Tuesday, July 30, 2019

रेलवे ट्रैक पर आर्मी कैप्टन का शव, परिवार को हत्या का शक

नई दिल्ली
इंडियन आर्मी के कैप्टन का शव रेलवे ट्रैक पर क्षत-विक्षत हालत में मिला है। कैप्टन को सोमवार सुबह करीब 5 बजे आखिरी बार देखा गया था। 11:20 बजे रेलवे ट्रैक पर बॉडी मिली। कैप्टन का नाम दिवाकर पुरी (26) है। वह लखनऊ से ट्रेनिंग पूरी करके दिल्ली लौट रहे थे। दिल्ली में उनका परिवार है। उनका प्लान कुछ दिन परिजनों के साथ रहने का था। इसके बाद उनको कश्मीर के पुलवामा में नई पोस्टिंग पर जाना था। दिवाकर आर्मी में बतौर डॉक्टर कैप्टन तैनात थे।

डीसीपी रेलवे दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि पुलिस को सोमवार दोपहर 11:20 बजे शव मिला था। आसपास कुछ दस्तावेज बरामद हुए, जिससे उनकी पहचान हो पाई। पुलिस ने परिजनों को बुलाकर उनकी शिनाख्त करवाई। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। पोस्टमॉर्टम आज होगा। मौत के कारणों की जानकारी इसकी रिपोर्ट आने के बाद साफ होगी। हालांकि अब तक की जांच में पुलिस किसी साजिश या फाउल प्ले से इनकार कर रही है। पुलिस को आशंका है कि दिवाकर ने आत्महत्या की होगी, लेकिन उसका भी कोई ठोस कारण पुलिस और परिजनों को समझ नहीं आ रहा।

पुलिस के मुताबिक, दिवाकर रविवार शाम लखनऊ से श्रमजीवी एक्सप्रेस में सवार हुए और करीब 5:30 बजे नई दिल्ली पहुंच गए। ट्रेन खाली होने के बाद भी वह ट्रेन से नहीं उतरे, तो कोच अटेंडेंट ने उनको उतरने के लिए बोला। इसके बाद वह अपना सामान छोड़कर उतर गए। बाद में अटेंडेंट ने आरपीएफ को लावारिस सामान के बारे में बताया, जिसे आरपीएफ ने लोकल पुलिस के हवाले कर दिया। दूसरी तरफ, दिवाकर पैदल वहां से निकल गए और 11:20 बजे उनका शव बरामद हुआ। दावा किया जा रहा है कि शताब्दी एक्सप्रेस की चपेट में आने से दिवाकर की मौत हुई है।

सान्ध्य टाइम्स से बातचीत में दिवाकर के पिता जीएल पुरी ने बताया कि वह परिवार के साथ रोहिणी में रहते हैं। नैशनल रिसर्च सेंटर फॉर मलेरिया में अकाउंटेट हैं। पुरी ने कहा कि उनका बेटा दिवाकर दो साल पहले आर्मी में भर्ती हुआ था और दिमागी रूप से बहुत मजबूत था। लखनऊ में वह दो महीने की टफ ट्रेनिंग करके लौट रहा था। ऐसे में अगर उसका हौसला टूटता तो ट्रेनिंग के दरम्यान टूटता, जबकि उसने ट्रेनिंग पूरी कर ली थी। अब पुलवामा में उसे जॉइन करना था। दिवाकर के अलावा घर में छोटा भाई जतिन, उसके पिता और मां हैं।

आर्मी पुलिस मौजूद, फिर भी पुलिस पर आरोप
परिजनों ने पुलिस पर भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पुलिस ने जांच में देरी की। पता होने के बावजूद कि शव कैप्टन का है, पुलिस कथित तौर पर सीमा विवाद में उलझी रही। जीएल पुरी ने यह भी आरोप लगाया कि उनके बेटे जतिन से शिनाख्त के दौरान बयान दर्ज कराया गया, लेकिन जतिन को पुलिस ने बोला कि तुम सादे कागज पर साइन कर दो, हम अपने आप लिख लेंगे। हालांकि डीसीपी दिनेश कुमार ने इन आरोपों को नकारते हुए इन्हें बेबुनियाद बताया। उनका कहना था कि शिनाख्ती बयान सिर्फ शव की पहचान के लिए होता है, उसमें ऐसा कुछ नहीं होता, जिससे छेड़छाड़ की जा सके। जांच के दौरान आर्मी पुलिस भी मौजूद रही।

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