विशेष संवाददात, नई दिल्ली
व्यापारियों के संगठन चेंबर ऑफ ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को पत्र लिखकर दिल्ली के विकास के लिए मास्टर प्लान की समीक्षा करने और उसमें बदलाव करने की मांग की है। सीटीआई के कन्वीनर बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली का पहला मास्टर प्लान 1962 में बना था, जिसमें दिल्ली की योजना के अनुसार डिवेलपमेंट प्लान बना था लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण मास्टर प्लान के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। उसके बाद 1990 और 2007 के मास्टर प्लान से समस्यायें हल होने की बजाय परेशानियां बढ़ती जा रही है।
सीटीआई ने कहा है कि दिल्ली में व्यापार चौपट हो रहा है और कमर्शल एरिया में भी अब सीलिंग हो रही है। सीटीआई के महासचिव विष्णु भार्गव का कहना है कि पिछले 70 सालों में दिल्ली की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है, इसलिए अब दिल्ली में मिक्स लैंड यूज, कमर्शल और रेजिडेंशल एरिया का दर्जा दोबारा तय किया जाना चाहिए।
दिल्ली के बहुत सारे इलाके कमर्शल हैं लेकिन इसके बाद भी वहां सीलिंग हो रही है जिसके कारण व्यापारियों में भ्रम की स्थिति है। दिल्ली में वेयरहाउस और गोदाम के एरिया तय करने के साथ ही कुछ बाजारों को शिफ्ट करने के लिए भी पॉलिसी बनाई जानी चाहिए। व्यापारियों का कहना है कि दिल्ली देश का सबसे बड़ा डिस्ट्रिब्यूशन हब है लेकिन सबसे बड़ी हैरानी है कि दिल्ली में मास्टर प्लान के तहत गोदामों और वेयरहाउस की अनुमति नहीं दी गई है।
व्यापारियों के संगठन चेंबर ऑफ ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी को पत्र लिखकर दिल्ली के विकास के लिए मास्टर प्लान की समीक्षा करने और उसमें बदलाव करने की मांग की है। सीटीआई के कन्वीनर बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि दिल्ली का पहला मास्टर प्लान 1962 में बना था, जिसमें दिल्ली की योजना के अनुसार डिवेलपमेंट प्लान बना था लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण मास्टर प्लान के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। उसके बाद 1990 और 2007 के मास्टर प्लान से समस्यायें हल होने की बजाय परेशानियां बढ़ती जा रही है।
सीटीआई ने कहा है कि दिल्ली में व्यापार चौपट हो रहा है और कमर्शल एरिया में भी अब सीलिंग हो रही है। सीटीआई के महासचिव विष्णु भार्गव का कहना है कि पिछले 70 सालों में दिल्ली की परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है, इसलिए अब दिल्ली में मिक्स लैंड यूज, कमर्शल और रेजिडेंशल एरिया का दर्जा दोबारा तय किया जाना चाहिए।
दिल्ली के बहुत सारे इलाके कमर्शल हैं लेकिन इसके बाद भी वहां सीलिंग हो रही है जिसके कारण व्यापारियों में भ्रम की स्थिति है। दिल्ली में वेयरहाउस और गोदाम के एरिया तय करने के साथ ही कुछ बाजारों को शिफ्ट करने के लिए भी पॉलिसी बनाई जानी चाहिए। व्यापारियों का कहना है कि दिल्ली देश का सबसे बड़ा डिस्ट्रिब्यूशन हब है लेकिन सबसे बड़ी हैरानी है कि दिल्ली में मास्टर प्लान के तहत गोदामों और वेयरहाउस की अनुमति नहीं दी गई है।
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Read more: दिल्ली में मास्टर प्लान की समीक्षा की मांग