नई दिल्ली
आठ मर्डर और 100 से ज्यादा लूट की वारदात को अंजाम देने के बावजूद एक गैंगस्टर 11 साल तक कैसे कई राज्यों की पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा? दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इस दो लाख रुपये के इनामी बदमाश को पकड़ने में कैसे सफल रही। दरअसल, क्राइम ब्रांच छह महीने से लगातार गैंग को ट्रैक कर रही थी। गैंगस्टर शरद पांडे ने पूछताछ में बताया कि टीवी पर रोज आने वाले क्राइम शो को बारीकी से देखकर पुलिस से बचने की ट्रिक सीखता था। वह किसी भी दिन के क्राइम शो को मिस नहीं करता था।
डीसीपी (क्राइम) डॉ. जी राम गोपाल नाइक ने बताया कि कई महीनों से पॉश इलाकों से महंगी कारों को लूटने की वारदात सामने आ रही थीं। इसलिए एसीपी श्वेता सिंह चौहान की निगरानी में इंस्पेक्टर गगन भास्कर की लीडरशिप में एक टीम बनाई गई। शरद के परिवार में मां-बाप और पत्नी के अलावा एक बेटी है, जो लखनऊ स्थित इसकी कोठी में रहते हैं। तीन बहनें भी हैं, जिनकी शादियां हो चुकी हैं। इंस्पेक्टर भास्कर की टीम ने इन सभी पर कड़ी निगरानी रखी। उसकी सभी गाड़ियों के बारे में जानकारी जुटाई गई। इनकी सर्विस कहां होती है, ये जानकारी भी जुटाई गई। जांच से जुड़े अफसर ने बताया कि दो महीने पहले ही इसके शार्प शूटर विजय फरमाना को दबोचा था। इस हाई-प्रोफाइल कार जैकर गैंग में उसके अलावा सुमित चिटानिया, दीपक भांजा और कपिल चिकानिया एक साथ लूट कर रहे थे। लेकिन पांडे हाथ नहीं आ रहा था।
आखिरकार सूचना मिली कि गैंगस्टर पांडे 21 जुलाई को लखनऊ के वुडलैंड सिटी टाउनशिप के अपने बंगले की डील करने वाला है, जो वहां मिल सकता है। तुरंत एक टीम लखनऊ पहुंची तो शरद उसे देखते ही भागने लगा। उसे सरेंडर करने के लिए कहा गया, लेकिन उसने पुलिस पार्टी की तरफ पिस्टल तान दी। इस दौरान वहां काफी पब्लिक थी, जिससे पुलिस और पब्लिक दोनों की जान के लिए खतरा बन गया। लेकिन इंस्पेक्टर गगन भास्कर ने उसे अपनी सूझबूझ से हथियार समेत काबू कर लिया। जांच अफसरों का मानना है कि वह काफी इंटेलिजेंट क्रिमिनल था। पांडे ने भी माना कि अगर क्राइम ब्रांच लगातार छह महीने तक पीछा नहीं करती तो उसका पकड़ा जाना नामुमकिन था।
निशाने पर रहती थीं महंगी एसयूवी
दिल्ली के आसपास के आसपास के राज्यों के नामी गैंगस्टर्स से शरद पांडे ने अपना गठजोड़ बना लिया था। इसलिए उनका साथ देते हुए मर्डर और जानलेवा हमले समेत कई संगीन वारदात में शामिल रहा। वह 2008 से जेल से बाहर आया तो फिर पुलिस की पकड़ में नहीं आया। लगातार मुकदमे दर्ज होते चले गए। इस दौरान इस कुख्यात बदमाश ने हाईप्रोफाइल लग्जरी कार जैकर गैंग बना लिया। गैंग में 20 से ज्यादा शातिर लुटेरे हैं, जिनमें कुछ जेल में हैं और कुछ बाहर हैं। इस काले कारोबार से पांडे ने अकूत प्रॉपर्टी बना ली। क्राइम ब्रांच के अफसरों ने बताया कि वह गैंग का मास्टरमाइंड है। इनके निशाने पर महंगी एसयूवी रहती थीं। अब तक वह 100 से ज्यादा लग्जरी गाड़ियां लूटने की वारदात कर चुका है।
ये लोग ड्राइवर को गन पॉइंट पर किडनैप करते थे और फिर उसे हाइवे पर फेंककर गाड़ी लेकर फरार हो जाते थे। लूटी गई इन गाड़ियों को नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में खपाया जाता था। पुलिस ने अरुणाचल प्रदेश में भेजी गईं 17 लूटी कारों की पहचान कर ली है, जबकि बाकी मामलों की जांच जारी है। अफसरों ने बताया कि अपनी काली कमाई को इसने प्रॉपर्टी में खपाया है। एक कोठी लखनऊ के जानकीपुरम में है, दूसरी कोठी वुडलैंड कॉलोनी में है, लखनऊ में एक 200 गज का प्लॉट भी है। दिल्ली के उत्तम नगर में भी एक कोठी बनाई हुई है। इसके अलावा भी प्रॉपर्टी होने की संभावना है, जिसकी जांच की जा रही है। पिछले 11 साल से कार जैकिंग कर रहा था। वह दिल्ली, हरियाणा, यूपी और पंजाब के टॉप गैंगस्टरों का करीबी है।
