Tuesday, May 28, 2019

शादी से इनकार पर 13 साल की लड़की को किडनैप कर जलाकर मार डाला

नई दिल्ली
एक पिता इन्साफ के लिए दर-दर भटक रहा है। उसकी 13 साल की मासूम बेटी को अगवा करके जिंदा जला दिया गया। कसूर सिर्फ इतना था कि पिता ने बेटी की कच्ची उम्र में निकाह करने से उस शख्स को इनकार कर दिया जो उसे पसंद करने लगा था। 13 दिसंबर 2018 को किडनैप किया, पिछले महीने 8 अप्रैल को वह जली हुई हालत में मिली। इस हैरतअंगेज वारदात की जांच दो थानों के बीच अटकी रही। पीड़ित परिवार का आरोप है कि घटना पर पूरी तरह से पर्दा डालने के लिए एक आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। केस की सुनवाई साकेत कोर्ट में चल रही है। जांच में लापरवाही बरतने पर करीब एक दर्जन पुलिसकर्मियों को तीन दिन पहले कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। वहीं, इस मामले में पुलिस अफसरों का कहना है कि केस पुराना है और आरोपी को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। हालांकि लड़की की मौत कैसे और किन परिस्थितियों में हुई, इसकी जांच जारी है।

पीड़ित परिवार के मुताबिक, वे लोग मूलरूप से बरेली के दातागंज के निवासी हैं। जैतपुर के खड्डा कॉलोनी में रहते हैं। पति-पत्नी के अलावा तीन बेटियां और दो बेटे हैं। इनमें एक लड़के का ऐक्सिडेंट में पैर खराब हो गया, जिसकी वजह से वह घर पर ही रहता है जबकि दूसरा बेटा पिता के साथ काम में हाथ बंटाता है। पिता रेहड़ी पर प्लास्टिक के बर्तन बेचते हैं। तीन बेटियों में सबसे बड़ी बेटी दरिंदों का शिकार बनी। मां की तबीयत ठीक न रहने की वजह से वह घर पर ही पढ़ाई करती थी और ट्यूशन पढ़ती थी।

पिता का कहना है कि उनकी बेटी का अपहरण 13 दिसंबर को हुआ था। वह नमाज पढ़ने जा रहे थे। बेटी ने बाजार से पर्स दिलाने को कहा था, वह उसे साथ ले गए। वह मस्जिद में नमाज पढ़ने चले गए, जबकि बेटी बाहर दुकानों से कुछ सामान खरीद रही थी। जब लौटकर आए तो बेटी वहां नहीं थी। पिता ने खूब ढूंढा लेकिन नहीं मिली। इस बारे में पुलिस को कॉल की। जैतपुर थाने की पुलिस ने कंप्लेंट लिखी।

परिवार का शक उस लड़के पर गया जो काफी समय से परेशान कर रहा था। दरअसल डाबड़ी निवासी आरोपी की बड़ी बहन पीड़ित परिवार में ब्याही है। 13 साल की बच्ची पर आरोपी की नजर थी, वह उसे पसंद करता था। इसके लिए परिवार ने निकाह के लिए जोर दिया लेकिन पिता का दावा है कि उन्होंने बच्ची के नाबालिग होने और आरोपी परिवार का चाल-चलन ठीक न होने की वजह से इनकार कर दिया था। इसी बात को लेकर आरोपी उन्हें तंग करने लगा।

पीड़ित परिवार ने पुलिस को इस बारे में इनपुट भी दिए और यह भी बताया कि आरोपी परिवार आपराधिक है और स्मैक के धंधे से जुड़ा है। पुलिस ने अगवा बेटी के मामले में एक बार आरोपी लड़के की मां को पकड़ा था, लेकिन फिर छोड़ दिया। इससे बौखलाए आरोपी ने इसी महीने मार्च में पीड़ित परिवार के घर पर गोली चलाई। पुलिस ने इस मामले में भी शिकायत दर्ज नहीं की। आरोप है कि पुलिस ने लड़की को ढूंढने में लापरवाही बरती।

इतना समय गुजरने के बाद 8 अप्रैल को एक अनजान नंबर से पिता के पास कॉल आई। बताया कि आप अपनी बेटी को मत ढूंढो, उसे पांच लोगों ने जिंदा जला दिया है। सफदरजंग अस्पताल में है। परिवार अस्पताल पहुंचा जहां बेटी का शव मिला। रेकॉर्ड से पता चला कि लड़की को 2 अप्रैल को जला दिया गया था। पिता हैरान हैं कि बेटी इतने दिनों अस्पताल में भर्ती रही, लेकिन पुलिस ने इस बारे में उन्हें कोई इत्तला नहीं दी। बल्कि खुद के ऊपर सवाल न उठे, इसलिए तुरंत आरोपी लड़के को ढूंढकर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

वहीं, लड़की डाबड़ी स्थित एक कमरे में 95 फीसदी जली हुई हालत में मिली थी। आरोपी का दावा था कि खाना बनाते समय उसके दुपट्टे में आग लग गई थी। पिता को आशंका है कि कैद में रही बेटी के साथ सेक्सुअल असॉल्ट भी हुआ होगा। इधर कोर्ट ने पुलिस की जांच पर सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है।

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