नई दिल्ली
15 सितंबर से इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल शुरू हो सकता है। ट्रांसपॉर्ट मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि तीन महीने के लिए इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल शुरू किया जा रहा है और ये सभी लो फ्लोर एसी बसें होंगीं। 12 मीटर लंबी इलेक्ट्रिक बसों को दिल्ली के अलग-अलग रूट्स पर चलाया जाएगा और अगले कुछ दिनों में रूट्स फाइनल कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि तीन महीने के ट्रायल की डिटेल रिपोर्ट तैयार की जाएगी। स्टडी रिपोर्ट के आधार पर सरकार इलेक्ट्रिक बसों को लाने की प्रक्रिया फाइनल करेगी।
ट्रायल से सरकार को पता चलेगा कि प्रति किलोमीटर कितना खर्च आता है, बसें तीन महीने में कितनी बार खराब होती हैं और दिल्ली की सड़कों पर बसों को चलाने में कोई परेशानी तो नहीं आती। उन्होंने कहा कि सरकार पब्लिक ट्रांसपॉर्ट को लेकर एक डिटेल सर्वे भी करवा रही है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बड़ी और छोटी बसें चलाने का प्लान फाइनल होगा। बड़ी इलेक्ट्रिक बसों के साथ-साथ छोटी बसों को भी चलाया जाएगा। छोटी सड़कों पर छोटी बसों को ही चलाया जाएगा। तीन महीने के लिए पायलट रन होगा।
साथ ही उन्होंने बताया कि दिल्ली में चार्जिंग स्टेशनों को लेकर भी मीटिंग हुई है। जगह-जगह चार्जिंग स्टेशन होंगे, क्योंकि बसों को लाने से पहले पर्याप्त संख्या में चार्जिंग स्टेशन होना बहुत जरूरी हैं। बस ऑपरेटर्स भी दिल्ली सरकार की इस योजना के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। एसटीए ऑपरेटर्स एकता मंच के प्रवक्ता श्यामलाल गोला का कहना है कि प्रदूषण पर कंट्रोल के लिए इलेक्ट्रिक बसें अहम होंगी। लेकिन सरकार को इस योजना में सब्सिडी पर खास ध्यान देना होगा।
इलेक्ट्रिक बसें महंगी होती हैं और सब्सिडी के बारे में फैसला होने पर ही बस ऑपरेटर्स इस योजना में शामिल हो सकते हैं। सरकार को सब्सिडी प्लान भी जल्द फाइनल करना होगा। पिछले महीने इलेक्ट्रिक बसों के 6 मैन्युफैक्चरर्स मीटिंग में पहुंचे और उनमें से तीन ने ट्रायल बेसिस पर इलेक्ट्रिक बसें चलाने पर सहमति जताई थी। वहीं दिल्ली सरकार पांच साल के लिए स्टेट इलेक्ट्रिक वीकल पॉलिसी भी लेकर आ रही है।
15 सितंबर से इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल शुरू हो सकता है। ट्रांसपॉर्ट मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया कि तीन महीने के लिए इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल शुरू किया जा रहा है और ये सभी लो फ्लोर एसी बसें होंगीं। 12 मीटर लंबी इलेक्ट्रिक बसों को दिल्ली के अलग-अलग रूट्स पर चलाया जाएगा और अगले कुछ दिनों में रूट्स फाइनल कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि तीन महीने के ट्रायल की डिटेल रिपोर्ट तैयार की जाएगी। स्टडी रिपोर्ट के आधार पर सरकार इलेक्ट्रिक बसों को लाने की प्रक्रिया फाइनल करेगी।
ट्रायल से सरकार को पता चलेगा कि प्रति किलोमीटर कितना खर्च आता है, बसें तीन महीने में कितनी बार खराब होती हैं और दिल्ली की सड़कों पर बसों को चलाने में कोई परेशानी तो नहीं आती। उन्होंने कहा कि सरकार पब्लिक ट्रांसपॉर्ट को लेकर एक डिटेल सर्वे भी करवा रही है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर बड़ी और छोटी बसें चलाने का प्लान फाइनल होगा। बड़ी इलेक्ट्रिक बसों के साथ-साथ छोटी बसों को भी चलाया जाएगा। छोटी सड़कों पर छोटी बसों को ही चलाया जाएगा। तीन महीने के लिए पायलट रन होगा।
साथ ही उन्होंने बताया कि दिल्ली में चार्जिंग स्टेशनों को लेकर भी मीटिंग हुई है। जगह-जगह चार्जिंग स्टेशन होंगे, क्योंकि बसों को लाने से पहले पर्याप्त संख्या में चार्जिंग स्टेशन होना बहुत जरूरी हैं। बस ऑपरेटर्स भी दिल्ली सरकार की इस योजना के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। एसटीए ऑपरेटर्स एकता मंच के प्रवक्ता श्यामलाल गोला का कहना है कि प्रदूषण पर कंट्रोल के लिए इलेक्ट्रिक बसें अहम होंगी। लेकिन सरकार को इस योजना में सब्सिडी पर खास ध्यान देना होगा।
इलेक्ट्रिक बसें महंगी होती हैं और सब्सिडी के बारे में फैसला होने पर ही बस ऑपरेटर्स इस योजना में शामिल हो सकते हैं। सरकार को सब्सिडी प्लान भी जल्द फाइनल करना होगा। पिछले महीने इलेक्ट्रिक बसों के 6 मैन्युफैक्चरर्स मीटिंग में पहुंचे और उनमें से तीन ने ट्रायल बेसिस पर इलेक्ट्रिक बसें चलाने पर सहमति जताई थी। वहीं दिल्ली सरकार पांच साल के लिए स्टेट इलेक्ट्रिक वीकल पॉलिसी भी लेकर आ रही है।
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