नई दिल्ली
शनिवार की शाम से लोग बारापूला एलिवेटेड रोड के फेज-2 का इस्तेमाल आने-जाने के लिए कर सकेंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाथों उद्घाटन होने के बाद इस रोड पर ट्रैफिक चलने लगेगा। इसके बाद नोएडा और ईस्ट दिल्ली के अन्य इलाकों में रहने वाले लोग जाम में फंसे बिना सीधे एम्स और सफदरजंग पहुंच सकेंगे। इस एलिवेटेड रोड के खुलने से समय की बचत तो होगी ही, ईंधन की भी बचत होगी, जिसका सीधा असर दिल्ली के पर्यावरण पर भी पड़ेगा।
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के मुताबिक, रिंग रोड के रास्ते सराय काले खां से एम्स जाने के लिए जितना वक्त लगता है, उसके मुकाबले नई एलिवेटेड रोड के खुलने के बाद करीब 15 से 20 मिनट का वक्त कम लगेगा। इससे ईंधन की खपत कम होगी और कार्बन का उत्सर्जन भी कम होगा, प्रतिदिन करीब 10.5 लाख टन कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। इतनी कार्बन डायऑक्साइड को एब्जॉर्ब करने के लिए करीब 1.75 लाख पेड़ों की जरूरत पड़ती है। यानी इतने पेड़ों का काम अकेले यह रोड कर सकेगी, जिससे दिल्ली के पर्यावरण पर काफी अनुकूल असर पड़ेगा।
इससे सालाना करीब 160 करोड़ रुपये की बचत होगी। इसी तरह से करीब साढ़े 3 साल में ही इस प्रॉजेक्ट की लागत वसूल हो जाएगी, जो करीब 530 करोड़ रुपये है।
बारापूला फेज-2 के तहत 2.038 किमी लंबी एलिवेटेड रोड के अलावा 7 रैंप भी बनाए गए हैं, जो इस रोड को दूसरे अलग-अलग रास्तों से जोड़ेंगे। मसलन, रिंग रोड पर सफदरजंग हॉस्पिटल की तरफ से आ रहे लोग सीधे एलिवेटेड रोड पर जा सकें, इसके लिए 517 मीटर लंबा एक लूप बनाया गया है, जो अरविंदो मार्ग के ऊपर से होकर सीधा एलिवेटेड रोड से कनेक्ट होगा। इसके अलावा त्यागराज स्टेडियम, पिलंजी गांव, आईएनए की तरफ से एलिवेटेड रोड पर आने-जाने के लिए भी रैंप बनाए गए हैं।
एक रोड कई फायदे
जाम से मुक्ति: नोएडा और ईस्ट दिल्ली के लोग जाम में फंसे बिना सीधे एम्स और सफदरजंग पहुंच सकेंगे
पर्यावरण सुधरेगा: प्रतिदिन करीब 10.5 लाख टन कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा
पेड़ों जैसा फायदा: दिल्ली के पर्यावरण को पौने 2 लाख पेड़ों जितना फायदा पहुंचाएगा बारापूला फेज-2
पैसे भी बचेंगे: पेट्रोल बचेगा, सालाना करीब 160 करोड़ रुपये की सोशियो-इकनॉमिक सेविंग होगी।
सामने आईं कई चुनौतियां
इस रोड के निर्माण के दौरान कई बड़ी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। इनमें रेलवे लाइन के ऊपर से एलिवेटेड रोड को निकाला, बारापूला नाले का फ्लो रोके बिना रोड के पिलर्स खड़े करना, रिंग रोड और अरविंदो मार्ग के ट्रैफिक को रोके बिना रैंप बनाना, अरविंदो मार्ग पर मेट्रो की अंडरग्राउंड टनल के स्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाए बिना स्पैन का निर्माण करना, आईएनए के पास स्टील के आर्च शेप वाले ब्रिज का निर्माण जैसी कई चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटा गया। हालांकि कई तकनीकी कारणों के चलते यह प्रोजेक्ट अपनी डेडलाइन से करीब साढ़े 3 साल डिले जरूर हुआ, लेकिन अब इस रोड के खुल जाने से उस इंतजार की भरपाई जरूर हो जाएगी।
