मुरादाबाद की रहने वाली कुसुम आज भी अपने बेटे को याद करती हैं। उसे याद कर उनकी आखें भर आती हैं। उन्होंने बताया कि मेरा एक छोटा सा परिवार था। जिसमें एक बेटा, दो बेटियां व पति थे।
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