Saturday, March 30, 2019

शेल्टर होम की सुरक्षा में जुटी महिला चौकीदार

अंबिका पंडित
दिल्ली के नाइट शेल्टर में बहुत सी महिलाएं रात को शरण लेती हैं और इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी कुछ अन्य महिलाओं पर होती है। इस वक्त जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैं भी चौकीदार कार्यक्रम का जोर-शोर से प्रचार हो रहा है, दिल्ली की ये महिला चौकीदार अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से निभा रही हैं। इनमें से कई महिला गार्ड रात के वक्त अपने परिवार को छोड़कर ड्यूटी करते हैं ताकि दूसरी महिलाएं सुरक्षित रह सकें।

मुनिरका फ्लाइओवर के पास टिन शेड में रात के करीब 12 बजे तक आसरा लेनेवाले बेघर लोग सो चुके हैं, लेकिन गार्ड कमलेश मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी पर डटी हैं। कमलेश इसका भी ध्यान रखती हैं कि आसरा लेनेवालों में कोई बीमार या तनावग्रस्त तो नहीं है। हर थोड़ी देर के बाद वह गेट की भी चेकिंग करती रहती हैं। 40 साल की कमलेश सिंगल मदर हैं और उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी के मैं भी चौकीदार कार्यक्रम के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

कमलेश के 3 बच्चे हैं और वह जेएनयू के पास की झुग्गियों में रहते हैं। सुबह 6 बजे जब वह अपने घर लौटती हैं तो उनके तीनों बच्चे स्कूल जाने की तैयारी कर रहे होते हैं। कमलेश के लिए अपनी इस नौकरी में कोई ग्लैमर नहीं है और यह संघर्ष और मुश्किलों से भरी हुई है। कमलेश कहती हैं कि नाइट गार्ड की नौकरी करना कोई इतनी अच्छी बात नहीं है और न ही समाज की नजर में इसका कोई स्थान है। उन्होंने कहा, 'जब मैं लोगों को बताती हूं कि नाइट गार्ड की नौकरी करती हूं तो लोग मुझे देखकर अजीब मुंह बनाते हैं।'


कमलेश कहती हैं कि मैंने 1 दशक पहले 4,500 रुपये के साथ नौकरी शुरू की थी और मेरी 12 घंटे की ड्यूटी होती थी। आज मुझे 14 हजार रुपये मिलते हैं और मैं अपने 3 बच्चों की अच्छी तरह से परवरिश कर पा रही हूं। कमलेश जैसी ही कहानी समीना खातून की भी है जो 90 महिलाओं की रखवाली का काम एक शेल्टर होम में नाइट गार्ड के तौर पर करती हैं।

35 साल की समीना खातून के 6 बच्चे हैं और वह कहती हैं कि इस नौकरी की वजह से वह सम्मान के साथ अपने परिवार का पेट पाल रही हैं। समीना कहती हैं कि जिस शेल्टर होम की आज वह रखवाली कर रही हैं उसमें कभी वह अपने बच्चों के साथ शरण के लिए आई थीं। समीना ने बताया, इस नौकरी की वजह से अब मैं और मेरे पति किराए के कमरे पर परिवार के साथ रह रहे हैं और हमारे सारे बच्चे स्कूल जाते हैं।

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