सोमरीत भट्टाचार्य, नई दिल्ली
बाबू, 'द डॉग' को अगर शाबाशी की थपकी और हड्डियों के अलावा कुछ पसंद है तो वह है कुछ सूंघने का मौका। वह टॉप ट्रैकर है। ऑल इंडिया पुलिस स्पोर्ट्स कॉम्पिटिशनों में वह दो साल से अन्य प्रतिस्पर्धियों को धूल चटा रहा है। दिल्ली पुलिस का यह डॉग स्निफिंग में माहिर है।
ऐसा लगता है कि स्निफिंग उसके परिवार की खासियत है। बाबू की बहन बेब ने भी नवंबर 2018 में आयोजित इसी गेम में तीसरा स्थान हासिल किया था, जिसमें 40 प्रतिस्पर्द्धियों ने हि्स्सा लिया था। बुधवार को लेब्रडॉर बाबू और बहन बेब ने अपने-अपने मेडल्स के साथ पोज दिया। दोनों की पर्सनैलिटी बिल्कुल अलग है। बाबू दिखावे में यकीन रखता है और बेब शर्मीली है। बाबू तारीफ का भूखा है तो बेब शांति से अपना काम कर खुश रहती है।
इनके हैंडलर्स का कहना है कि कई कुत्ते किसी अपराध को ट्रैक करने में काफी वक्त लगाते हैं, लेकिन बाबू और बेब अपराध के घंटों बाद गंध सूंघकर संदिग्धों तक पहुंचा देते हैं। दोनों का पालन-पोषण पंजाब में हुआ और मेरठ में आर्मी की वेटिनरी यूनिट में ट्रेनिंग। दोनों दिल्ली पुलिस की के9 यूनिट में साल 2017 से हैं और चूंकि दोनों स्टार्स हैं, इनकी सख्त ट्रेनिंग जारी है।
डीसीपी, पीआरओ मधुर वर्मा ने बताया, 'हम बाबू और बेब के हैंडलर्स को प्रतिस्पर्द्धाओं के लिए ट्रेनिंग देने के लिए उत्साहित करते हैं। दोनों की नस्ल अच्छी है और दिल्ली पुलिस के लिए ये एक मूल्यवान संपत्ति हैं।' अगर आप इनकी ट्रेनिंग देखना चाहते हैं तो आपको मॉडल टाउन पाउंड पहुंचना होगा, जहां इन्हें अलग-अलग हालात में काम करना सिखाया जाता है। हैंडलर साथ नहीं होता तब भी बाबू कोने-कोने में चीजों को सूंघता रहता है। वह ऊर्जा से भरपूर है और न कहने पर भी बाधाओं को कूदकर पार करता रहता है। यह उसकी उन खासियतों में से एक है जो जजों को पसंद आती है।
बाबू बहुत चंचल है, उछल-कूद करता रहता है, लेकिन उसे पता है कि कब शांत रहना है। बाबू के हैंडलर एचसी पवन कुमार ने बताया, 'लैब्रडॉर कुत्ते काम खत्म होने के बाद अपने एक्साइटमेंट को दबाने में माहिर होते हैं, जबकि अन्य प्रजातियों में यह कला नहीं होती। उनकी यह खासियत गुप्त रूप से काम करने में उनकी मदद करती है।'
बाबू और बेबे की ट्रेनिंग
खाना लैब्रडॉर डॉग्स की कमजोरी होती है और खाने को नजरअंदाज करना सीखना उनकी ट्रेनिंग का अहम हिस्सा होता है। स्टार ट्रैकर डॉग्स बाबू और बेबे को इसकी सख्त ट्रेनिंग दी जा रही है। बेबे के हैंडलर हेड कॉन्स्टेबल नागेंद्र प्रसाद ने कहा, 'कुत्ते, खासतौर पर लैब्रडॉर खाने के शौकीन होते हैं। इसलिए हम कई बार उनके सामने खाना रखते हैं और उन्हें उसे नजरअंदाज करना सिखाते हैं।'
बाबू के हैंडलर पवन ने बताया कि किसी प्रतिस्पर्द्धा से पहले तो उन्हें पशु चिकित्सकों द्वारा तय की गई डायट पर ही रखा जाता है। उनका रेगुलर मेडिकल चेकअप भी होता है। उन्होंने बताया कि नवंबर चैंपियनशिप से पहले बाबू का पेट खराब था लेकिन इससे उसके जोश में कोई कमी नहीं आई। मॉडल टाउन पाउंड के एक अन्य हैंडलर एचसी विशाल ने कहा कि बाबू एक कंप्लीट डॉग है। उन्होंने कहा, 'उसे हर टास्क के बाद शाबाशी चाहिए होती है। अगर उसे शाबाशी न दो तो वह किसी के पास फटकता रहेगा, जबतक उसकी तारीफ नहीं की जाए।'
इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ें
