Monday, October 21, 2019

रविदास मंदिर: दोगुनी जमीन पर भी राजी नहीं आंदोलनकारी

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी के तुगलकाबाद में पुरानी जगह पर ही संत रविदास का मंदिर बनाने की इजाजत दे दी है। कोर्ट के निर्देश पर ही डीडीए ने मंदिर गिराया था। कोर्ट ने इससे जुड़े केंद्र के प्रस्ताव को सोमवार को स्वीकार कर लिया, जिसमें मंदिर को फिर से बनाने के लिए 200 के बजाय 400 वर्गमीटर जमीन देने की बात भी शामिल है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि श्रद्धालुओं की भावनाओं, आस्था को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया है। कोर्ट के पूछने पर सरकार ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए सरकार कमिटी बनाएगी।

कोर्ट ने 6 हफ्ते में कमिटी बनाने को कहा। तय जगह के आसपास कमर्शल गतिविधि नहीं होगी। आंदोलनकारी संतुष्ट नहीं हैं। संत गुरु रविदास जयंती समारोह समिति के प्रवक्ता ने कहा कि 12 बीघा से अधिक जमीन छीनी थी, अब सिर्फ 400 वर्गमीटर दे रहे हैं। आंदोलनकारी जल्द रणनीति की घोषणा करेंगे। 10 नवंबर को बड़ी रैली की तैयारी है।

अनुयायी खुश नहीं, 10 नवंबर को मेगा रैली, धरना
संत रविदास मंदिर हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों से अनुयायी खुश नहीं हैं। उनका मानना है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की आड़ में दलितों के साथ न्याय नहीं किया है। अनुयायी संत व नेता जल्द ही इस स्थिति के खिलाफ अपनी रणनीति की घोषणा करने वाले हैं। इस कड़ी में 10 नवंबर को एक बड़ी रैली और धरना करके आंदोलन को आगे बनाए रखना चाहते हैं।

'12 बीघा जमीन छीनकर दे रहे सिर्फ 400 वर्गमीटर'
आंदोलनकारी संगठन संत गुरु रविदास जयंती समारोह समिति के प्रवक्ता अशोक भारती में बताया कि रविदास समाज इन हालातों से नाराज है। उन्होंने कहा कि मंदिर की ही 12 बीघा से अधिक जमीन छीनने के बाद हमें ही 400 वर्ग मीटर की जमीन दी जा रही है। बेशक सुप्रीम कोर्ट ने भूमि का दायरा बढ़ाया है और मंदिर पक्का बनाने की अनुमति दी है। इस सबके बावजूद दलितों के हित में तस्वीर नहीं है।

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