नई दिल्ली
पिछले दिनों एक डॉक्टर ने अपनी महिला मित्र का मर्डर इसलिए कर दिया क्योंकि उसने डॉक्टर के प्यार को कबूला नहीं था। उधर एक पति ने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर अपनी पत्नी की हत्या कर दी। आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में युवाओं की बड़ी संख्या सिर्फ प्यार के चक्कर में अपनी जान गंवा रही हैं। सामाजिक वैज्ञानिक इसका कारण शादी और प्रेम को लेकर सामाजिक दबाव को भी मानते हैं।
प्यार में जान ले रहे दिल्ली के युवा
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में मर्डर की सबसे बड़ी वजहों में प्यार शामिल है। आंकड़े बताते हैं कि हर महीने होने वाली 3 हत्याओं की वजह प्यार रहा है। साल के शुरुआती 4 महीनों में ही एक दर्जन हत्या का कारण प्यार में इनकार रहा है। पुलिस के मुताबिक, दिल्ली में 15 मई तक हुई 11 हत्याओं का कारण पैशन से जुड़ा हुआ था, जिसमें लड़के या लड़की को प्यार में धोखा मिला था। उधर आपसी रंजिश मर्डर की सबसे बड़ी वजह बनकर उभरी है। लगभग हर दूसरी वारदात में हत्या का कारण आपसी रंजिश रही है। इसके अलावा अचानक आए गुस्से ने भी कई जिंदगियों को खाक किया है। हत्या के मामलों की जांच में सामने आया था कि 21 हत्या के मामलों में अचानक आए गुस्से या कोई छोटी सी घटना किसी की मौत का कारण बनी है।
युवाओं में मर्डर की बड़ी वजह बन रहा प्यार
युवाओं से जुड़े तमाम तरह के अपराध अदालत तक पहुंचते हैं। इनमें जो मर्डर से जुड़े मामले होते हैं, उनमें प्यार एक बड़ी वजह बनकर सामने आता है। इस बारे में वकील संजीव यादव कहते हैं, 'युवाओं को लेकर जितने भी मामले आते हैं, उनमें लगभग 50-60 प्रतिशत तक प्यार और शादी के आसपास ही होते हैं। ज्यादातर लड़के अपनी गर्लफ्रेंड के चक्कर में मर्डर करते हैं, तो कई लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर पति का मर्डर करती हैं। हालांकि इस तरह के लोगों की कोई क्राइम हिस्ट्री तो नहीं होती है। इसलिए यह बाद में पछताते भी हैं।
जब लगता है कोई चारा नहीं बचा...
बकौल लीगल एक्सपर्ट, इस तरह के कदम लोग तब ही उठाते हैं जब उन्हें कोई और रास्ता नहीं नजर आता। जब तलाक का वैध तरीका मौजूद है, तो लोग क्यों तलाक लेने के बजाय अपने पति/पत्नी को मार देते हैं/ जवाब में एडवोकेट संजीव यादव कहते हैं, 'हमारे समाज की संरचना ही ऐसी है कि हर कोई तलाक नहीं ले पाता है। कई बार सामने वाला भी तलाक नहीं देना चाहता हैं। तो लोगों को यही लगता है कि अब जब कोई चारा नहीं है, तो रास्ते से ही हटाया जाए।'
केस 1
मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी के दौरान अपनी पुरानी प्रेमिका से युवक की मुलाकात हुई, तो युवक ने प्रेमिका के साथ मिलकर 16 मार्च को अपनी पत्नी की हत्या कर दी। इस पूरे घटनाक्रम को सूइसाइड का रूप दिया गया, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पूरी कहानी साफ हो गई। किशनगढ़ पुलिस ने 30 अप्रैल को हत्या की एफआईआर दर्ज की और पति राहुल और प्रेमिका सोनम (बदला नाम) को गिरफ्तार कर लिया।
केस 2
भाभी को देवर के साथ मोहब्बत हो गई, जिसके कारण अपना ही पति रास्ते का रोड़ा लगने लगा। देवर भी प्यार में इस कदर पागल हुआ कि भाभी के लिए अपने ही भाई की हत्या में शामिल हो गया। एक मई को न्यू उस्मानपुर में संदिग्ध रूप से प्लेस्कूल मालिक की मौत हुई थी, जिसके दो दिन बाद ही पुलिस ने देवर राहुल और पत्नी प्रीति को गिरफ्तार कर लिया था।
एक्सपर्ट का कहना है कि सामाजिक दबाव के कारण भी होते हैं ऐसे अपराध
