नई दिल्ली
हत्या के सनसनीखेज मामले में अदालत ने के एक जांच अधिकारी (I.O) को भी आरोपी बनाने का आदेश दे दिया है। आरोप है कि उन्होंने केस की शुरुआती जांच में झूठे साक्ष्य गढ़े और साक्ष्यों से छेड़छाड़ की। यह अलग बात है कि अदालत के सामने सुनवाई (गवाही की प्रक्रिया) के चलते जांच अधिकारी खुद सवालों से घिरते गए। उनके खिलाफ साक्ष्य सामने आने के बाद अदालत ने उन्हें भी मामले में अभियुक्त बनाने का आदेश जारी कर दिया।
घटना 30 मार्च 2014 को आधी रात के समय जगतपुरी थाना क्षेत्र में हुई थी। यह केस एक सिपाही के बयान पर दर्ज हुआ था। सिपाही के बयान के अनुसार, उस रात वह गश्त पर था। सुनसान रोड पर एक कार के अंदर बिजनसमैन ने अपने पार्टनर की गोली मारकर हत्या कर दी। गोली सिर में लगी थी। बाद में जांच के बिनाह पर पुलिस ने दावा किया कि आरोपी का अपने बिजनस पार्टनर से लेन-देन का झगड़ा था। इसी के चलते हत्या की गई। दूसरी ओर अभियुक्त ने अपने बचाव में पुलिस को बताया कि उस रात उनका पार्टनर तनाव में था। वह दोस्त के नाते उसके साथ था। पार्टनर ने कार के डैश बोर्ड से उनकी लाइसेंसी रिवॉल्वर निकालकर आत्महत्या कर ली।
ऐसी परिस्थिति में केस में वैज्ञानिक साक्ष्य बहुत मायने रखते थे। कड़कड़डूमा की एक कोर्ट में शुक्रवार को मामले की सुनवाई के चलते जांच अधिकारी की गवाही हुई तो जांच में गोलमाल का खुलासा हुआ। अदालत ने माना कि ऐसे केसों में 'नाइट्रेट टेस्ट' करवाया जाता है, जिसमें आरोपी और मृतक के दोनों के हाथों की साइंटिफिक जांच से पता चलता कि गन शॉट के समय पिस्टल किसके हाथों में थी।
आरोप है कि जांच अधिकारी ने पोस्टमॉर्टम के दौरान मृतक का नाइट्रेट टेस्ट करवाने से इंकार कर दिया था। यह गवाही पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने अदालत के समक्ष दी थी। इससे सवाल उठने तय थे। आरोप है कि इस टेस्ट के संबंध में जांच अधिकारी ने दस्तावेजी साक्ष्यों से भी छेड़छाड़ की। कोर्ट ने जांच अधिकारी यशवीर त्यागी की गवाही समाप्त करने के बाद उन्हें आईपीसी की धारा 201 (साक्ष्य नष्ट करना) व 120-बी (षड्यंत्र में शामिल होना) के तहत आरोपी बनाने का आदेश जारी कर दिया। यशवीर त्यागी दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर हैं। घटना के दौरान जगतपुरी थाने में एसएचओ थे।
हत्या के सनसनीखेज मामले में अदालत ने के एक जांच अधिकारी (I.O) को भी आरोपी बनाने का आदेश दे दिया है। आरोप है कि उन्होंने केस की शुरुआती जांच में झूठे साक्ष्य गढ़े और साक्ष्यों से छेड़छाड़ की। यह अलग बात है कि अदालत के सामने सुनवाई (गवाही की प्रक्रिया) के चलते जांच अधिकारी खुद सवालों से घिरते गए। उनके खिलाफ साक्ष्य सामने आने के बाद अदालत ने उन्हें भी मामले में अभियुक्त बनाने का आदेश जारी कर दिया।
घटना 30 मार्च 2014 को आधी रात के समय जगतपुरी थाना क्षेत्र में हुई थी। यह केस एक सिपाही के बयान पर दर्ज हुआ था। सिपाही के बयान के अनुसार, उस रात वह गश्त पर था। सुनसान रोड पर एक कार के अंदर बिजनसमैन ने अपने पार्टनर की गोली मारकर हत्या कर दी। गोली सिर में लगी थी। बाद में जांच के बिनाह पर पुलिस ने दावा किया कि आरोपी का अपने बिजनस पार्टनर से लेन-देन का झगड़ा था। इसी के चलते हत्या की गई। दूसरी ओर अभियुक्त ने अपने बचाव में पुलिस को बताया कि उस रात उनका पार्टनर तनाव में था। वह दोस्त के नाते उसके साथ था। पार्टनर ने कार के डैश बोर्ड से उनकी लाइसेंसी रिवॉल्वर निकालकर आत्महत्या कर ली।
ऐसी परिस्थिति में केस में वैज्ञानिक साक्ष्य बहुत मायने रखते थे। कड़कड़डूमा की एक कोर्ट में शुक्रवार को मामले की सुनवाई के चलते जांच अधिकारी की गवाही हुई तो जांच में गोलमाल का खुलासा हुआ। अदालत ने माना कि ऐसे केसों में 'नाइट्रेट टेस्ट' करवाया जाता है, जिसमें आरोपी और मृतक के दोनों के हाथों की साइंटिफिक जांच से पता चलता कि गन शॉट के समय पिस्टल किसके हाथों में थी।
आरोप है कि जांच अधिकारी ने पोस्टमॉर्टम के दौरान मृतक का नाइट्रेट टेस्ट करवाने से इंकार कर दिया था। यह गवाही पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर ने अदालत के समक्ष दी थी। इससे सवाल उठने तय थे। आरोप है कि इस टेस्ट के संबंध में जांच अधिकारी ने दस्तावेजी साक्ष्यों से भी छेड़छाड़ की। कोर्ट ने जांच अधिकारी यशवीर त्यागी की गवाही समाप्त करने के बाद उन्हें आईपीसी की धारा 201 (साक्ष्य नष्ट करना) व 120-बी (षड्यंत्र में शामिल होना) के तहत आरोपी बनाने का आदेश जारी कर दिया। यशवीर त्यागी दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर हैं। घटना के दौरान जगतपुरी थाने में एसएचओ थे।
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