Saturday, September 28, 2019

दिल्ली: 111 पेड़ हो रहे शिफ्ट पर क्या जिंदा रहेंगे?

श्रद्धा छेत्री, नई दिल्ली
दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी में पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शनिवार दोपहर दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी पहुंचे और इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी की। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि डीटीयू में नई इमारत का निर्माण होना है। इसके लिए निर्माण स्थल पर मौजूद पेड़ों को काटा नहीं गया, बल्कि उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा रहा है।

सीएम ने कहा कि एक्सपर्ट से बात कर पता चला कि इन ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों का सर्वाइवल रेट भी काफी अच्छा है। दिल्ली सरकार ने नियम भी बनाया है कि निर्माण कार्य के लिए पेड़ों को काटा नहीं जाएगा, बल्कि उनका ट्रांसप्लांट किया जाएगा।

केजरीवाल ने कहा, 'डीटीयू में ट्री ट्रांसप्लांटेशन का कॉन्सेप्ट देख यकीन हो गया है कि किसी भी तरह के निर्माण कार्य को लेकर पेड़ काटने के बजाए उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से स्थानांतरित किया जा सकता है। इससे पेड़ भी सुरक्षित रहेंगे और पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी।'

ट्री-ट्रांसप्लांटेशन की प्रक्रिया पर छिड़ा विवाद
डीटीयू में करीब 111 पेड़ों का ट्रांसप्लांटेशन किया जा रहा है और एक पेड़ के ट्रांसप्लांट पर 6,844 रुपये की लागत का अनुमान है, हालांकि इस पूरी प्रक्रिया पर विवाद छिड़ गया है। यूनिवर्सिटी द्वारा जो पेड़ लगाए गए हैं उनमें नीम, अमलतास और जामुन शामिल हैं। ट्री एक्सपर्ट और लेखक प्रदीप कृषन ने बताया कि ऐसी प्रजातियों का जीवित रहना मुश्किल होता है। ऐसी प्रजातियों का ट्रांसप्लांटेशन जनवरी के करीब होता है ऐसे सीजन में नहीं और इसके लिए विशेष उपकरण और विशेषज्ञता की जरूरत होती है। यहां की जलवायु और परिस्थितियों के अनुसार सफलता की दर महज 10 से 12 फीसदी ही है।

जब डीएमआरसी ने असोला में पेड़ों को शिफ्ट किया था तो केवल कुछ ही जीवित रह पाए थे। प्रगति मैदान में ऑडिट सर्वे के मुताबिक फिलहाल 1713 में से केवल 36 पेड़ ही स्वस्थ हैं जो जीवित रह सकते हैं। कृषन ने कहा, 'यह पूरी प्रक्रिया काफी महंगी है और इससे फायदा भी काफी कम होता है।'

हालांकि कॉन्ट्रेक्टर अशोक कुमार ने दावा किया कि वह पहले भी काफी सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि रानी बाग में एक अस्पताल के निर्माण के दौरान पीडब्ल्यूडी के साथ मिलकर 30 पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया था। एक दूसरे प्रॉजेक्ट में वल्लभगढ़ में 125 पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया गया और इसकी सफलता का प्रतिशत 90 फीसदी रहा। एनडीएमसी ने भी 17 पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जिनमें से 16 पेड़ जीवित रहे।

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