समाजशास्त्री प्रोफेसर सुरिंदर जोधका कहते हैं कि प्यार, मोहब्बत पैशन वाले रिश्ते हैं, और जब जज्बात बेकाबू होते हैं तो इनमें लोग कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। इसलिए इसकी एक वजह तो यही है कि जुनून में इंसान बड़े कदम उठा लेता है। आमतौर पर पति-पत्नी और वो वाले मामलों में लोग हत्या जैसे क्राइम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि शादी की संस्था में वे खुद को फंसा हुआ समझते हैं। वे इसलिए भी दबाव में होते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि कुछ गलत कर रहे हैं। केसेज इसलिए भी बढ़े हैं क्योंकि समाज में हिंसा वैसे ही बढ़ रही है। अन्य देशों में आप देखें तो वहां शादी का इतना दबाव नहीं होता। वहां लोग आसानी से अलग होकर दूसरे रिश्ते की शुरूआत कर लेते हैं। ले
समाजशास्त्री जोधरा कहते हैं, 'हमारे देश में शादी से बाहर निकलना, एक दूसरे की मर्जी से अलग होना या कानूनी तरीके से डिवोर्स लेना बहुत आसान नहीं है, एक तरफ समाज का भारी दबाव तो दूसरा कोर्ट में लंबे वक्त तक केस लटके रहते हैं। वे महिलाएं जो घरेलू हिंसा का सामना कर रही हैं, पति से पिटती हैं, पर आसानी से शादी से छुटकारा नहीं पा सकतीं। समाज कहता है कि यह जन्मों-जन्मों का साथ है। ऐसे में किसी अन्य शख्स से रिलेशनशिप में पहुंच गए लोगों को लगता है कि पुराना रिश्ता हमारी मर्जी का रिश्ता नहीं है, तो उससे बाहर निकलना ही होगा, उनसे छुटकारा पाने के चलते वे मर्डर तक पहुंच जाते हैं। यहां तक कि यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली लड़कियों में से अब भी कुछ ऐसी मिल जाएंगी जो घर में यह तक नहीं बता सकतीं कि उनका कोई बॉयफ्रेंड है। ऐसे समाज में अगर किसी पत्नी का बॉयफ्रेंड हो तो यह कहां बर्दाश्त होगा। उसे तो समाज स्वीकार कर ही नहीं सकता। लड़के-लड़कियां तक सेक्स पर खुलकर बात नहीं कर सकते और यही दबाव एक गिल्ट बना देता है।'
पिछले दिनों एक डॉक्टर ने अपनी महिला मित्र का मर्डर इसलिए कर दिया क्योंकि उसने डॉक्टर के प्यार को कबूला नहीं था। उधर एक पति ने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर अपनी पत्नी की हत्या कर दी। आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में युवाओं की बड़ी संख्या सिर्फ प्यार के चक्कर में अपनी जान गंवा रही हैं। सामाजिक वैज्ञानिक इसका कारण शादी और प्रेम को लेकर सामाजिक दबाव को भी मानते हैं।
प्यार में जान ले रहे दिल्ली के युवा
दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में मर्डर की सबसे बड़ी वजहों में प्यार शामिल है। आंकड़े बताते हैं कि हर महीने होने वाली 3 हत्याओं की वजह प्यार रहा है। साल के शुरुआती 4 महीनों में ही एक दर्जन हत्या का कारण प्यार में इनकार रहा है। पुलिस के मुताबिक, दिल्ली में 15 मई तक हुई 11 हत्याओं का कारण पैशन से जुड़ा हुआ था, जिसमें लड़के या लड़की को प्यार में धोखा मिला था। उधर आपसी रंजिश मर्डर की सबसे बड़ी वजह बनकर उभरी है। लगभग हर दूसरी वारदात में हत्या का कारण आपसी रंजिश रही है। इसके अलावा अचानक आए गुस्से ने भी कई जिंदगियों को खाक किया है। हत्या के मामलों की जांच में सामने आया था कि 21 हत्या के मामलों में अचानक आए गुस्से या कोई छोटी सी घटना किसी की मौत का कारण बनी है।
युवाओं में मर्डर की बड़ी वजह बन रहा प्यार
युवाओं से जुड़े तमाम तरह के अपराध अदालत तक पहुंचते हैं। इनमें जो मर्डर से जुड़े मामले होते हैं, उनमें प्यार एक बड़ी वजह बनकर सामने आता है। इस बारे में वकील संजीव यादव कहते हैं, 'युवाओं को लेकर जितने भी मामले आते हैं, उनमें लगभग 50-60 प्रतिशत तक प्यार और शादी के आसपास ही होते हैं। ज्यादातर लड़के अपनी गर्लफ्रेंड के चक्कर में मर्डर करते हैं, तो कई लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर पति का मर्डर करती हैं। हालांकि इस तरह के लोगों की कोई क्राइम हिस्ट्री तो नहीं होती है। इसलिए यह बाद में पछताते भी हैं।
जब लगता है कोई चारा नहीं बचा...
