैशलेस इलाज करना होगा। यही नहीं अगर किसी मरीज को कोई अस्पताल दूसरे प्राइवेट अस्पताल में रेफर करता है, तब भी कैशलेस इलाज देना होगा। राहत की बात उन ऐक्सिडेंट मरीजों के लिए भी है, जिनका इलाज के दौरान पैसा खत्म हो जाए या फिर बीमा की लिमिट क्रॉस हो जाए तो उन्हें भी प्राइवेट अस्पतालों को कैशलेस इलाज मिलेगा।
फरिश्ते दिल्ली योजना के तहत होगा इलाज
सरकार ने फरिश्ते दिल्ली के योजना के तहत यह सुविधा देने का फैसला किया है। यही नहीं दिल्ली सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने सभी प्राइवेट अस्पतालों के अंदर 3 जगहों पर इससे संबंधित सूचना को भी प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है। इस योजना के तहत इलाज से इनकार करना दंडनीय अपराध होगा और अगर ऐसी कोई घटना होती है, तो दिल्ली सरकार अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर देगी।
अस्पतालों को 3 जगहों पर सूचना प्रदर्शित करना अनिवार्य
दिल्ली सरकार ने फरिश्ते दिल्ली के योजना के तहत पीड़ितों को गोल्डन आवर में इलाज मुहैया कराने के लिए न केवल प्राइवेट अस्पतालों को इलाज करना अनिवार्य किया है, बल्कि उन्हें अपने अस्पतालों के अंदर 3 जगहों पर इससे संबंधित सूचना को भी प्रदर्शित करने का निर्देश दिया है। आप सरकार की इस योजना के तहत दिल्ली के सभी प्राइवेट अस्पतालों को रोड ऐक्सिडेंट, ऐसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी के पीड़ितों को कैशलेस इलाज करना अनिवार्य है। सभी प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को 3 प्रमुख स्थानों पर स्थायी सूचना बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए स्थान भी निश्चित किया गया है, बाहर का प्रवेश द्वार (सड़क के किनारे से दिखाई देने वाला), इमरजेंसी वार्ड का प्रवेश वाले जगह पर और तीसरा रिसेप्शन या कोई अन्य प्रमुख स्थान पर यह सूचना लगानी है।
सभी नर्सिंग होम को 2 हफ्ते के अंदर व्यवस्था का निर्देश
सरकार ने सभी प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को 2 हफ्ते के भीतर यह व्यवस्था करनी है। हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम की ओर से सड़क दुर्घटना, ऐसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी मामलों में इलाज से इनकार करना दंडनीय अपराध होगा। अगर ऐसी कोई घटना होती है, तो दिल्ली सरकार अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर देगी। इस योजना के तहत सड़क दुर्घटना के किसी भी पीड़ित को कैशलेस इलाज प्रदान किया जाएगा। चाहे पीड़ित को 72 घंटे के भीतर संबंधित प्राइवेट अस्पताल में लाया या भेजा या स्थानांतरित किया गया है, तब भी इलाज करना अनिवार्य है।
बीमा राशि खत्म होने पर भी कैशलेस मिलेगा इलाज
डिपार्टमेंट का कहना है कि अगर सड़क दुर्घटना के एक पीड़ित मरीज का प्राइवेट अस्पताल में नकद या बीमा के माध्यम से इलाज चल रहा है और मरीज का पैसा खत्म हो जाए या बीमा राशि समाप्त हो गई है, तो ऐसे मरीज को भी कैशलेस आधार पर आगे का इलाज मिलेगा। हालांकि, अस्पताल की सबसे निचली अर्थव्यवस्था श्रेणी में आगे का इलाज किया जाएगा। हेल्थ डिपार्टमेंट ने यह साफ कर दिया है कि इलाज में पहले किए गए खर्च का प्रतिपूर्ति नहीं की जाएगी। एक बात यह भी है कि अगर इस योजना के तहत पहली बार इलाज के बाद छुट्टी दे दी जाती है, तो सरकार आगे के इलाज का खर्च वहन नहीं करेगी।
दिल्ली आरोग्य कोष का इस्तेमाल सड़क दुर्घटनाओं के लिए
इस योजना के जरिए सरकार पीड़ित को दूसरे अस्पताल या नर्सिंग होम में ऐंबुलेंस से ले जाने पर 10 किलोमीटर के दायरे में एक हजार रुपये देगी। उसके ऊपर सौ रुपये प्रति किलोमीटर दिया जाएगा। इसके लिए शर्त यह है कि कैट्स ऐंबुलेंस उपलब्ध न हो तो। सड़क दुर्घटना वगैरह के पीड़ितों के इलाज के लिए ऑल-इनक्लूसिव पैकेज रेट्स तय हैं, जिसे दिल्ली की गवर्निंग बॉडी आरोग्य कोष द्वारा तैयार किया गया है। दिल्ली आरोग्य कोष का इस्तेमाल सड़क दुर्घटनाओं, ऐसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी के पीड़ितों के इलाज के लिए किया जाएगा। अब तक, सड़क दुर्घटना के 3000 से अधिक पीड़ित, ऐसिड अटैक और थर्मल बर्न इंजरी के पीड़ितों का इलाज निजी अस्पतालों में कैशलेस हो चुका है।
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