नई दिल्ली
आम्रपाली बायर्स के लिए राहत की खबर यह है कि सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस बात पर फैसला सुनाएगा कि आम्रपाली के रुके हुए प्रॉजेक्ट को कौन पूरा करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को ये बात साफ हो जाएगी कि रुके हुए प्रॉजेक्ट का काम कौन पूरा करेगा और कितने दिनों में करेगा। आम्रपाली के हजारों बायर्स की इस फैसले पर नजर है।
आम्रपाली बायर्स की ओर से सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष रखने वाले सीनियर वकील एमएल लाहोटी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ कर दिया था कि आम्रपाली अब प्रॉजेक्ट से बाहर होगी और सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि प्रॉजेक्ट का काम किसे सौंपा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आम्रपाली का लीज कैंसल होने के बाद प्रॉजेक्ट को कौन पूरा करेगा इस बारे में अदालत फैसला करेंगी। साथ ही पैसे कहां से आएंगे इस बारे में भी एक रोडपैम देखने को मिल सकता है।
लाहोटी ने बताया कि 49 हजार बायर्स इस बात को लेकर बेहद खुश हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सोचा है कि आम्रपाली का लीज कैंसल किया जाए और प्रॉजेक्ट उसके हाथ से ले लिया जाए। हमारा ये भी कहना है कि प्रॉजेक्ट का काम एल ऐंड टी कंपनी को दिया जा सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के ऊपर ये निर्भर है कि प्रॉजेक्ट किसे दिया जाए। प्राइवेट कंपनी एल ऐंड टी से प्रॉजेक्ट पूरा कराया जाए या फिर किसी और से या फिर सरकार को टेकओवर करना चाहिए यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर है।
फैसला सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ग्रेटर नोएडा और नोएडा अथॉरिटी ये बताए कि जब आपने 2009 में जमीन दी थी और 10 फीसदी पेमेंट किया गया था, उसके बाद बिल्डर कंपनी ने लीज शर्त को पूरा नहीं किया तो फिर आपने इसे कैंसल क्यों नहीं किया। साथ ही बताएं कि प्रॉजेक्ट आप कैसे बनाएंगे। तब अथॉरिटी के वकील ने कहा था कि उनके पास इतनी कपैसिटी नहीं है कि वह इतने फ्लैट तैयार कर सकें। न तो उनके पास स्टाफ है और न ही अन्य संसाधन। अदालत ने तब कहा था कि आप कंस्ट्रक्शन के लिए एल ऐंड टी को चुन सकते हैं। इस पर लाहोटी ने कहा था कि बेहतर होगा कि एल ऐंड टी को ही चुना जाए क्योंकि एनबीसीसी के कंस्ट्रक्शन का चार्ज ज्यादा है। एल ऐंड टी पर लोगों का विश्वास भी ज्यादा है। आखिर में अदालत ने कहा था कि लीज कैंसल होने के बाद प्रॉजेक्ट कौन पूरा करेगा इस पर हम फैसला सुरक्षित रखते हैं।
आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा था कि आपने आसमान की ऊंचाई तक लोगों को चीट किया है। आपने बायर्स, बैंक और अथॉरिटी सबको चीट किया है। आपलोगों ने गंभीर फ्रॉड किया है। जो भी पावरफुल लोग आपलोगों के पीछे खड़े हैं हम किसी को नहीं छोड़ेंगे सबके खिलाफ क्रिमिनल केस चलेगा। अथॉरिटी और बैंकर्स ने भी लोगों का विश्वास तोड़ने का काम किया इस कारण बायर्स ने सफर किया है।
गौरतलब है कि आम्रपाली के हजारों बायर्स द्वारा फ्लैट के लिए रकम देने के बावजूद उन्हें फ्लैट नहीं मिला है। सालों से ये बायर्स फ्लैट के लिए चक्कर लगा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और आम्रपाली के डायरेक्टर की संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया। फिलहाल आम्रपाली के सीएमडी समेत अन्य जेल में बंद हैं।
