सिद्धार्थ राय, नई दिल्ली
पिछले दो साल से दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क काफी फैल गया है। नेटवर्क के विस्तार के कारण स्टेशनों की बढ़ी संख्या ने भी डीएमआरसी की कमाई बढ़ाई है। इन स्टेशनों की भागीदारी डीएमआरसी की नॉन-फेयर कमाई में बड़ा योगदान दे रही है। कई मेट्रो स्टेशनों के नामकरण के अधिकार की नीलामी डीएमआरसी के लिए कमाई का अच्छा जरिया बनकर सामने आई है।
डीएमआरसी के एमडी मंगू सिंह ने बताया कि कॉरपोरेशन की नॉन-फेयर आय पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है क्योंकि इस दौरान विस्तार के तहत स्टेशनों की संख्या भी काफी बढ़ गई है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा को छोड़कर पूरा नेटवर्क डीएमारसी ने तैयार किया है। 343 किलोमीटर के इस नेटवर्क पर 251 स्टेशन हैं।
एक आरटीआई के जवाब में डीएमआरसी ने बताया कि कारोबारी साल 2015-16 में कुल नॉन-फेर कमाई के रूप में उसने 441.4 करोड़ रुपये कमाए, 2016-17 में 477.5 करोड़ रुपये और 2017-2018 में कुल 502.7 करोड़ रुपये की कमाई हुई। साल 2018-19 के आंकड़े अब तक नहीं मिले हैं।
मंगू सिंह ने बताया, 'मेट्रो स्टेशन के नाम रखने के अधिकार बेचने का प्लान सफल हुआ है।' उनके मुताबिक, 'एक स्टेशन के नामकरण के अधिकार बेचने से औसतन एक करोड़ रुपये सालाना की कमाई होती है। कई स्टेशन ऐसे हैं, जिनसे 2.5 करोड़ तक का नॉन-फेयर रेवेन्यू मिल जाता है, जो अच्छा आंकड़ा है।'
मंगू सिंह ने बताया कि मेट्रो स्टेशनों के नाम रखने के अधिकारों की नीलामी से सिर्फ नॉन-फेयर कमाई का फायदा नहीं होता, बल्कि कई और फायदे होते हैं। अधिकार खरीदने वाली कंपनियां ब्रैंडिंग के लिए मेट्रो स्टेशनों को सजाती भी हैं। डीएमआरसी को स्टेशनों के बाहरी एरिया को मेनटेन करने की जरूरत नहीं पड़ती और न ही इसकी चिंता करनी पड़ती है। मंगू सिंह ने बताया कि इस नॉन-फेयर आय का इस्तेमाल जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन लिमिटेड का कर्ज चुकाने में किया जा रहा है।
डीएमआरसी ने साल 2014 से मेट्रो स्टेशनों के नाम रखने के अधिकारों की नीलामी करनी शुरू की थी, जिसकी वजह से मेट्रो को अच्छी कमाई हो रही है। पिछले 5 सालों के दौरान एनसीआर में डीएमआरसी 56 स्टेशनों के नामकरण अधिकारों की नीलामी कर चुका है। आईटीओ और विश्विद्यालय स्टेशनों के साथ इस तरह की को-ब्रैंडिंग की शुरुआत की गई थी।
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें
पिछले दो साल से दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क काफी फैल गया है। नेटवर्क के विस्तार के कारण स्टेशनों की बढ़ी संख्या ने भी डीएमआरसी की कमाई बढ़ाई है। इन स्टेशनों की भागीदारी डीएमआरसी की नॉन-फेयर कमाई में बड़ा योगदान दे रही है। कई मेट्रो स्टेशनों के नामकरण के अधिकार की नीलामी डीएमआरसी के लिए कमाई का अच्छा जरिया बनकर सामने आई है।
डीएमआरसी के एमडी मंगू सिंह ने बताया कि कॉरपोरेशन की नॉन-फेयर आय पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है क्योंकि इस दौरान विस्तार के तहत स्टेशनों की संख्या भी काफी बढ़ गई है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा को छोड़कर पूरा नेटवर्क डीएमारसी ने तैयार किया है। 343 किलोमीटर के इस नेटवर्क पर 251 स्टेशन हैं।
एक आरटीआई के जवाब में डीएमआरसी ने बताया कि कारोबारी साल 2015-16 में कुल नॉन-फेर कमाई के रूप में उसने 441.4 करोड़ रुपये कमाए, 2016-17 में 477.5 करोड़ रुपये और 2017-2018 में कुल 502.7 करोड़ रुपये की कमाई हुई। साल 2018-19 के आंकड़े अब तक नहीं मिले हैं।
मंगू सिंह ने बताया, 'मेट्रो स्टेशन के नाम रखने के अधिकार बेचने का प्लान सफल हुआ है।' उनके मुताबिक, 'एक स्टेशन के नामकरण के अधिकार बेचने से औसतन एक करोड़ रुपये सालाना की कमाई होती है। कई स्टेशन ऐसे हैं, जिनसे 2.5 करोड़ तक का नॉन-फेयर रेवेन्यू मिल जाता है, जो अच्छा आंकड़ा है।'
मंगू सिंह ने बताया कि मेट्रो स्टेशनों के नाम रखने के अधिकारों की नीलामी से सिर्फ नॉन-फेयर कमाई का फायदा नहीं होता, बल्कि कई और फायदे होते हैं। अधिकार खरीदने वाली कंपनियां ब्रैंडिंग के लिए मेट्रो स्टेशनों को सजाती भी हैं। डीएमआरसी को स्टेशनों के बाहरी एरिया को मेनटेन करने की जरूरत नहीं पड़ती और न ही इसकी चिंता करनी पड़ती है। मंगू सिंह ने बताया कि इस नॉन-फेयर आय का इस्तेमाल जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन लिमिटेड का कर्ज चुकाने में किया जा रहा है।
डीएमआरसी ने साल 2014 से मेट्रो स्टेशनों के नाम रखने के अधिकारों की नीलामी करनी शुरू की थी, जिसकी वजह से मेट्रो को अच्छी कमाई हो रही है। पिछले 5 सालों के दौरान एनसीआर में डीएमआरसी 56 स्टेशनों के नामकरण अधिकारों की नीलामी कर चुका है। आईटीओ और विश्विद्यालय स्टेशनों के साथ इस तरह की को-ब्रैंडिंग की शुरुआत की गई थी।
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