Friday, December 28, 2018

गारमेंट इंडस्ट्री के हब जाफराबाद में NIA छापे कोई नई बात नहीं

सोमरीत भट्टाचार्य, नई दिल्ली
चौहान बांगर और बाबरपुर समेत पूर्वोत्तर दिल्ली के मोहल्लों में रहने वाले लोगों को लगता है कि इलाके में नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के अभी और छापे पड़ सकते हैं। इलाके में इस तरह के छापे कोई नई बात नहीं है। पिछले कुछ सालों से कई आतंकी समूहों के संदिग्ध ऑपरेटिव यहां से गिरफ्तार हो चुके हैं।

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जीन्स फैक्ट्रियों से अटा-पटा जाफराबाद दशकों से पश्चिमी यूपी और बिहार से आने वाले प्रवासियों का लोकप्रिय ठिकाना रहा है। मुख्य शहर से 11 किलोमीटर दूर स्थित यह अर्ध-शहरी इलाका 1990 के दशक में विकसित हुआ था। इमर्जेंसी के दौरान विस्थापित हुए लोगों को बसाने के लिए इसका निर्माण हुआ था। मुस्लिम बहुल आबादी वाले इस इलाके का ठीक-ठाक विकास नहीं हुआ है। मोहल्लों के अप्रोच रोड ट्रैफिक की वजह से जाम रहते हैं।

2016 में चांद बांग और आस-पास के इलाकों में एनआईए की स्पेशल सेल के छापों में जैश-ए-मोहम्मद के 3 कथित ऑपरेटिव पकड़े गए थे। स्थानीय मस्जिद में मौलवी हाजी मुस्तकीन कबूल कहते हैं, 'यह अफसोसनाक है कि आस-पास में जब भी कहीं छापा पड़ता है तो जाफराबाद का नाम जुड़ जाता है। हम लगातार लोगों से यही कहते रहते हैं कि वे समाजविरोधी गतिविधियों से दूर रहें, लेकिन हर किसी पर निगाह रख पाना मुश्किल है।'

जाफराबाद में गारमेंट्स और छोटे खिलौनों की 10,000 से ज्यादा मध्यम और छोटी फैक्ट्रिया हैं। चौहान बांगर के एक बेकर अब्दुल हमीद बताते हैं, 'चूंकि यह इलाका लोनी से सटे है जो यूपी में पड़ता है, इसलिए असामाजिक तत्व इसका फायदा उठाते हैं। अगर युवा कट्टर बन रहे हैं तो यह निश्चित है कि कोई उन्हें बरगला रहा है। यहां आने वाले हर शख्स की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐसे लोगों को रोके।'

यहां रहने वाले लोगों की सबसे बड़ी चिंता भी यही है कि आर्थिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े इस इलाके के युवा उन तत्वों के लिए आसान शिकार हैं, जो संदिग्ध गतिविधियों के लिए उन्हें भर्ती करना चाहते हैं। गफूर शिकायती लहजे में कहते हैं, 'यहां सरकारी स्कूल हैं भी तो बहुत कम छात्र वहां पढ़ते हैं। इसकी वजह यह है कि ये स्कूल बहुत दूर हैं और वहां तक आना-जाना अपने आप में बड़ी समस्या है। असल में, कोई भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए गंभीर नहीं है।'

गफूर आगे कहते हैं, 'घरों में छोटे-छोटे इंडस्ट्रियल यूनिट लगातार बढ़ रहे हैं और अव्यवस्था को और बढ़ा रहे हैं। यही वजह है कि जाफराबाद भारत-विरोधी मॉड्यूल का सुरक्षित ठिकाना बनता जा रहा है।'

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