Sunday, October 27, 2019

मेट्रो में सुरक्षा भरपूर, फिर भी सुरक्षित नहीं जेब

नई दिल्ली
राजधानी में ट्रेन और मेट्रो लगभग एक जैसी ट्रांसपोर्ट व्यवस्था है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से मेट्रो दिल्लीवासियों की प्राथमिकता रहती है। सीसीटीवी की जद में कैद स्टेशन और सीआईएसएफ की चाक-चौबंद सुरक्षा मेट्रो की व्यवस्था को और ज्यादा सुरक्षित बना देती हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस के आंकड़े इसके उलट हैं। रेलवे के बजाए मेट्रो में यात्रियों का सामान ज्यादा असुरक्षित है। अगर जेबतराशी की बात करें, तो दिल्ली पुलिस की रेलवे यूनिट ने अपने इलाके में जेबतराशी पर लगाम लगाई है, लेकिन मेट्रो में यह अप्रत्याशित तरीके से बढ़ गई है।

पुलिस के आंकड़ों की मानें तो मेट्रो में जेबतराशी लगभग दोगुनी हो गई है। हर दिन बढ़ती भीड़ इसका एक कारण हो सकती है, लेकिन सीसीटीवी में इलाका सुरक्षित होने के बावजूद पुलिस का केस सुलझाने में सुस्त रवैया भी इसका कारण है। पुलिस अधिकारी ने मेट्रो और रेलवे के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए कहा कि रेलवे में जेबतराशी कम हो गई है, जबकि मेट्रो में यह दोगुनी हो गई है। सुरक्षा की बात करें तो मेट्रो को रेलवे के बजाए ज्यादा सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी है। रेलवे का ज्यादातर इलाका बिना किसी सुरक्षा के रहता है और सीसीटीवी भी पर्याप्त नहीं है।

उन्होंने बताया कि मेट्रो में पिछले साल सितंबर के आखिर तक 353 जेबतराशी की घटनाएं हुई थी। यह इस साल लगभग दोगुनी यानी 648 हो गई हैं। जेबतराशी की घटनाओं को सुलझाने में भी पुलिस का रवैया सुस्त रहा है। पिछले साल जेबतराशी के 31 प्रतिशत मामले सुलझ गए थे, जो इस साल घटकर महज 22 प्रतिशत पर आ गए हैं। इसके उलट रेलवे में पिछले साल इस समय तक 46 जेबतराशी हुईं, जो इस साल घटकर 35 पहुंच गई है। वहीं केस सुलझाने का प्रतिशत रेलवे में बढ़ा है, क्योंकि रेलवे पुलिस पिछले साल 52 प्रतिशत के बजाए इस साल 66 प्रतिशत मामले सुलझाए हैं। मेट्रो में मोबाइल चोरी का भी हाल लगभग ऐसा ही है। रेलवे स्टेशनों के आसपास इस साल लगभग 1200 मोबाइल चोरी हुए हैं, जबकि मेट्रो में 3300 से अधिक मोबाइल चोरी हो गए हैं।

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