दुर्गेश नंदन झा, नई दिल्ली
उबेद (15) और अर्शी (16) भाई बहन हैं और दोनों MPS1 नाम की दुर्लभ जेनेटिक बीमारी से पीड़ित हैं। यह बीमारी औसतन एक लाख में से एक बच्चे को होती है। 3 साल पहले दोनों के भाई हामिद की इसी बीमारी से मौत हो गई थी। एक बच्चे की मौत और बाकी दोनों बच्चों की हालत देखकर सदमे में पिता की भी हाल में मौत हो गई। वही परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य थे। बच्चे और पति की मौत व बाकी 2 बच्चों की गंभीर हालत से 40 साल आयशा के लिए जिंदगी अंधकारमय हो गई थी। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के एक हालिया आदेश ने आयशा को नई जिंदगी दी है। हाई कोर्ट ने AIIMS को उबेद और अर्शी को मुफ्त में एन्जाइम रीप्लेसमेंट थेरपी (ERT) उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
आयशा बताती हैं कि उनके बच्चे जन्म के वक्त सामान्य थे लेकिन जैसे-जैसे वे बढ़ते गए उन्हें दिक्कतें होने लगीं। बच्चों के जोड़ों में जकड़, चेहरे पर विकृति, आंखों की रोशनी में कमी के साथ-साथ उनका विकास भी सामान्य ढंग से नहीं हो रहा था। तमाम अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद बच्चों को दुर्लभ जेनेटिक बीमारी के बारे में पता चला। आयशा कहती हैं कि इसका एक मात्र इलाज ERT है जो बहुत महंगा है।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के दिलशाद कॉलोनी में रहने वाली आयशा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हामिद की मौत ERT नहीं होने की वजह से हुई। हालांकि उन्हें उम्मीद है कि अर्शी और उबेद का अंजाम अब हामिद की तरह नहीं होगा। उन्होंने कहा कि AIIMS ने अभी तक ERT का डेट नहीं दिया है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही डेट मिलेगी।
उबेद (15) और अर्शी (16) भाई बहन हैं और दोनों MPS1 नाम की दुर्लभ जेनेटिक बीमारी से पीड़ित हैं। यह बीमारी औसतन एक लाख में से एक बच्चे को होती है। 3 साल पहले दोनों के भाई हामिद की इसी बीमारी से मौत हो गई थी। एक बच्चे की मौत और बाकी दोनों बच्चों की हालत देखकर सदमे में पिता की भी हाल में मौत हो गई। वही परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य थे। बच्चे और पति की मौत व बाकी 2 बच्चों की गंभीर हालत से 40 साल आयशा के लिए जिंदगी अंधकारमय हो गई थी। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के एक हालिया आदेश ने आयशा को नई जिंदगी दी है। हाई कोर्ट ने AIIMS को उबेद और अर्शी को मुफ्त में एन्जाइम रीप्लेसमेंट थेरपी (ERT) उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।
आयशा बताती हैं कि उनके बच्चे जन्म के वक्त सामान्य थे लेकिन जैसे-जैसे वे बढ़ते गए उन्हें दिक्कतें होने लगीं। बच्चों के जोड़ों में जकड़, चेहरे पर विकृति, आंखों की रोशनी में कमी के साथ-साथ उनका विकास भी सामान्य ढंग से नहीं हो रहा था। तमाम अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद बच्चों को दुर्लभ जेनेटिक बीमारी के बारे में पता चला। आयशा कहती हैं कि इसका एक मात्र इलाज ERT है जो बहुत महंगा है।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के दिलशाद कॉलोनी में रहने वाली आयशा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि हामिद की मौत ERT नहीं होने की वजह से हुई। हालांकि उन्हें उम्मीद है कि अर्शी और उबेद का अंजाम अब हामिद की तरह नहीं होगा। उन्होंने कहा कि AIIMS ने अभी तक ERT का डेट नहीं दिया है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही डेट मिलेगी।
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