बाबू, 'द डॉग' को अगर शाबाशी की थपकी और हड्डियों के अलावा कुछ पसंद है तो वह है कुछ सूंघने का मौका। वह टॉप ट्रैकर है। ऑल इंडिया पुलिस स्पोर्ट्स कॉम्पिटिशनों में वह दो साल से अन्य प्रतिस्पर्धियों को धूल चटा रहा है। दिल्ली पुलिस का यह डॉग स्निफिंग में माहिर है।
ऐसा लगता है कि स्निफिंग उसके परिवार की खासियत है। बाबू की बहन बेब ने भी नवंबर 2018 में आयोजित इसी गेम में तीसरा स्थान हासिल किया था, जिसमें 40 प्रतिस्पर्द्धियों ने हि्स्सा लिया था। बुधवार को लेब्रडॉर बाबू और बहन बेब ने अपने-अपने मेडल्स के साथ पोज दिया। दोनों की पर्सनैलिटी बिल्कुल अलग है। बाबू दिखावे में यकीन रखता है और बेब शर्मीली है। बाबू तारीफ का भूखा है तो बेब शांति से अपना काम कर खुश रहती है।
इनके हैंडलर्स का कहना है कि कई कुत्ते किसी अपराध को ट्रैक करने में काफी वक्त लगाते हैं, लेकिन बाबू और बेब अपराध के घंटों बाद गंध सूंघकर संदिग्धों तक पहुंचा देते हैं। दोनों का पालन-पोषण पंजाब में हुआ और मेरठ में आर्मी की वेटिनरी यूनिट में ट्रेनिंग। दोनों दिल्ली पुलिस की के9 यूनिट में साल 2017 से हैं और चूंकि दोनों स्टार्स हैं, इनकी सख्त ट्रेनिंग जारी है।
डीसीपी, पीआरओ मधुर वर्मा ने बताया, 'हम बाबू और बेब के हैंडलर्स को प्रतिस्पर्द्धाओं के लिए ट्रेनिंग देने के लिए उत्साहित करते हैं। दोनों की नस्ल अच्छी है और दिल्ली पुलिस के लिए ये एक मूल्यवान संपत्ति हैं।' अगर आप इनकी ट्रेनिंग देखना चाहते हैं तो आपको मॉडल टाउन पाउंड पहुंचना होगा, जहां इन्हें अलग-अलग हालात में काम करना सिखाया जाता है। हैंडलर साथ नहीं होता तब भी बाबू कोने-कोने में चीजों को सूंघता रहता है। वह ऊर्जा से भरपूर है और न कहने पर भी बाधाओं को कूदकर पार करता रहता है। यह उसकी उन खासियतों में से एक है जो जजों को पसंद आती है।
बाबू बहुत चंचल है, उछल-कूद करता रहता है, लेकिन उसे पता है कि कब शांत रहना है। बाबू के हैंडलर एचसी पवन कुमार ने बताया, 'लैब्रडॉर कुत्ते काम खत्म होने के बाद अपने एक्साइटमेंट को दबाने में माहिर होते हैं, जबकि अन्य प्रजातियों में यह कला नहीं होती। उनकी यह खासियत गुप्त रूप से काम करने में उनकी मदद करती है।'
बाबू और बेबे की ट्रेनिंग
खाना लैब्रडॉर डॉग्स की कमजोरी होती है और खाने को नजरअंदाज करना सीखना उनकी ट्रेनिंग का अहम हिस्सा होता है। स्टार ट्रैकर डॉग्स बाबू और बेबे को इसकी सख्त ट्रेनिंग दी जा रही है। बेबे के हैंडलर हेड कॉन्स्टेबल नागेंद्र प्रसाद ने कहा, 'कुत्ते, खासतौर पर लैब्रडॉर खाने के शौकीन होते हैं। इसलिए हम कई बार उनके सामने खाना रखते हैं और उन्हें उसे नजरअंदाज करना सिखाते हैं।'
बाबू के हैंडलर पवन ने बताया कि किसी प्रतिस्पर्द्धा से पहले तो उन्हें पशु चिकित्सकों द्वारा तय की गई डायट पर ही रखा जाता है। उनका रेगुलर मेडिकल चेकअप भी होता है। उन्होंने बताया कि नवंबर चैंपियनशिप से पहले बाबू का पेट खराब था लेकिन इससे उसके जोश में कोई कमी नहीं आई। मॉडल टाउन पाउंड के एक अन्य हैंडलर एचसी विशाल ने कहा कि बाबू एक कंप्लीट डॉग है। उन्होंने कहा, 'उसे हर टास्क के बाद शाबाशी चाहिए होती है। अगर उसे शाबाशी न दो तो वह किसी के पास फटकता रहेगा, जबतक उसकी तारीफ नहीं की जाए।'
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