नई दिल्ली
दक्षिण दिल्ली के बेगमपुर गांव में सड़कों पर बहते सीवर के पानी ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। गांव में हर तीसरे दिन सीवर ओवरफ्लो करने लगता है। सड़कों पर गंदा पानी भर जाता है। लोगों का कहना है कि सीवर की लाइन काफी पुरानी हो चुकी है। इसकी वजह से यहां आए दिन सीवर ब्लॉक हो जाता है।
लोगों ने बताया कि गांव में 50 से 60 साल पहले सीवर की लाइन डाली गई थी। इतने सालों में जनसंख्या बढ़ने से सीवर पर लोड भी बढ़ गया है। ऐसे में अगर सीवर का स्थायी समाधान नहीं किया गया तो यह समस्या बनी रहेगी। बेगमपुर मस्जिद से लेकर शिव मंदिर तक गांव की को जोड़ने वाली मुख्य रोड है, यहां भी सीवर का पानी भरा रहता है। बदबू तो फैलती ही है। साथ ही बीमारियों का खतरा भी बना रहता है। यही गंदा पानी सड़क से होते हुए लोगों के घरों में भी जाता है।
ऐतिहासिक गांव होने की वजह से यहां पर्यटक भी आते हैं। हालांकि जब वे गांव के अंदर आते हैं तो गंदगी की वजह से लौटने लगते हैं।स्थानीय विधायक सोमनाथ भारती का कहना है कि बेगमपुर गांव में नई सीवर लाइन डालने के लिए चार महीने पहले प्रॉजेक्ट लगाया गया था। उस वक्त कुछ विरोध होने के कारण काम पूरा नहीं हो पाया। अब दोबारा गांव में जाकर लोगों से बात की जाएगी और इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा। इसके बाद समस्या हल हो सकेगी।
दक्षिण दिल्ली के बेगमपुर गांव में सड़कों पर बहते सीवर के पानी ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। गांव में हर तीसरे दिन सीवर ओवरफ्लो करने लगता है। सड़कों पर गंदा पानी भर जाता है। लोगों का कहना है कि सीवर की लाइन काफी पुरानी हो चुकी है। इसकी वजह से यहां आए दिन सीवर ब्लॉक हो जाता है।
लोगों ने बताया कि गांव में 50 से 60 साल पहले सीवर की लाइन डाली गई थी। इतने सालों में जनसंख्या बढ़ने से सीवर पर लोड भी बढ़ गया है। ऐसे में अगर सीवर का स्थायी समाधान नहीं किया गया तो यह समस्या बनी रहेगी। बेगमपुर मस्जिद से लेकर शिव मंदिर तक गांव की को जोड़ने वाली मुख्य रोड है, यहां भी सीवर का पानी भरा रहता है। बदबू तो फैलती ही है। साथ ही बीमारियों का खतरा भी बना रहता है। यही गंदा पानी सड़क से होते हुए लोगों के घरों में भी जाता है।
ऐतिहासिक गांव होने की वजह से यहां पर्यटक भी आते हैं। हालांकि जब वे गांव के अंदर आते हैं तो गंदगी की वजह से लौटने लगते हैं।स्थानीय विधायक सोमनाथ भारती का कहना है कि बेगमपुर गांव में नई सीवर लाइन डालने के लिए चार महीने पहले प्रॉजेक्ट लगाया गया था। उस वक्त कुछ विरोध होने के कारण काम पूरा नहीं हो पाया। अब दोबारा गांव में जाकर लोगों से बात की जाएगी और इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा। इसके बाद समस्या हल हो सकेगी।
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