आठ मर्डर और 100 से ज्यादा लूट की वारदात को अंजाम देने के बावजूद एक गैंगस्टर 11 साल तक कैसे कई राज्यों की पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा? दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच इस दो लाख रुपये के इनामी बदमाश को पकड़ने में कैसे सफल रही। दरअसल, क्राइम ब्रांच छह महीने से लगातार गैंग को ट्रैक कर रही थी। गैंगस्टर शरद पांडे ने पूछताछ में बताया कि टीवी पर रोज आने वाले क्राइम शो को बारीकी से देखकर पुलिस से बचने की ट्रिक सीखता था। वह किसी भी दिन के क्राइम शो को मिस नहीं करता था।
डीसीपी (क्राइम) डॉ. जी राम गोपाल नाइक ने बताया कि कई महीनों से पॉश इलाकों से महंगी कारों को लूटने की वारदात सामने आ रही थीं। इसलिए एसीपी श्वेता सिंह चौहान की निगरानी में इंस्पेक्टर गगन भास्कर की लीडरशिप में एक टीम बनाई गई। शरद के परिवार में मां-बाप और पत्नी के अलावा एक बेटी है, जो लखनऊ स्थित इसकी कोठी में रहते हैं। तीन बहनें भी हैं, जिनकी शादियां हो चुकी हैं। इंस्पेक्टर भास्कर की टीम ने इन सभी पर कड़ी निगरानी रखी। उसकी सभी गाड़ियों के बारे में जानकारी जुटाई गई। इनकी सर्विस कहां होती है, ये जानकारी भी जुटाई गई। जांच से जुड़े अफसर ने बताया कि दो महीने पहले ही इसके शार्प शूटर विजय फरमाना को दबोचा था। इस हाई-प्रोफाइल कार जैकर गैंग में उसके अलावा सुमित चिटानिया, दीपक भांजा और कपिल चिकानिया एक साथ लूट कर रहे थे। लेकिन पांडे हाथ नहीं आ रहा था।
आखिरकार सूचना मिली कि गैंगस्टर पांडे 21 जुलाई को लखनऊ के वुडलैंड सिटी टाउनशिप के अपने बंगले की डील करने वाला है, जो वहां मिल सकता है। तुरंत एक टीम लखनऊ पहुंची तो शरद उसे देखते ही भागने लगा। उसे सरेंडर करने के लिए कहा गया, लेकिन उसने पुलिस पार्टी की तरफ पिस्टल तान दी। इस दौरान वहां काफी पब्लिक थी, जिससे पुलिस और पब्लिक दोनों की जान के लिए खतरा बन गया। लेकिन इंस्पेक्टर गगन भास्कर ने उसे अपनी सूझबूझ से हथियार समेत काबू कर लिया। जांच अफसरों का मानना है कि वह काफी इंटेलिजेंट क्रिमिनल था। पांडे ने भी माना कि अगर क्राइम ब्रांच लगातार छह महीने तक पीछा नहीं करती तो उसका पकड़ा जाना नामुमकिन था।
निशाने पर रहती थीं महंगी एसयूवी
दिल्ली के आसपास के आसपास के राज्यों के नामी गैंगस्टर्स से शरद पांडे ने अपना गठजोड़ बना लिया था। इसलिए उनका साथ देते हुए मर्डर और जानलेवा हमले समेत कई संगीन वारदात में शामिल रहा। वह 2008 से जेल से बाहर आया तो फिर पुलिस की पकड़ में नहीं आया। लगातार मुकदमे दर्ज होते चले गए। इस दौरान इस कुख्यात बदमाश ने हाईप्रोफाइल लग्जरी कार जैकर गैंग बना लिया। गैंग में 20 से ज्यादा शातिर लुटेरे हैं, जिनमें कुछ जेल में हैं और कुछ बाहर हैं। इस काले कारोबार से पांडे ने अकूत प्रॉपर्टी बना ली। क्राइम ब्रांच के अफसरों ने बताया कि वह गैंग का मास्टरमाइंड है। इनके निशाने पर महंगी एसयूवी रहती थीं। अब तक वह 100 से ज्यादा लग्जरी गाड़ियां लूटने की वारदात कर चुका है।
ये लोग ड्राइवर को गन पॉइंट पर किडनैप करते थे और फिर उसे हाइवे पर फेंककर गाड़ी लेकर फरार हो जाते थे। लूटी गई इन गाड़ियों को नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में खपाया जाता था। पुलिस ने अरुणाचल प्रदेश में भेजी गईं 17 लूटी कारों की पहचान कर ली है, जबकि बाकी मामलों की जांच जारी है। अफसरों ने बताया कि अपनी काली कमाई को इसने प्रॉपर्टी में खपाया है। एक कोठी लखनऊ के जानकीपुरम में है, दूसरी कोठी वुडलैंड कॉलोनी में है, लखनऊ में एक 200 गज का प्लॉट भी है। दिल्ली के उत्तम नगर में भी एक कोठी बनाई हुई है। इसके अलावा भी प्रॉपर्टी होने की संभावना है, जिसकी जांच की जा रही है। पिछले 11 साल से कार जैकिंग कर रहा था। वह दिल्ली, हरियाणा, यूपी और पंजाब के टॉप गैंगस्टरों का करीबी है।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Read more: क्राइम शो देखकर 11 साल पुलिस से बचता रहा गैंगस्टर, थे ऐसे ठाठ