Monday, September 30, 2019

दब रहा बटन, दिल्ली में 112 पर कॉल्स की बाढ़

नई दिल्ली
दिल्ली पुलिस के इमर्जेंसी नंबर 112 लॉन्च करने के एक हफ्ते के भीतर ही ब्लैंक कॉल्स की बाढ़ आ गई। औसतन हर रोज 10,000 ऐसी कॉल्स आईं। पुलिस का कहना है कि ज्यादातर कॉल्स मोबाइल का पावर बटन गलती से तीन बार दबने और हेल्पलाइन का स्टेटस जांचने की उत्सुकता के लिए की गईं। सभी इमर्जेंसी सेवाओं के एक नंबर के तौर पर यह हेल्पलाइन 25 सितंबर को लॉन्च की गई थी। अब इस नंबर पर औसतन रोज 15,672 कॉल्स आ रही हैं। हालांकि इनमें से केवल 5,383 कॉल्स ही सही थे। कई लोगों ने तमाम तरह के सवाल पूछने के लिए भी इस नंबर पर फोन किए।

एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'पावर बटन जैसे ही तीन बार दबती है तो एक SOS कॉल 112 को चली जाती है। वैसे तो ये कॉल्स अनजाने में की जाती हैं पर पुलिस कंट्रोल रूम में रजिस्टर हो जाती हैं। हालांकि ज्यादातर स्मार्टफोन्स में यूजर से जारी रखने के लिए 8 दबाने को कहा जाता है। अनजाने में की गई कॉल्स के केस में यह नहीं होता है और ब्लैंक कॉल किसी ऑपरेटर तक नहीं पहुंचती है। ऐसे में समय और ऊर्जा दोनों बच जाती है।'

अगर कोई ब्लैंक कॉल किसी नंबर से एक से ज्यादा बार रिसीव होती है तो ऑपरेटर वापस कॉल करता है लेकिन आमतौर पर जवाब मिलता है कि गलती से कॉल चली गई थी या बच्चे मोबाइल के साथ खेल रहे थे।

इससे पहले इमर्जेंसी नंबर 100 पर रोज 40,000-50,000 कॉल्स तक आती थी। एक अधिकारी ने कहा कि कुछ ऐसी भी कॉल्स आईं जिसमें लोग 112 के बारे में जानना चाह रहे थे। नए नंबर ने ऑपरेटरों की जॉब को आसान बना दिया है। 100 के केस में उन्हें सभी कॉल्स का जवाब देना पड़ता था। अब ऐसी व्यवस्था कर दी गई है कि जब किसी कॉल को रीडायरेक्ट करने की जरूरत होती है तो ऑपरेटर संक्षेप में लिखकर एक बटन दबा देता है तो वही मेसेज करीबी PCR वैन और संबंधित थाने को चला जाता है।

एक अधिकारी ने बताया, 'पहले वायरलेस कम्युनिकेशंस में गलती या डीटेल लिखने में मदद मिलने में देर हो जाती थी। अब सबकुछ स्क्रीन पर मौजूद होता है। सिस्टम फेल होने पर बैकअप के तौर पर वायरलेस सिस्टम भी मौजूद रहता है।'

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