आम्रपाली बायर्स के लिए राहत की खबर यह है कि सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को इस बात पर फैसला सुनाएगा कि आम्रपाली के रुके हुए प्रॉजेक्ट को कौन पूरा करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को ये बात साफ हो जाएगी कि रुके हुए प्रॉजेक्ट का काम कौन पूरा करेगा और कितने दिनों में करेगा। आम्रपाली के हजारों बायर्स की इस फैसले पर नजर है।
आम्रपाली बायर्स की ओर से सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष रखने वाले सीनियर वकील एमएल लाहोटी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान साफ कर दिया था कि आम्रपाली अब प्रॉजेक्ट से बाहर होगी और सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि प्रॉजेक्ट का काम किसे सौंपा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आम्रपाली का लीज कैंसल होने के बाद प्रॉजेक्ट को कौन पूरा करेगा इस बारे में अदालत फैसला करेंगी। साथ ही पैसे कहां से आएंगे इस बारे में भी एक रोडपैम देखने को मिल सकता है।
लाहोटी ने बताया कि 49 हजार बायर्स इस बात को लेकर बेहद खुश हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सोचा है कि आम्रपाली का लीज कैंसल किया जाए और प्रॉजेक्ट उसके हाथ से ले लिया जाए। हमारा ये भी कहना है कि प्रॉजेक्ट का काम एल ऐंड टी कंपनी को दिया जा सकता है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के ऊपर ये निर्भर है कि प्रॉजेक्ट किसे दिया जाए। प्राइवेट कंपनी एल ऐंड टी से प्रॉजेक्ट पूरा कराया जाए या फिर किसी और से या फिर सरकार को टेकओवर करना चाहिए यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर है।
फैसला सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ग्रेटर नोएडा और नोएडा अथॉरिटी ये बताए कि जब आपने 2009 में जमीन दी थी और 10 फीसदी पेमेंट किया गया था, उसके बाद बिल्डर कंपनी ने लीज शर्त को पूरा नहीं किया तो फिर आपने इसे कैंसल क्यों नहीं किया। साथ ही बताएं कि प्रॉजेक्ट आप कैसे बनाएंगे। तब अथॉरिटी के वकील ने कहा था कि उनके पास इतनी कपैसिटी नहीं है कि वह इतने फ्लैट तैयार कर सकें। न तो उनके पास स्टाफ है और न ही अन्य संसाधन। अदालत ने तब कहा था कि आप कंस्ट्रक्शन के लिए एल ऐंड टी को चुन सकते हैं। इस पर लाहोटी ने कहा था कि बेहतर होगा कि एल ऐंड टी को ही चुना जाए क्योंकि एनबीसीसी के कंस्ट्रक्शन का चार्ज ज्यादा है। एल ऐंड टी पर लोगों का विश्वास भी ज्यादा है। आखिर में अदालत ने कहा था कि लीज कैंसल होने के बाद प्रॉजेक्ट कौन पूरा करेगा इस पर हम फैसला सुरक्षित रखते हैं।
आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा था कि आपने आसमान की ऊंचाई तक लोगों को चीट किया है। आपने बायर्स, बैंक और अथॉरिटी सबको चीट किया है। आपलोगों ने गंभीर फ्रॉड किया है। जो भी पावरफुल लोग आपलोगों के पीछे खड़े हैं हम किसी को नहीं छोड़ेंगे सबके खिलाफ क्रिमिनल केस चलेगा। अथॉरिटी और बैंकर्स ने भी लोगों का विश्वास तोड़ने का काम किया इस कारण बायर्स ने सफर किया है।
गौरतलब है कि आम्रपाली के हजारों बायर्स द्वारा फ्लैट के लिए रकम देने के बावजूद उन्हें फ्लैट नहीं मिला है। सालों से ये बायर्स फ्लैट के लिए चक्कर लगा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और आम्रपाली के डायरेक्टर की संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया। फिलहाल आम्रपाली के सीएमडी समेत अन्य जेल में बंद हैं।
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