Tuesday, May 28, 2019

विधानसभा चुनाव को केजरीवाल बनाम मोदी बनाएगी आप

आंचल बंसल, नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाला दिल्ली विधानसभा चुनाव पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के दम पर लड़ने का फैसला किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद के लिए केजरीवाल को 'एकमात्र' उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जा सकता है और उनके कार्यकाल की तुलना पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल से की जा सकती है।

चुनाव प्रचार में तेजी लाने के लिए बनेगी योजना
लोकसभा चुनाव में आप दिल्ली के 70 विधानसभा सेगमेंट में से किसी में भी बढ़त बनाने में नाकाम रही, जबकि बीजेपी ने सातों लोकसभा सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखा। आप ने दिल्ली विधानसभा के 2015 के चुनाव में 67 सीटें जीती थीं। पार्टी के सूत्रों ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि आप ने चुनाव प्रचार में तेजी लाने की योजना बनाई है और जल्द ही 'इस बार केजरीवाल' की नई टैगलाइन लॉन्च की जाएगी।

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5 साल केजरीवाल जैसा टैगलाइन चाहती है आप

2015 में पार्टी की टैगलाइन '5 साल केजरीवाल' काफी लोकप्रिय हुई थी। आप 2020 के विधानसभा चुनाव के लिए भी ऐसी ही टैगलाइन चाहती है।
आप के एक पदाधिकारी ने कहा, 'दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग पर आधारित हमारा चुनाव प्रचार बहुत अधिक ध्रुवीकरण वाले लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को लुभाने में नाकाम रहा। चुनाव पूरी तरह व्यक्तित्व पर आधारित था - मोदी और राहुल गांधी के बीच एक लड़ाई। इस तरह के मुकाबले में जो लोग बीजेपी के खिलाफ थे, उन्हें केजरीवाल और आप में विकल्प नहीं दिखा और उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया। विधानसभा का चुनाव अलग प्रकार का होगा।'

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2 लोकसभा सीटों पर आप रही दूसरे स्थान पर

लोकसभा चुनाव में उत्तर पूर्व दिल्ली, चांदनी चौक और पूर्वी दिल्ली में आप तीसरे स्थान पर रही। पश्चिम और दक्षिण दिल्ली की सीटों पर कांग्रेस की स्थानीय यूनिटों में गुटबाजी के कारण उसे दूसरा स्थान मिला था। 2014 के लोकसभा चुनाव में मजबूत मोदी लहर के बावजूद दिल्ली में आप का वोट शेयर 32.90 पर्सेंट था। 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आप ने 67 सीटें जीती थी। बीजेपी को 3 सीटें ही मिल सकी थी, जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था।

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2017 के निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर गिरा

इसके बाद से आप की गिरावट का दौर शुरू हो गया था। 2017 के नगर निगम चुनाव में आप का वोट शेयर आधे से भी अधिक घट गया था। हाल के लोकसभा चुनाव में आप को दिल्ली में कुल वोटों का केवल 18.1 पर्सेंट मिला। कांग्रेस का वोट शेयर 22.5 पर्सेंट का रहा। दिल्ली में बीजेपी के जीत के अंतर से पता चलता है कि आप और कांग्रेस में गठबंधन होने पर भी बीजेपी के अवसरों पर असर नहीं पड़ता। आप और कांग्रेस का संयुक्त वोट शेयर सातों संसदीय सीटों पर बीजेपी से कम रहा है। आप ने अपनी कमजोर स्थिति को समझते हुए मौजूदा विधायकों से मतदाताओं के साथ छोटी जनसभाएं करने और उन्हें पार्टी के कार्यों की जानकारी देने को कहा है।

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