Friday, July 27, 2018

इस कॉलोनी की दुआ, बारिश न आए, न हवा

नई दिल्ली
जर्जर इमारतें, टूटे हुए छज्जे। कुछ ऐसी है हरिनगर का डीएमएस कॉलोनी। जो जा सका, कॉलोनी छोड़कर चला गया, जो हैं जान जोखिम में डालकर रह रहे हैं। बारिश इस कॉलोनी के लिए भूकंप से कम नहीं है। यह कहना है यहां रहने वाले लोगों का। 1987 में बनी इस कॉलोनी में करीब 489 फ्लैट हैं। सभी जर्जर हालत में हैं। वैसे तो आधे से ज्यादा फ्लैट अभी खाली हैं। लेकिन जो परिवार यहां हैं, सभी डर के रहते हैं। लोगों का कहना है कि हल्की बारिश और तेज हवा चलते ही कॉलोनी की बिल्डिंगों के छज्जे टूटकर गिरने लगते हैं। कई बार इसकी शिकायत डीएमएस और सीपीडब्ल्यूडी को दी, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।

लोगों का यह भी आरोप है कि वह हर साल विभाग को मेंटनेंस देते हैं। 2013-14 में करीब 40 लाख रुपये दिए थे, जोकि सीपीडब्ल्यूडी को मिले थे। इसके बाद भी बिल्डिंगों की मरम्मत नहीं की गई। जर्जर बिल्डिंग्स की शिकायत को लेकर वह कई बार सांसद, विधायक और डीएमएस के बड़े अधिकारियों से भी मिले। लेकिन किसी ने उन पर ध्यान नहीं दिया।


लोगों का कहना है कि आए दिन हो रहे हादसों से यहां के लोग डरे हुए हैं कि कहीं कोई बड़ा हादसा उन्हें न नुकसान पहुंचाए। कॉलोनी के ब्लॉक 1-13, 23, 24 और 18-20 नंबर ब्लॉक सबसे अधिक जर्जर है। लोगों का कहना है कि आसपास झाड़ियां उग गई हैं। खाली बिल्डिंगों को नशेड़ियों ने अड्डा बना लिया है।

वहां रहनेवाले भोपाल सिंह कहते हैं, 'परिवार में छोटे बच्चे हैं। हल्की बारिश से भी वह डर जाते हैं। न जाने कब, कौन दीवार से प्लास्टर टूट कर गिर जाए। आए दिन छज्जे और प्लास्टर टूटकर गिरते हैं।' एक अन्य निवासी ओम प्रकाश यादव ने कहा, 'कई बार शिकायत कर चुके हैं, प्रशासन ध्यान नहीं देता। विधायक सांसद आते हैं। आश्वासन देते हैं। कार्रवाई नहीं होती। सीपीडब्ल्यूडी को लाखों रुपये फंड जाता है। इसका सबूत हमारे पास है।'

मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।


Read more: इस कॉलोनी की दुआ, बारिश न आए, न हवा