Saturday, September 1, 2018

HC की दखल, नाबालिगों को मिलेगी दुर्लभ बीमारी से आजादी

नई दिल्ली
दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए बनाई गई नैशनल पॉलिसी के ठीक से लागू न होने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। इतना ही नहीं कोर्ट की वक्त पर दखल की वजह से दो निर्धन नाबालिगों की एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरपी हो सकेगी। शुक्रवार को जस्टिस मनमोहन ने इससे जुड़ा निर्देश केंद्र को दिया। अब उबेद और अर्शी नाम के बच्चों को नैशनल पॉलिसी के तहत गोचर (एक दुर्लभ बीमारी जिसका इलाज काफी महंगा होता है) का एम्स में इलाज मिलेगा। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पॉलिसी से जुड़े सचिव, सेंट्रल टेक्निकल कमिटी और डायरेक्टर, नैशनल हेल्थ मिशन आदि को समन भी किया।

क्या है नैशनल पॉलिसी
जून 2017 में केंद्र सरकार ने दुर्लभ बीमारियों के लिए नैशनल पॉलिसी तैयार की थी। इसमें इन बीमारियों के इलाज के लिए 100 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। फिर भी लोगों को इलाज का फायदा नहीं मिल रहा था। कोर्ट के पास इससे जुड़ी कई शिकायतें पहुंची थीं कि सरकारी पैसे का उन्हें फायदा ही नहीं मिल रहा। ताजा फैसले से पहले अगस्त 2017 में भी जस्टिस मनमोहन ने सरकार से इस पॉलिसी को ठीक से लागू करने को कहा था ताकि जरूरतमंदों की मदद हो सके।

अब अपने फैसले में कोर्ट ने कहा, 'कोर्ट मानता है कि सरकार जल्द से जल्द सख्त कदम उठाकर यह देखे कि ग्राउंड लेवल पर काम ठीक से हो। कोर्ट ने हेल्थ ऐंड वेलफेयर मिनिस्ट्री को इसके लिए एक कमिटी बनाने को भी कहा है। इस कमिटी को बनाने के लिए सिर्फ 3 महीने का वक्त दिया गया है।' कोर्ट ने मामले में इसबार दखल अर्जी देनेवाले एक शख्स की बीमारी से मौत के बाद दी। वह शख्स नैशनल पॉलिसी के तहत एंजाइम का महंगा इलाज नहीं करवा पाया था।

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