सिद्धार्थ रॉय और जसजीव, नई दिल्ली
दिल्ली मेट्रो दुनिया की सभी मेट्रो सेवाओं में दूसरी सबसे ज्यादा महंगी मेट्रो सेवा है। सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट (CSE) ने 2018 के लिए लागत और कमाई पर यूबीएस रिपोर्ट के आधार पर किए गए अध्ययन में यह दावा किया है। सीएसई ने कहा है कि दिल्ली मेट्रो एक ट्रिप के लिए आधे डॉलर से थोड़ा कम चार्ज करता है।
स्टडी में पता चला है कि पिछले साल किराए में इजाफे के बाद दिल्ली में यात्री अपनी कमाई का औसतन 14 प्रतिशत मेट्रो से सफर में खर्च करते हैं। इससे ज्यादा सिर्फ हनोई में मेट्रो यात्री खर्च करते हैं, जहां यात्रियों की कमाई का औसतन 25 प्रतिशत सिर्फ मेट्रो से सफर पर खर्च हो जाता है। स्टडी में कहा गया है कि दिल्ली में रोजाना मेट्रो से सफर करने वाले 30 प्रतिशत यात्री तो अपनी कमाई का 19.5 प्रतिशत तक सिर्फ मेट्रो किराए के तौर पर खर्च करते हैं।
दूसरी तरफ दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने स्टडी को सिलेक्टिव बताया है और कहा है कि इसमें मेट्रो की तुलना अपेक्षाकृत छोटे नेटवर्कों से की गई है। CSE ने कहा है कि किराये में बढ़ोतरी की वजह से राइडरशिप में 46 प्रतिशत की कमी आई है। CSE की अनुमिता रॉय चौधरी ने मंगलवार को हुए 'टुवर्ड्स क्लीन ऐंड लो कार्बन मोबिलिटी' कॉन्क्लेव में कहा कि 2017 में 2 चरणों में मेट्रो किराए बढ़ाए गए, जिससे एक व्यापक पॉलिसी को लेकर बहस छिड़ गई।
चौधरी ने कहा कि मेट्रो को किराये का अलावा अन्य स्रोतों से राजस्व जुटाने पर जोर देना चाहिए। जल्द जारी होने जा रही सीएसई की स्टडी के मुताबिक दिल्ली मेट्रो के 30 प्रतिशत यात्रियों की मासिक आय 20 हजार रुपये है और किराए में बढ़ोतरी का मतलब है कि उन्हें अपनी कमाई का 19.5 प्रतिशत सिर्फ मेट्रो ट्रैवल पर खर्च करना पड़ रहा है। स्टडी में कहा गया है कि दिल्ली की 34 प्रतिशत आबादी बेसिक नॉन-एसी बस सर्विस को भी अफोर्ड नहीं कर सकती।
कॉन्क्लेव में दिल्ली की परिवहन आयुक्त वर्षा जोशी ने किराए में बढ़ोतरी को जायज ठहराया। उन्होंने कहा कि अगर किराए नहीं बढ़ें तो गुणवत्ता में गिरावट आ जाएगी। मेट्रो फीडर बसों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ज्यादातर यात्री इन बसों की खराब स्थिति की वजह से इनका इस्तेमाल नहीं करते। उन्होंने कहा कि फीडर बस सर्विस का किराया मेट्रो के अनुपात में नहीं बढ़ा है। उन्होंने कहा कि फीडर बसों से सफर में मेट्रो जितना आरामदायक होना चाहिए।
दिल्ली मेट्रो दुनिया की सभी मेट्रो सेवाओं में दूसरी सबसे ज्यादा महंगी मेट्रो सेवा है। सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट (CSE) ने 2018 के लिए लागत और कमाई पर यूबीएस रिपोर्ट के आधार पर किए गए अध्ययन में यह दावा किया है। सीएसई ने कहा है कि दिल्ली मेट्रो एक ट्रिप के लिए आधे डॉलर से थोड़ा कम चार्ज करता है।
स्टडी में पता चला है कि पिछले साल किराए में इजाफे के बाद दिल्ली में यात्री अपनी कमाई का औसतन 14 प्रतिशत मेट्रो से सफर में खर्च करते हैं। इससे ज्यादा सिर्फ हनोई में मेट्रो यात्री खर्च करते हैं, जहां यात्रियों की कमाई का औसतन 25 प्रतिशत सिर्फ मेट्रो से सफर पर खर्च हो जाता है। स्टडी में कहा गया है कि दिल्ली में रोजाना मेट्रो से सफर करने वाले 30 प्रतिशत यात्री तो अपनी कमाई का 19.5 प्रतिशत तक सिर्फ मेट्रो किराए के तौर पर खर्च करते हैं।
दूसरी तरफ दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने स्टडी को सिलेक्टिव बताया है और कहा है कि इसमें मेट्रो की तुलना अपेक्षाकृत छोटे नेटवर्कों से की गई है। CSE ने कहा है कि किराये में बढ़ोतरी की वजह से राइडरशिप में 46 प्रतिशत की कमी आई है। CSE की अनुमिता रॉय चौधरी ने मंगलवार को हुए 'टुवर्ड्स क्लीन ऐंड लो कार्बन मोबिलिटी' कॉन्क्लेव में कहा कि 2017 में 2 चरणों में मेट्रो किराए बढ़ाए गए, जिससे एक व्यापक पॉलिसी को लेकर बहस छिड़ गई।
चौधरी ने कहा कि मेट्रो को किराये का अलावा अन्य स्रोतों से राजस्व जुटाने पर जोर देना चाहिए। जल्द जारी होने जा रही सीएसई की स्टडी के मुताबिक दिल्ली मेट्रो के 30 प्रतिशत यात्रियों की मासिक आय 20 हजार रुपये है और किराए में बढ़ोतरी का मतलब है कि उन्हें अपनी कमाई का 19.5 प्रतिशत सिर्फ मेट्रो ट्रैवल पर खर्च करना पड़ रहा है। स्टडी में कहा गया है कि दिल्ली की 34 प्रतिशत आबादी बेसिक नॉन-एसी बस सर्विस को भी अफोर्ड नहीं कर सकती।
कॉन्क्लेव में दिल्ली की परिवहन आयुक्त वर्षा जोशी ने किराए में बढ़ोतरी को जायज ठहराया। उन्होंने कहा कि अगर किराए नहीं बढ़ें तो गुणवत्ता में गिरावट आ जाएगी। मेट्रो फीडर बसों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ज्यादातर यात्री इन बसों की खराब स्थिति की वजह से इनका इस्तेमाल नहीं करते। उन्होंने कहा कि फीडर बस सर्विस का किराया मेट्रो के अनुपात में नहीं बढ़ा है। उन्होंने कहा कि फीडर बसों से सफर में मेट्रो जितना आरामदायक होना चाहिए।
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