नई दिल्ली
पत्नी को नाइजीरियन एंबेसी में नौकरी दिलाने का ख्वाब देखना एक व्यक्ति को भारी पड़ गया। पांच लाख रुपये गंवाने जब उसे होश आया तब तक झांसा देने वाला फरार हो गया था। लुटने के बाद जब यह व्यक्ति पुलिस के पास पहुंचा तो मदद मिलने की बजाए उसकी निराशा और बढ़ गई। हार कर उसने अदालत का रुख किया जिसने नागंलोई थाने की पुलिस को मामले की जांच में तेजी लाए जाने और आरोपी का पता लगाने का निर्देश दिया।
मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट मनोज कुमार ने मोहित की शिकायत पर यह आदेश दिया। उसका आरोप था कि पिछले साल 29 नवंबर को पूजा सिंह नाम की एक महिला ने खुद को सुप्रीम कोर्ट का वकील बताया और उनकी पत्नी को नाइजीरियन एंबेसी में नौकरी दिलाने का भरोसा दिलाया। एडवोकेट प्रदीप खत्री के जरिए दायर शिकायत में आरोप है कि इस महिला ने अलग-अलग मौकों पर करीब पांच लाख रुपये दंपती से ऐंठ लिए। इसके बाद वह महिला 5 दिसंबर को शिकायतकर्ता के घर आई और उसे उसकी पत्नी के नाम पर विदेश मंत्रालय से जारी आई कार्ड और जॉइनिंग लेटर सौंप दिया।
शिकायतकर्ता के मुताबिक, जांच में आई कार्ड और जॉइनिंग लेटर फर्जी निकला। उन्हें यह तक पता चला कि झांसा देने वाली महिला वकील भी नहीं है। मोहित के मुताबिक, सच सामने आने पर महिला ने माफी मांगी और पैसे लौटाने के लिए दो-चार दिनों का वक्त दिए जाने की बात कही। बाद में वह पैसों के साथ लापता हो गई और पुलिस ने शिकायत के बावजूद उस महिला का पता लगाने और उनके पैसे दिलवाने में कोई मदद नहीं की।
डीसीपी के दखल पर तो पुलिस ने इसी साल जून में उनकी शिकायत पर पूजा सिंह नाम की महिला के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों में एफआईअर दर्ज की, लेकिन तब से लेकर आज तक उन्हें उनके केस की जांच से अनजान बनाए रखा है। शिकायतकर्ता ने अदालत से मांग की कि वह खुद इस केस की जांच की निगरानी करे और पुलिस को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए कहे।
कोर्ट के निर्देश पर जांच अधिकारी ने स्टेटस रिपोर्ट दायर की जिससे जाहिर था कि आरोपी महिला लापता है। इन सब परिस्थितियों पर गौर करते हुए अदालत ने संबंधित थाने के एसएचओ को नोटिस जारी कर मामले की जांच में तेजी लाए जाने और आरोपी महिला का पता लगाने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई अब 24 नवंबर को होगी।
पत्नी को नाइजीरियन एंबेसी में नौकरी दिलाने का ख्वाब देखना एक व्यक्ति को भारी पड़ गया। पांच लाख रुपये गंवाने जब उसे होश आया तब तक झांसा देने वाला फरार हो गया था। लुटने के बाद जब यह व्यक्ति पुलिस के पास पहुंचा तो मदद मिलने की बजाए उसकी निराशा और बढ़ गई। हार कर उसने अदालत का रुख किया जिसने नागंलोई थाने की पुलिस को मामले की जांच में तेजी लाए जाने और आरोपी का पता लगाने का निर्देश दिया।
मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट मनोज कुमार ने मोहित की शिकायत पर यह आदेश दिया। उसका आरोप था कि पिछले साल 29 नवंबर को पूजा सिंह नाम की एक महिला ने खुद को सुप्रीम कोर्ट का वकील बताया और उनकी पत्नी को नाइजीरियन एंबेसी में नौकरी दिलाने का भरोसा दिलाया। एडवोकेट प्रदीप खत्री के जरिए दायर शिकायत में आरोप है कि इस महिला ने अलग-अलग मौकों पर करीब पांच लाख रुपये दंपती से ऐंठ लिए। इसके बाद वह महिला 5 दिसंबर को शिकायतकर्ता के घर आई और उसे उसकी पत्नी के नाम पर विदेश मंत्रालय से जारी आई कार्ड और जॉइनिंग लेटर सौंप दिया।
शिकायतकर्ता के मुताबिक, जांच में आई कार्ड और जॉइनिंग लेटर फर्जी निकला। उन्हें यह तक पता चला कि झांसा देने वाली महिला वकील भी नहीं है। मोहित के मुताबिक, सच सामने आने पर महिला ने माफी मांगी और पैसे लौटाने के लिए दो-चार दिनों का वक्त दिए जाने की बात कही। बाद में वह पैसों के साथ लापता हो गई और पुलिस ने शिकायत के बावजूद उस महिला का पता लगाने और उनके पैसे दिलवाने में कोई मदद नहीं की।
डीसीपी के दखल पर तो पुलिस ने इसी साल जून में उनकी शिकायत पर पूजा सिंह नाम की महिला के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों में एफआईअर दर्ज की, लेकिन तब से लेकर आज तक उन्हें उनके केस की जांच से अनजान बनाए रखा है। शिकायतकर्ता ने अदालत से मांग की कि वह खुद इस केस की जांच की निगरानी करे और पुलिस को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए कहे।
कोर्ट के निर्देश पर जांच अधिकारी ने स्टेटस रिपोर्ट दायर की जिससे जाहिर था कि आरोपी महिला लापता है। इन सब परिस्थितियों पर गौर करते हुए अदालत ने संबंधित थाने के एसएचओ को नोटिस जारी कर मामले की जांच में तेजी लाए जाने और आरोपी महिला का पता लगाने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई अब 24 नवंबर को होगी।
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