बकौल लीगल एक्सपर्ट, इस तरह के कदम लोग तब ही उठाते हैं जब उन्हें कोई और रास्ता नहीं नजर आता। जब तलाक का वैध तरीका मौजूद है, तो लोग क्यों तलाक लेने के बजाय अपने पति/पत्नी को मार देते हैं/ जवाब में एडवोकेट संजीव यादव कहते हैं, 'हमारे समाज की संरचना ही ऐसी है कि हर कोई तलाक नहीं ले पाता है। कई बार सामने वाला भी तलाक नहीं देना चाहता हैं। तो लोगों को यही लगता है कि अब जब कोई चारा नहीं है, तो रास्ते से ही हटाया जाए।'
केस 1
मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी के दौरान अपनी पुरानी प्रेमिका से युवक की मुलाकात हुई, तो युवक ने प्रेमिका के साथ मिलकर 16 मार्च को अपनी पत्नी की हत्या कर दी। इस पूरे घटनाक्रम को सूइसाइड का रूप दिया गया, लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पूरी कहानी साफ हो गई। किशनगढ़ पुलिस ने 30 अप्रैल को हत्या की एफआईआर दर्ज की और पति राहुल और प्रेमिका सोनम (बदला नाम) को गिरफ्तार कर लिया।
केस 2
भाभी को देवर के साथ मोहब्बत हो गई, जिसके कारण अपना ही पति रास्ते का रोड़ा लगने लगा। देवर भी प्यार में इस कदर पागल हुआ कि भाभी के लिए अपने ही भाई की हत्या में शामिल हो गया। एक मई को न्यू उस्मानपुर में संदिग्ध रूप से प्लेस्कूल मालिक की मौत हुई थी, जिसके दो दिन बाद ही पुलिस ने देवर राहुल और पत्नी प्रीति को गिरफ्तार कर लिया था।
एक्सपर्ट का कहना है कि सामाजिक दबाव के कारण भी होते हैं ऐसे अपराध
समाजशास्त्री प्रोफेसर सुरिंदर जोधका कहते हैं कि प्यार, मोहब्बत पैशन वाले रिश्ते हैं, और जब जज्बात बेकाबू होते हैं तो इनमें लोग कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। इसलिए इसकी एक वजह तो यही है कि जुनून में इंसान बड़े कदम उठा लेता है। आमतौर पर पति-पत्नी और वो वाले मामलों में लोग हत्या जैसे क्राइम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि शादी की संस्था में वे खुद को फंसा हुआ समझते हैं। वे इसलिए भी दबाव में होते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि कुछ गलत कर रहे हैं। केसेज इसलिए भी बढ़े हैं क्योंकि समाज में हिंसा वैसे ही बढ़ रही है। अन्य देशों में आप देखें तो वहां शादी का इतना दबाव नहीं होता। वहां लोग आसानी से अलग होकर दूसरे रिश्ते की शुरूआत कर लेते हैं। ले
समाजशास्त्री जोधरा कहते हैं, 'हमारे देश में शादी से बाहर निकलना, एक दूसरे की मर्जी से अलग होना या कानूनी तरीके से डिवोर्स लेना बहुत आसान नहीं है, एक तरफ समाज का भारी दबाव तो दूसरा कोर्ट में लंबे वक्त तक केस लटके रहते हैं। वे महिलाएं जो घरेलू हिंसा का सामना कर रही हैं, पति से पिटती हैं, पर आसानी से शादी से छुटकारा नहीं पा सकतीं। समाज कहता है कि यह जन्मों-जन्मों का साथ है। ऐसे में किसी अन्य शख्स से रिलेशनशिप में पहुंच गए लोगों को लगता है कि पुराना रिश्ता हमारी मर्जी का रिश्ता नहीं है, तो उससे बाहर निकलना ही होगा, उनसे छुटकारा पाने के चलते वे मर्डर तक पहुंच जाते हैं। यहां तक कि यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली लड़कियों में से अब भी कुछ ऐसी मिल जाएंगी जो घर में यह तक नहीं बता सकतीं कि उनका कोई बॉयफ्रेंड है। ऐसे समाज में अगर किसी पत्नी का बॉयफ्रेंड हो तो यह कहां बर्दाश्त होगा। उसे तो समाज स्वीकार कर ही नहीं सकता। लड़के-लड़कियां तक सेक्स पर खुलकर बात नहीं कर सकते और यही दबाव एक गिल्ट बना देता है।'
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