Thursday, August 30, 2018

सुरक्षा में लापरवाही पर स्कूलों की मान्यता होगी रद्द

नई दिल्ली
स्कूल में बच्चों की सुरक्षा में अगर स्कूल मैनेजमेंट की तरफ से लापरवाही होती है तो स्कूल पर भारी जुर्माना हो सकता है, स्कूल में एडमिशन रोके जा सकते हैं। संबंधित डीएम स्कूल पर फाइन लगा सकते हैं और एडमिशन रोक सकते हैं साथ ही सरकार से स्कूल मैनेजमेंट टेक ओवर करने की या फिर स्कूल की मान्यता रद्द करने की सिफारिश कर सकते हैं।

रायन इंटरनैशनल स्कूल में एक बच्चे की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एचआरडी मिनिस्ट्री को स्कूल मैनेजमेंट की जिम्मेदारी फिक्स करने को कहा था। अब एचआरडी मिनिस्ट्री ने राष्ट्रीय बाल आयोग के साथ मिलकर स्कूल मैनेजमेंट की जवाबदेही तय करने के लिए गाइडलाइन बनाई है। जिसमें इसका जिक्र है कि अगर स्कूल मैनेजमेंट की तरफ से लापरवाही होती है तो उन पर कैसे कार्रवाई की जा सकती है। इन्हें अभी राज्य सरकारों के पास भेजा गया है और जल्द ही इसे नोटिफाई करने की तैयारी है।

स्कूल ने अगर नहीं लागू किए सेफ्टी- सिक्योरिटी नॉर्म्स
एचआरडी मिनिस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक जवाबदेही तय करने के लिए बनाई गई गाइडलाइन में कहा गया है कि अगर प्राइवेट स्कूल, सेफ्टी- सिक्योरिटी नॉर्म्स पूरे करने में फेल होते हैं तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके मुताबिक स्कूल अगर पहले से तय सेफ्टी-सिक्योरिटी मैनुअल के हिसाब से काम नहीं करते हैं तो पहली शिकायत पर पिछले साल स्कूल के कुल रेवेन्यू का 1 पर्सेंट फाइन लगाया जाएगा। दूसरी शिकायत पर 3 पर्सेंट फाइन और तीसरी शिकायत पर 5 पर्सेंट फाइन लगाया जाएगा। जांच के बाद यह फैसला डीएम कर सकते हैं साथ ही स्कूल में अगले अकेडमिक ईयर का एडमिशन रोकने का फैसला भी कर सकते हैं।

इसके बाद भी अगर स्कूल सेफ्टी नियम लागू करने में असफल होते हैं तो डीएम स्कूल मैनेजमेंट को टेकओवर करने के लिए सरकार से सिफारिश कर सकते हैं। साथ ही सरकार स्कूल की मान्यता रद्द भी कर सकती है। गाइडलाइन के मुताबिक प्राइवेट स्कूल में पैरंट्स टीचर असोसिशन यह मॉनिटर करेगी कि सेफ्टी मैनुअल लागू हो रहा है या नहीं। लागू नहीं होने पर वह इसकी शिकायत पहले ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर से कर सकते हैं। वहां से समाधान न मिलने पर डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर और फिर डीएम से शिकायत की जा सकती है।

डीएम जांच के बाद फैसला लेंगे। सरकारी स्कूलों के मामले में स्कूल मैनेजमेंट कमिटी लोकल अथॉरिटी से इसकी शिकायत करेगी जो इसमें एक्शन लेगी। अगर स्कूल के वक्त में कोई एक्सिडेंट होता है और स्कूल की लापरवाही मिलती है तो इसकी शिकायत जेजे एक्ट के तहत सीधे पुलिस में की जाएगी।

एक महीने के भीतर पीटीए बनाना जरूरी
गाइडलाइन के मुताबिक स्कूल मैनेजमेंट कमिटी (एसएमसी) या पैरंट टीचर्स असोसिएशन (पीटीए) के साथ मिलकर स्कूल मैनेजमेंट स्कूल सेफ्टी प्लान तैयार करेगा इसे डिस्प्ले भी किया जाएगा। आरटीई में प्राइवेट स्कूलों को स्कूल मैनेजमेंट कमिटी न बनाने की छूट दी गई है इसलिए इस गाइडलाइन में कहा गया है कि प्राइवेट स्कूलों में पीटीए बनाना जरूरी होगा। अकेडमिक सेशन शुरू होने के एक महीने के भीतर पीटीए का गठन जरूरी होगा।

पीटीए में हर क्लास के हर सेक्शन से एक पैरंट प्रतिनिधि होना जरूरी है। कुल सदस्यों में से तीन चौथाई सदस्य पैरंट्स हों। वीकर सेक्शन के बच्चों के पैरंट्स का भी प्रतिनिधित्व हो। पीटीए में 50 पर्सेंट टीचर्स स्कूल मैनेजमेंट नॉमिनेट करेंगे और 50 पर्सेंट पैरंट्स प्रतिनिधि। एक सदस्य लोकल अथॉरिटी और एक स्कूल मैनेजमेंट का होगा।

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