शनिवार की शाम से लोग बारापूला एलिवेटेड रोड के फेज-2 का इस्तेमाल आने-जाने के लिए कर सकेंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाथों उद्घाटन होने के बाद इस रोड पर ट्रैफिक चलने लगेगा। इसके बाद नोएडा और ईस्ट दिल्ली के अन्य इलाकों में रहने वाले लोग जाम में फंसे बिना सीधे एम्स और सफदरजंग पहुंच सकेंगे। इस एलिवेटेड रोड के खुलने से समय की बचत तो होगी ही, ईंधन की भी बचत होगी, जिसका सीधा असर दिल्ली के पर्यावरण पर भी पड़ेगा।
पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के मुताबिक, रिंग रोड के रास्ते सराय काले खां से एम्स जाने के लिए जितना वक्त लगता है, उसके मुकाबले नई एलिवेटेड रोड के खुलने के बाद करीब 15 से 20 मिनट का वक्त कम लगेगा। इससे ईंधन की खपत कम होगी और कार्बन का उत्सर्जन भी कम होगा, प्रतिदिन करीब 10.5 लाख टन कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा। इतनी कार्बन डायऑक्साइड को एब्जॉर्ब करने के लिए करीब 1.75 लाख पेड़ों की जरूरत पड़ती है। यानी इतने पेड़ों का काम अकेले यह रोड कर सकेगी, जिससे दिल्ली के पर्यावरण पर काफी अनुकूल असर पड़ेगा।
इससे सालाना करीब 160 करोड़ रुपये की बचत होगी। इसी तरह से करीब साढ़े 3 साल में ही इस प्रॉजेक्ट की लागत वसूल हो जाएगी, जो करीब 530 करोड़ रुपये है।
बारापूला फेज-2 के तहत 2.038 किमी लंबी एलिवेटेड रोड के अलावा 7 रैंप भी बनाए गए हैं, जो इस रोड को दूसरे अलग-अलग रास्तों से जोड़ेंगे। मसलन, रिंग रोड पर सफदरजंग हॉस्पिटल की तरफ से आ रहे लोग सीधे एलिवेटेड रोड पर जा सकें, इसके लिए 517 मीटर लंबा एक लूप बनाया गया है, जो अरविंदो मार्ग के ऊपर से होकर सीधा एलिवेटेड रोड से कनेक्ट होगा। इसके अलावा त्यागराज स्टेडियम, पिलंजी गांव, आईएनए की तरफ से एलिवेटेड रोड पर आने-जाने के लिए भी रैंप बनाए गए हैं।
एक रोड कई फायदे
जाम से मुक्ति: नोएडा और ईस्ट दिल्ली के लोग जाम में फंसे बिना सीधे एम्स और सफदरजंग पहुंच सकेंगे
पर्यावरण सुधरेगा: प्रतिदिन करीब 10.5 लाख टन कार्बन डायऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा
पेड़ों जैसा फायदा: दिल्ली के पर्यावरण को पौने 2 लाख पेड़ों जितना फायदा पहुंचाएगा बारापूला फेज-2
पैसे भी बचेंगे: पेट्रोल बचेगा, सालाना करीब 160 करोड़ रुपये की सोशियो-इकनॉमिक सेविंग होगी।
सामने आईं कई चुनौतियां
इस रोड के निर्माण के दौरान कई बड़ी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा। इनमें रेलवे लाइन के ऊपर से एलिवेटेड रोड को निकाला, बारापूला नाले का फ्लो रोके बिना रोड के पिलर्स खड़े करना, रिंग रोड और अरविंदो मार्ग के ट्रैफिक को रोके बिना रैंप बनाना, अरविंदो मार्ग पर मेट्रो की अंडरग्राउंड टनल के स्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाए बिना स्पैन का निर्माण करना, आईएनए के पास स्टील के आर्च शेप वाले ब्रिज का निर्माण जैसी कई चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटा गया। हालांकि कई तकनीकी कारणों के चलते यह प्रोजेक्ट अपनी डेडलाइन से करीब साढ़े 3 साल डिले जरूर हुआ, लेकिन अब इस रोड के खुल जाने से उस इंतजार की भरपाई जरूर हो जाएगी।
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