Wednesday, July 31, 2019

कभी बदबू थी पहचान, आज बन गया पिकनिक स्पॉट

नई दिल्ली
राजधानी में साकेत मेट्रो स्टेशन के पास सैदुलाजाब गांव है। यहां डीडीए की एक जमीन हजारों गज में है। करीब डेढ़ साल पहले तक जमीन के पास से गुजरते हुए स्थानीय लोगों को अपनी नाक-मुंह बंद करने पड़ते थे। वजह थी गंदगी। आज इसी जमीन पर लोग हरियाली का आनंद उठा रहे हैं। यह मुमकिन हुआ है यहां रहनेवाले कुछ लोगों की कोशिश से। इनकी कोशिश से यह जमीन एक खूबसूरत पार्क में बदल गई है।

आज इसे शहीद भगत सिंह पार्क के नाम से नई पहचान मिल चुकी है। यहां 10 हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगे हैं। जमीन का मालिकाना हक भले ही डीडीए के पास हो, लेकिन इसे बर्बादी से बचाने का श्रेय उस टोली के नाम है, जिसके ज्यादातर सदस्य युवा हैं। उन्हीं में से एक हैं हरप्रीत सिंह। उनका घर इस पार्क के ठीक सामने है।


हरप्रीत सिंह बताते हैं कि हमने खुद रकम जुटाकर सभी काम करवाए। पौधे खरीदे। लोगों के चलने के लिए पट्टियां बनवाईं। इसके लिए सबसे ज्यादा मेहनत कर्मवीर ने की। उन्हें कोशिश करता देख हमें भी हौसला मिला। हम उनके साथ जुड़ने लगे। उन्हीं की वजह से आज यहां हरियाली नजर आती है। पहले यहां अवैध रूप से एक मुर्गा-मछली मंडी चल रही थी। लोगों के घरों से निकलने वाला कूड़ा भी यहीं जमा होता था। इससे पास के इलाके में लगातार बदबू से यहां सांस तक लेना दूभर था।

सिंह ने जिन कर्मवीर का जिक्र किया, उनकी उम्र 40 के आसपास है। वह प्राइवेट जॉब करते हैं। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा मेहनत जमीन से मुर्गा मंडी हटवाकर उसे अवैध कब्जे से मुक्त कराने में लगी। इसके लिए एलजी ऑफिस तक से ऑर्डर करवाए। डीडीए के अधिकारियों से लगातार संपर्क किया। अथॉरिटी ने मंडी हटवाने में तो मदद की, लेकिन जमीन को सिर्फ बाउंड्री बनवाकर छोड़ दिया।

कई बार शिकायत के बाद भी जब अथॉरिटी आगे नहीं आई तो लोगों ने खुद यहां पार्क बनाने की ठान ली। पौधे खरीदे। कुछ युवाओं और बुजुर्गों ने साथ देना शुरू कर दिया। नतीजा आज सामने हैं। जो काम कभी दो हाथों ने शुरू किया था, उसे आज करीब 14 हाथ मिलकर अंजाम तक ले जाने में जुटे हैं। इससे इस पूरे इलाके की रंगत बदल गई है।

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