नई दिल्ली
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के बीच चल रही कलह और तीखी होने जा रही है। अध्यक्ष शीला दीक्षित ने कार्यकारी अध्यक्षों द्वारा प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई बैठक पर नाराजगी जताई है। इस मसले पर वह शुक्रवार सुबह अपने लोगों से विचार-विमर्श में लगी थीं। संभावना है कि वह इस मसले को आलाकमान के सामने रखेंगी। दूसरी ओर दोनों कार्यकारी अध्यक्षों ने कहा है कि प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में वह मीटिंग नहीं करेंगे, तो क्या वहां विरोधी दल वाले बैठकें करेंगे। ये दोनों कार्यकारी अध्यक्ष फिर प्रदेश कार्यालय में पहुंचकर बैठक करने जा रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस में अंदरखाने अजीब सा संकट चल रहा है। हालात यह हो गए हैं कि आला नेता एक दूसरे का कहना नहीं मान रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश को मजबूत करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष शीला की सहायता के लिए 3 कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए थे। लेकिन अब इनमें आपसी कलह होती नजर आ रही है। सूत्र बताते हैं कि शीला इससे नाराज हैं कि 2 प्रदेश अध्यक्ष हारून युसूफ और देवेंद्र यादव ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठक की और एक प्रकार से उन्हें चुनौती देने की कोशिश की।
दूसरी ओर प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष हारून युसूफ और देवेंद्र यादव शुक्रवार को फिर से प्रदेश कार्यालय पहुंच रहे हैं। हारून का कहना है कि पार्टी के कार्यालय में हम बैठक नहीं करेंगे तो क्या विरोधी दलों के नेता वहां डेरा जमाएंगे। कल जो बैठक की गई थी, उसमें पार्टी नेताओं से कहा गया था कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी को बूथ स्तर तक मेहनत करनी है। हमें उम्मीद है कि इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खासी सफलता हासिल करने वाली है। अन्य कार्यकारी अध्यक्ष देवेंद्र यादव का भी कहना था कि वह दोपहर को प्रदेश कार्यालय में बैठक करने के लिए जा रहे हैं। कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति पार्टी हाईकमान ने इसलिए की है कि ताकि हम दिल्ली में पार्टी को मजबूत करें। हम बैठकें कर यही काम कर रहे हैं। देवेंद्र के अनुसार, हमारा अध्यक्ष शीला दीक्षित से किसी प्रकार का मनमुटाव नहीं है। हम चाहते हैं कि उन्हें हकीकत पता चले।
प्रदेश कांग्रेस में जिस तरह की कार्यवाही चल रही है, उससे इस बात की संभावना है कि अगर समय रहते हाईकमान ने हस्तक्षेप नहीं किया तो पार्टी दिल्ली में दो-फाड़ हो सकती है। आरोप लग रहे हैं कि अध्यक्ष शीला दीक्षित की बढ़ती उम्र उनका साथ नहीं दे रही है। ऐसे में संगठन चलाने के लिए कुछ ऐसे नेता उनके साथ जुड़ गए हैं, जिनका अपना कोई जनाधार नहीं है। वे अध्यक्ष से ऐसे आदेश जारी करवा रहे हैं जो पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो रहे हैं। आरोप लग रहे हैं कि इसी कड़ी में ब्लॉक अध्यक्षों को हटाना और जिला व ब्लॉक स्तर पर ऑब्जर्वर्स की नियुक्ति की गई, जिससे पार्टी में बगावत के सुर बढ़े। दूसरी ओर शीला दीक्षित लगातार कह रही हैं कि वह जो भी कदम उठा रही हैं, उससे नेता व कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ रहा है। फिलहाल दोनों ओर से तनातनी जारी है, जिसके बढ़ने की और संभावना है।
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के बीच चल रही कलह और तीखी होने जा रही है। अध्यक्ष शीला दीक्षित ने कार्यकारी अध्यक्षों द्वारा प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई बैठक पर नाराजगी जताई है। इस मसले पर वह शुक्रवार सुबह अपने लोगों से विचार-विमर्श में लगी थीं। संभावना है कि वह इस मसले को आलाकमान के सामने रखेंगी। दूसरी ओर दोनों कार्यकारी अध्यक्षों ने कहा है कि प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में वह मीटिंग नहीं करेंगे, तो क्या वहां विरोधी दल वाले बैठकें करेंगे। ये दोनों कार्यकारी अध्यक्ष फिर प्रदेश कार्यालय में पहुंचकर बैठक करने जा रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस में अंदरखाने अजीब सा संकट चल रहा है। हालात यह हो गए हैं कि आला नेता एक दूसरे का कहना नहीं मान रहे हैं। कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश को मजबूत करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष शीला की सहायता के लिए 3 कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए थे। लेकिन अब इनमें आपसी कलह होती नजर आ रही है। सूत्र बताते हैं कि शीला इससे नाराज हैं कि 2 प्रदेश अध्यक्ष हारून युसूफ और देवेंद्र यादव ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठक की और एक प्रकार से उन्हें चुनौती देने की कोशिश की।
दूसरी ओर प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष हारून युसूफ और देवेंद्र यादव शुक्रवार को फिर से प्रदेश कार्यालय पहुंच रहे हैं। हारून का कहना है कि पार्टी के कार्यालय में हम बैठक नहीं करेंगे तो क्या विरोधी दलों के नेता वहां डेरा जमाएंगे। कल जो बैठक की गई थी, उसमें पार्टी नेताओं से कहा गया था कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी को बूथ स्तर तक मेहनत करनी है। हमें उम्मीद है कि इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस खासी सफलता हासिल करने वाली है। अन्य कार्यकारी अध्यक्ष देवेंद्र यादव का भी कहना था कि वह दोपहर को प्रदेश कार्यालय में बैठक करने के लिए जा रहे हैं। कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति पार्टी हाईकमान ने इसलिए की है कि ताकि हम दिल्ली में पार्टी को मजबूत करें। हम बैठकें कर यही काम कर रहे हैं। देवेंद्र के अनुसार, हमारा अध्यक्ष शीला दीक्षित से किसी प्रकार का मनमुटाव नहीं है। हम चाहते हैं कि उन्हें हकीकत पता चले।
प्रदेश कांग्रेस में जिस तरह की कार्यवाही चल रही है, उससे इस बात की संभावना है कि अगर समय रहते हाईकमान ने हस्तक्षेप नहीं किया तो पार्टी दिल्ली में दो-फाड़ हो सकती है। आरोप लग रहे हैं कि अध्यक्ष शीला दीक्षित की बढ़ती उम्र उनका साथ नहीं दे रही है। ऐसे में संगठन चलाने के लिए कुछ ऐसे नेता उनके साथ जुड़ गए हैं, जिनका अपना कोई जनाधार नहीं है। वे अध्यक्ष से ऐसे आदेश जारी करवा रहे हैं जो पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो रहे हैं। आरोप लग रहे हैं कि इसी कड़ी में ब्लॉक अध्यक्षों को हटाना और जिला व ब्लॉक स्तर पर ऑब्जर्वर्स की नियुक्ति की गई, जिससे पार्टी में बगावत के सुर बढ़े। दूसरी ओर शीला दीक्षित लगातार कह रही हैं कि वह जो भी कदम उठा रही हैं, उससे नेता व कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ रहा है। फिलहाल दोनों ओर से तनातनी जारी है, जिसके बढ़ने की और संभावना है।
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