Saturday, March 30, 2019

तंगहाल जिंदगी, फिर भी दिल्ली पाक शरणार्थियों का घर

अनम अजमल, नई दिल्ली
उत्तरी दिल्ली के आदर्श नगर इलाके में पाकिस्तान से भारत आए कुछ शरणार्थियों का अब घर है। भारतीयता की मिली यह नई पहचान भर ही उनके लिए बड़ी राहत है और इन परिवारों के रिहायशी इलाके में तिरंगा भी लहराता दिख जाता है। अपनी धार्मिक पहचान के कारण इन परिवारों को पाकिस्तान छोड़कर भारत आना पड़ा।

शरणार्थी परिवार जी रहे तंगहाली में

3.2 एकड़ के क्षेत्र में 110 पाकिस्तानी हिंदू परिवारों ने आसरा ले रखा है। इनमें 720 लोग हैं जिनमें से 180 बच्चे हैं और 240 महिलाएं। एक खाली जमीन के सामने यह इलाका 2013 में उस वक्त आबाद हुआ था जब तीर्थ के लिए आए 20 हिंदू परिवारों को आखिरकार आजादी मिली और उन्होंने यहीं रहने का फैसला किया। हालांकि, भारत में आजादी के साथ रहने का यह फैसला इतना आसान नहीं है क्योंकि मिट्टी के बने इन घरों में रहनेवाले लोगों को अभी तक बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिली हैं। इस इलाके में स्वच्छता की बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही है। पाकिस्तान से भारत आए ये सभी शरणार्थी खेतिहर मजदूर थे और इन्हें कोई और काम नहीं मिल सकता जिसके कारण बेरोजगारी इनकी बड़ी समस्या है।


पाक से आए हिंदुओं के लिए दिल्ली ही अब घर

जिंदगी की इन कठिनाइयों के बाद भी इन लोगों के लिए दिल्ली घर है। 55 साल के राडू कहते हैं कि दिल्ली अब उनके लिए घर की तरह है। उनका कहना है पाकिस्तान से आए शरणार्थियों का इस जगह से पुराना रिश्ता जैसा लगने लगा है। दिल्ली की 2 बस्तियों को ठिकाना बनानेवाले हर परिवार की अपनी कहानी है।

'पाकिस्तान में था डर का माहौल'
धरमू मास्टर पेशे से दर्जी हैं और 2017 में वह यहां आए। धरमू कहते हैं कि पत्नी और 3 बच्चों के साथ मैं यहां दिल्ली आया। उन्होंने बताया, '2017 में हमें हरिद्वार जाने के लिए वीजा मिला था, लेकिन घर से निकलते वक्त हम जानते थे कि अब कभी वापस लौटकर नहीं आएंगे। पाकिस्तान में हमारा अपना बिजनस था, लेकिन हमें लगातार पड़ोसी परेशान करते थे। हम पर कभी भी हमला कर दिया जाता था और हम डर के माहौल में रहते थे।' धरमू कहते हैं कि मैं यहां अब जम रहा हूं और मेरे तीनों बच्चे स्कूल जाते हैं। धरमू की बड़ी बेटी ने हाल ही में छठी क्लास की परीक्षा पास की है।

आशुतोष जोशी इन पाकिस्तानी शरणार्थियों के लिए क्राउडफंडिंग का काम कर रहे हैं। फंडिंग के जरिए मिलनेवाली रकम से इन परिवारों के लिए बुनियादी सुविधाएं जुटाने का काम कर रहे हैं।

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