Tuesday, October 30, 2018

'गंभीर' लेवल के करीब दिल्ली की हवा, AQI 397

नई दिल्ली
दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति मंगलवार को सुबह ‘गंभीर’ होने के कगार पर पहुंच गई। पड़ोसी राज्यों में भारी मात्रा में पराली जलाने से इस मौसम में प्रदूषण की सबसे खराब स्थिति है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता 397 दर्ज की गई जो गंभीर स्तर से सिर्फ तीन अंक नीचे और इस मौसम में प्रदूषण के लिहाज से सबसे ज्यादा है।

आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी के 17 इलाकों में वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच चुकी है। उल्लेखनीय है कि 0 से 50 के बीच एक्यूआई ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’ श्रेणी का, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच एक्यूआई ‘गंभीर’ माना जाता है। केंद्र की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (एसएएफएआर) ने वायु गुणवत्ता की बदतर होती स्थिति के पीछे पिछले 24 घंटे में ‘भारी’ मात्रा में पराली जलाने और हवा की शांत गति को वजह बताई है। एसएएफएआर ने बताया कि मंगलवार को पीएम 2.5 (हवा में 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम मोटाई वाले कणों की मौजूदगी) द्वारा 28 प्रतिशत प्रदूषण की वजह पराली जलाने जैसे क्षेत्रीय कारण रहे।

पीएम 2.5 इस मौसम का सर्वाधिक 251 दर्ज किया गया। पीएम10 के मुकाबले बारीक कण स्वास्थ्य के लिहाज से अधिक चिंताजनक हो सकते हैं। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में पीएम 10 (हवा में 10 माइक्रोमीटर से कम की मोटाई वाले कणों की मौजूदगी) का स्तर 453 दर्ज किया गया। एसएएफएआर ने बताया कि कल और उसके अगले दिन प्रदूषण और बढ़ने की आशंका है। उसके बाद प्रदूषण कम हो सकता है। उसने कहा, ‘वायु गुणवत्ता सूचकांक अगले तीन दिनों के लिए बहुत खराब स्तर पर दर्ज किया जाएगा। पिछले 24 घंटे में भारी मात्रा में पराली जलाना और हवाओं की गति शांत होना इसकी मुख्य वजह है।’

भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम संस्थान (आईआईटीएम) ने उपग्रह के जरिए दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में बड़ी मात्रा में पराली जलाए जाने की तस्वीरें ली हैं। अधिकारियों ने बताया कि धुएं के कारण राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की एक मोटी चादर छाई हुई है।

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