नई दिल्ली
हरियाणा के हथिनीकुंड से छोड़ा जानेवाला पानी दिल्ली के लिए जल प्रलय लेकर आया है। यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। यमुना के तट से आ रही तस्वीरों और विडियोज में भी बिगड़े हालात साफ दिख रहे हैं। लोगों के घरों के दरवाजों तक पानी आ चुका है।
ताजा विडियो में देखा जा सकता है कि यमुना नदी के पानी का प्रवाह काफी तेज हो गया है। यमुना के किनारे पर बैठकर लोग पानी को देख रहे हैं। वहां मौजूद घरों में पानी मानों जैसे बस भरने ही वाला है। इससे पहले भी कुछ तस्वीरें आई थीं, जिनमें लोगों के कच्चे घरों में पानी भर गया था। इतना ही नहीं यमुना के किनारे खेती करने वाले किसानों की फसल खराब होने से उन्हें भी नुकसान हुआ है।
बढ़ते जलस्तर की वजह से प्रशासन लगातार लोगों को ऊंचे स्थान पर शिफ्ट करने में लगा हुआ है, लेकिन लोगों की परेशानियां यहीं खत्म नहीं होती। बिहार के अररिया से कुछ साल पहले दिल्ली आकर रिक्शा चला रहे मोहम्मद तहजीब ने कहा, 'मेरे सिर पर सिर्फ यही तो छत थी, यह चली गई तो मैं कहां जाऊंगा?' तहजीब जैसे बहुत से लोग हैं जो यमुना नदी के 'प्रकोप' से प्रभावित हैं।
पढ़ें: यमुना उफान पर, और बिगड़ेंगे हालात
यमुना नदी से इन दिनों वे भी परेशान हैं, जिनका अबतक घर भी इसी नदी की बदौलत चलता है। यमुना किनारे रहनेवाले 35 साल के ओमप्रकाश बताते हैं, 'मेरे पिताजी और फिर मैं सब यहीं पैदा हुए। पिछले कुछ सालों से मॉनसून में नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। मैं इससे डरता तो नहीं, लेकिन यह मेरे परिवार पर असर जरूर डालता है। गुजारे के लिए मुझे रोज नदी में छलांग लगाकर वहां से लोगों द्वारा फेंके गए सिक्कों और कीमती सामानों को ढूंढना होता है। लेकिन पानी बढ़ने की वजह से मैं वहां नहीं जा पा रहा।' ओमप्रकाश रोजाना 300 रुपये तक बना लेते हैं, लेकिन फिलहाल सब ठप है।
हरियाणा के हथिनीकुंड से छोड़ा जानेवाला पानी दिल्ली के लिए जल प्रलय लेकर आया है। यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। यमुना के तट से आ रही तस्वीरों और विडियोज में भी बिगड़े हालात साफ दिख रहे हैं। लोगों के घरों के दरवाजों तक पानी आ चुका है।
ताजा विडियो में देखा जा सकता है कि यमुना नदी के पानी का प्रवाह काफी तेज हो गया है। यमुना के किनारे पर बैठकर लोग पानी को देख रहे हैं। वहां मौजूद घरों में पानी मानों जैसे बस भरने ही वाला है। इससे पहले भी कुछ तस्वीरें आई थीं, जिनमें लोगों के कच्चे घरों में पानी भर गया था। इतना ही नहीं यमुना के किनारे खेती करने वाले किसानों की फसल खराब होने से उन्हें भी नुकसान हुआ है।
बढ़ते जलस्तर की वजह से प्रशासन लगातार लोगों को ऊंचे स्थान पर शिफ्ट करने में लगा हुआ है, लेकिन लोगों की परेशानियां यहीं खत्म नहीं होती। बिहार के अररिया से कुछ साल पहले दिल्ली आकर रिक्शा चला रहे मोहम्मद तहजीब ने कहा, 'मेरे सिर पर सिर्फ यही तो छत थी, यह चली गई तो मैं कहां जाऊंगा?' तहजीब जैसे बहुत से लोग हैं जो यमुना नदी के 'प्रकोप' से प्रभावित हैं।
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यमुना नदी से इन दिनों वे भी परेशान हैं, जिनका अबतक घर भी इसी नदी की बदौलत चलता है। यमुना किनारे रहनेवाले 35 साल के ओमप्रकाश बताते हैं, 'मेरे पिताजी और फिर मैं सब यहीं पैदा हुए। पिछले कुछ सालों से मॉनसून में नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। मैं इससे डरता तो नहीं, लेकिन यह मेरे परिवार पर असर जरूर डालता है। गुजारे के लिए मुझे रोज नदी में छलांग लगाकर वहां से लोगों द्वारा फेंके गए सिक्कों और कीमती सामानों को ढूंढना होता है। लेकिन पानी बढ़ने की वजह से मैं वहां नहीं जा पा रहा।' ओमप्रकाश रोजाना 300 रुपये तक बना लेते हैं, लेकिन फिलहाल सब ठप है।
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