Monday, April 29, 2019

राजनीति में राह आसान नहीं, चुनौतियों के लिए तैयारः गंभीर

नई दिल्ली
क्रिकेट से राजनीति में आए गौतम गंभीर बीजेपी के टिकट से पूर्वी दिल्ली से नामांकन भरने के बाद से ही विरोधी दल के आरोपों का सामना कर रहे हैं । पहले उनका नामांकन आखिरी दिन कुछ घंटे के लिए रोका गया । उसके बाद दो वोटर आईडी रखने और अनुमति के बिना रैली के लिए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई । आम आदमी पार्टी (आप) की प्रत्याशी आतिशी और कांग्रेस के दिग्गज अरविंदर सिंह लवली का सामना कर रहे गंभीर ने स्वीकार किया कि राजनीति में चुनौतियां अलग हैं लेकिन वह इनका सामना करने के लिए तैयार हैं । उन्होंने भाषा से कहा, 'यह मेरे लिए नया है और मुझे समझ में नहीं आ रहा कि क्या कहूं । जब लोगों के पास अपने क्षेत्र को देने के लिए कुछ नहीं होता तो वह आपकी आलोचना करने लगते हैं ।'

आतिशी के इस आरोप पर, कि नियम पता नहीं होने पर खेलना नहीं चाहिए, उन्होंने कहा,'मुझे एक ही नियम पता है कि राजनीति में जज्बात, सही इरादा और साफ दिल चाहिए जो मेरे पास है । वह पता नहीं, किन नियमों की बात कर रही हैं ।' उन्होंने कहा, 'मेरा क्रिकेट कैरियर भी चुनौतियों से भरा रहा है । मैं यहां भी राह आसान होने की उम्मीद नहीं करता । चुनौतियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की प्रेरणा मिलती है । मुझे पता है कि राजनीति की राह आसान नहीं है लेकिन मैं उसके लिए तैयार हूं ।'

गंभीर ने आगे कहा, 'मैं सकारात्मक राजनीति करने आया हूं और विकास ही मेरा विजन है । हम दिल्ली को लंदन या पैरिस नहीं बल्कि ऐसा शहर बनाना चाहते हैं जहां साफ हवा और पानी हो । झूठे वादों से ज्यादा ये मूल मुद्दे जरूरी हैं ।'

टी20 विश्व कप 2007 और वनडे विश्व कप 2011 खेल चुके गंभीर का कहना है कि क्रिकेट की चुनौतियों से अभी राजनीतिक चुनौतियों की तुलना करना जल्दबाजी होगी । उन्होंने कहा, 'मुझे अभी चुनावी राजनीति में उतरे पांच ही दिन हुए हैं । अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी । यहां अलग चुनौतियां हैं लेकिन रोमांचक हैं । हम क्रिकेट खेलते थे तो मकसद लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना होता था और यहां तो हम उनकी जिंदगी में बदलाव ला सकते हैं ।'

राजनीति में आने की वजह पूछने पर उन्होंने कहा, 'मैं ऐसा इंसान नहीं हूं जो सिर्फ हर मसले पर एसी कमरे में बैठकर ट्वीट करता रहे और मैदान पर जाने का साहस नहीं दिखा सके । या तो मैं हर मसले पर आंख मूंद लेता या उसके लिए कुछ करता। जाहिर है कि मैंने दूसरा रास्ता चुना ।'

गंभीर पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने का विरोध करते आए हैं। वहीं, वह पाकिस्तान को चुनावी मसला बनाना गलत नहीं मानते । उन्होंने कहा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा अहम है और यह राष्ट्रीय एजेंडा या चुनावी मसला क्यों नहीं हो सकती । हमने पिछले 70 साल में देखा है कि बातचीत से कोई हल नहीं निकला । आपके पास अतीत में कई मौके थे कडे़ फैसले लेने के, लेकिन आपने नहीं लिए । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उरी और पुलवामा के बाद साहसिक फैसले लिए तो उन्हें बधाई देनी चाहिए।'

क्रिकेट के मैदान पर भी अपने दिल की सुनने के लिये मशहूर गंभीर ने कहा कि वह राजनीति में भी खुद को नहीं बदलेंगे । उन्होंने कहा, 'इसकी कोई जरूरत नहीं है । मैं सत्ता या पद का भूखा नहीं हूं । ऐसा होता तो पिछले साल दिल्ली की कप्तानी नहीं छोड़ता । मेरे जज्बात मेरी ताकत हैं और हमेशा रहेंगे ।'

विकास की अपनी परिभाषा के बारे में उन्होंने कहा, 'एक खिलाड़ी होने के नाते मेरे लिए सभी बराबर हैं । दिल्ली और मुंबई के युवाओं को जो मौके मिल रहे हैं, वह कश्मीर के युवाओं को भी मिलने चाहिए । विकास का लाभ सभी तबकों को मिले जिनमें ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं । हम किसी को पीछे छोड़कर विकास की कल्पना नहीं कर सकते ।'

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