दो वर्ष के भीतर करोड़ों रुपये खर्च कर राजधानी के विभिन्न इलाकों में सात नए बस डिपो तो बनाए गए, लेकिन अभी तक इन डिपो से बसों का परिचालन पूरी तरह शुरू नहीं हो पाया है।
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