Monday, October 1, 2018

बुजुर्गों ने की पेंशन बढ़ाने की मांग, जंतर-मंतर पर प्रदर्शन

देवदीप मुखर्जी, नई दिल्ली
रविवार को जंतर-मंतर पर हजारों बुजुर्ग इकट्ठे हुए। उन्होंने सम्मान के साथ जीवन बिताने के लिए अपनी जरूरी मांग रखी। इस प्रदर्शन में पूरे देश से लोग आए थे। बुजुर्गों का कहना है कि उन्हें सरकारी पेंशन इतनी कम मिलती है जिसमें दवाइयों का खर्च भी नहीं चल पाता। उन्हें मात्र 200 रुपये की पेंशन दी जाती है। अररिया की रहने वाली 65 वर्षीय यशोदा देवी ने बताया, '200 रुपये की मासिक पेंशन से हम दवाई भी नहीं खरीद पाते। सरकार कैसे सोच सकती है कि हम इतने में घर चला सकते हैं जबकि आज प्याज भी 40 रुपये किलो मिलता है।'

रविवार को हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया में 'स्टेट ऑफ पेंशन इंडिया' शीर्षक के साथ एक रिपोर्ट छपी। इसमें भी बताया गया कि इंदिरा गांधी ओल्ड एज पेंशन स्कीम में 10 साल से मात्र 200 रुपये ही केंद्र की तरफ से दिए जाते हैं। राज्यों का योगदान भी इसमें बहुत कम है। पेंशन परिषद के बैनर तले इकट्ठे हुए लोगों ने मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक मार्च किया। एक विधवा महिला ने कहा, 'आधार से लिंक न होने की वजह से तीन साल से मुझे पेंशन नहीं मिली। मैं विधवा हूं और मेरा बेटा बेरोजगार है।'

सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने दावा किया कि भारत में 15 प्रतिशत लोग बुजुर्ग हैं। उन्होंने कहा, 'यह प्रदर्शन उनकी आवाज बुलंद करने के लिए है। सरकार इन्हें अनदेखा नहीं कर सकती है। इन्हें कोई पेंशन कवर नहीं दिया गया है। जैसे किसी सरकारी कर्मचारी को पेंशन के रूप में आधी सैलरी के बराबर रकम दी जाती है वैसे ही असंगठित क्षेत्र के लोगों को भी कम से कम 1500 रुपये पेंशन मिलनी चाहिए।'

अजमेर से आए 81 साल के किसान मिश्रीनाथ ने कहा, 'मैंने पूरी जिंदगी दिहाड़ी मजदूर की तरह काम किया। अब मैं काम नहीं कर सकता इसलिए बच्चों पर निर्भर हो गया हूं। क्या सरकार नहीं चाहती कि मैं जिंदगी के बचे दिन सम्मान से जी सकूं?' पेंशन परिषद के सह-संचालक निखिल ने कहा, '11 वर्षों से पेंशन स्कीम में बदलाव नहीं हुआ। सरकार महीने में 200 रुपये देती है जो कि एक दिन का केवल 7 रुपये हुआ। क्या कोई इतने में जीवन यापन कर सकता है?'

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