वर्ष 2010 में एक व्यक्ति की लूटपाट के बाद की गई हत्या के मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को चुनौती देने वाली याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आइएस मेहता की पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने तथ्यों व साक्ष्य से वारदात को साबित किया है। वहीं दूसरा पक्ष खुद पर लगे आरोपों के खिलाफ सुबूत पेश नहीं कर सका। ऐसे में निचली अदालत द्वारा दोषियों मोहम्मद आलम व मोहम्मद इखलाक को सुनाई गई सजा को बरकरार रखा जाता है। निचली अदालत ने मोहम्मद आलम और मोहम्मद इखलाक को दस-दस साल कठोर कारावास और पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
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