Friday, August 31, 2018

50 हजार मरीज इंतजार में, फिर भी 9 हार्ट हुए बेकार

प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली
एक तरफ सरकार पूरे देश में ऑर्गन डोनेशन को बढ़ावा देने में लगी है लेकिन दूसरी तरफ डोनेशन से मिले 9 हार्ट बर्बाद होने का मामला सामने आ रहा है। तालमेल के अभाव में डोनेशन में मिले हार्ट किसी अस्पताल को एलोकेट नहीं हो सके, जिसकी वजह से किसी मरीज का हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं हो पाया और ये बर्बाद हो गए। यह तब हुआ जबकि इन दिनों देश के एक कोने से दूसरे कोने तक हार्ट का पहुंचकर ट्रांसपोर्ट हो रहे हैं।

डोनेट किए गए हार्ट के ट्रांसपोर्ट के लिए चार्टर प्लेन तक यूज हो रहा है। पुलिस ग्रीन कॉरिडोर की सुविधा दे रही है ताकि समय पर हार्ट को अस्पताल तक पहुंचाया जा सके। लेकिन जिंदगी और मौत से जूझ रहे ऐसे 9 मरीजों को नई जिंदगी मिलते-मिलते रह गई, उन्हें अभी और इंतजार करना पड़ेगा।

कैडेवर डोनेशन से मिले अंगों को एलोकेट करने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2014 में नैशनल ऑर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) बनाया है। सफदरजंग अस्पताल परिसर में इसका ऑफिस है, जहां से पूरे देश के अलग-अलग अस्पतालों में ऑर्गन का एलोकेशन होता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में कई ऐसे कॉल आए जब डोनर लीवर और किडनी के साथ साथ हार्ट डोनेट के लिए भी तैयार थे, लेकिन तालमेल के अभाव में 9 कॉल्स का सही से इस्तेमाल नहीं हो पाया। इस मामले में NOTTO की प्रमुख डॉक्टर वसंती रमेश से संपर्क करने की कोशिश की गई। फोन के जरिए और मैसेज के जरिए संपर्क साधा गया, लेकिन न तो फोन उठाया गया और न ही मेसेज का जवाब दिया।

सूत्रों के अनुसार नियम कहता है कि जिस अस्पताल में मरीज ब्रेन डेड होता है पहले उस राज्य के अस्पताल को अंग दिया जाता है और राज्य ही इसे एलोकेट भी करता है। आमतौर पर किडनी और लीवर राज्य के किसी न किसी अस्पताल में ट्रांसप्लांट होते हैं, इसलिए ये दोनों अंग वहां के ही अस्पताल को एलोकेट हो जाते हैं। हार्ट सभी राज्यों के अस्पतालों में ट्रांसप्लांट नहीं होता है, इसलिए इसकी सूचना तुरंत NOTTO को दी जाती है। इसके बाद NOTTO की जिम्मेदारी होती है कि वह अस्पतालों की सूची के अनुसार और डोनर के ब्लड ग्रुप के अनुसार हार्ट एलोकेट करे। जानकारी के अनुसार पिछले कुछ दिनों से NOTTO यह काम कर नहीं पा रहा है जिसकी वजह से नौ हार्ट बर्बाद हो गए।

सूत्रों के अनुसार 13 अगस्त को महाराष्ट्र के औरंगाबाद से, 15 को मुंबई से, 17 को कोलकाता से हार्ट के लिए कॉल आई थी। 21 अगस्त को तीन हार्ट के लिए शोलापुर, औरंगाबाद और इंदौर से कॉल आई थी। इसके बाद 22 को फिर कोलकाता से, 24 को पीजीआई चंडीगढ़ से और 28 अगस्त को मदुरै से कॉल आई। इस सभी हार्ट का इस्तेमाल नहीं हो पाया। जबकि एक अनुमान के अनुसार पूरे देश में 50 हजार मरीज हार्ट ट्रांसप्लांट के इंतजार में हैं लेकिन पिछले दो सालों में पूरे देश में लगभग 300 ही हार्ट ट्रांसप्लांट हुए हैं, ऐसे में 9 हार्ट का बर्बाद हो जाना बड़ा सवाल खड़ा करता है।

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