नई दिल्ली
11 सामूहिक मौतों के गवाह भाटिया परिवार के घर से रोज चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। पुलिस को जो रजिस्टर मिले हैं उनसे संकेत मिलता है कि परिवार में कई बार मोक्ष प्राप्ति के लिए रिहर्सल किया गया था और इस बार भी सब रिहर्सल के तौर पर ही किया जा रहा था। साथ ही, घर के बेटे ललित के बच्चों के क्लासमेट्स से बात करने पर इस बात के भी पुख्ता संकेत मिले हैं कि ललित मृत पिता से बात किया करते थे।
पुलिस को लगता है कि यह घटना उनकी मोक्ष प्राप्ति का बस रिहर्सल थी और यह पिछले कई दिनों से चल रही थी, जिसमें पूरे परिवार को उम्मीद थी कि अगर फांसी के फंदे से वे लटक भी जाएंगे, तो 'मृत पिता' आकर बचा लेंगे। फिर एक-दूसरे के हाथ खोलने में मदद करेंगे।
पढ़ें: घर से मिले 20 रजिस्टर, 2007 से लिखी जा रही थी 'मोक्ष' की कहानी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 2007 में ललित के पिता भोपाल दास की मौत हुई थी। ललित ने परिवार को बताया था कि तभी से उसके सपने में पिता आते हैं। ललित को अहसास होने लगा था कि वह मृत पिता की रूह के संपर्क में है। मंगलवार को इस बात की पुष्टि पुलिस को उन लोगों से हुई, जिन्होंने बताया कि ललित के बच्चे अकसर साथ पढ़ने वालों से कहते थे, ‘आज फिर हमारे पापा के ऊपर दादाजी आए थे।’ जैसी अटकलें थीं कि परिवार ने किसी तांत्रिक बाबा के चक्कर में आत्महत्याएं कीं, इसे पुलिस ने सिरे से खारिज किया है।
पढ़ें: किसी बाबा ने नहीं, बेटे ने 'लटकाया' परिवार
ललित ने सपने में कही पिता की बातों को 2007 से ही रजिस्टर में लिखना शुरू कर दिया था। पुलिस को अब तक 20 से अधिक रजिस्टर और डायरी मिल चुकी हैं। एक रजिस्टर तो 2007 से लिखा मिला है। पुलिस को मिले 24 जून के नोट पर अगर गौर करें, तो हर लाइन के अलग मायने हैं, जो इस बात पर जोर देते हैं कि पूरा परिवार मरना नहीं चाहता था। पुलिस सूत्रों की मानें तो जिस अवस्था में घर में सभी शव मिले, उसमें बड़े भाई भुवनेश उर्फ भूपी के शव को देखकर लगता है कि अंत समय उसने अपने चेहरे के हिस्से को ऊपर-नीचे कर फंदे से बचने की कोशिश की होगी। मगर वह बच नहीं सका।
घर में कई बार हुआ मोक्ष का रिहर्सल
ललित ने परिवार के सदस्यों को भरोसा दिया था कि स्वर्गीय पिता से उन्हें इस बारे में संदेश मिला है। तंत्र-मंत्र या पूजा की बात करें, तो ललित काफी सक्रिय था। नोट में मंगल, शनि, वीर और रविवार शब्द का जिक्र बताता है कि इन दिनों बार-बार प्रक्रिया को अपनाया गया। सभी के दिल और दिमाग में डायरी में लिखी इस बात को बैठा दिया गया था कि ‘ढीलापन और अविश्वास नुकसानदायक होता है। श्रद्धा में तालमेल और आपसी सहयोग जरूरी होता है। विश्वास और दृढ़ता से करो, मध्यम रोशनी का प्रयोग करना है।’ घर में जिस जगह सभी लोगों ने फांसी लगाई वहां ऊपरी हिस्से पर जाल के कारण रोशनी कम थी।
रजिस्टर में ललित के हवाले से परिवार को याद दिलाया गया है कि किस तरह उसने इस फैमिली के लिए कुर्बानियां दीं।
11 सामूहिक मौतों के गवाह भाटिया परिवार के घर से रोज चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। पुलिस को जो रजिस्टर मिले हैं उनसे संकेत मिलता है कि परिवार में कई बार मोक्ष प्राप्ति के लिए रिहर्सल किया गया था और इस बार भी सब रिहर्सल के तौर पर ही किया जा रहा था। साथ ही, घर के बेटे ललित के बच्चों के क्लासमेट्स से बात करने पर इस बात के भी पुख्ता संकेत मिले हैं कि ललित मृत पिता से बात किया करते थे।
पुलिस को लगता है कि यह घटना उनकी मोक्ष प्राप्ति का बस रिहर्सल थी और यह पिछले कई दिनों से चल रही थी, जिसमें पूरे परिवार को उम्मीद थी कि अगर फांसी के फंदे से वे लटक भी जाएंगे, तो 'मृत पिता' आकर बचा लेंगे। फिर एक-दूसरे के हाथ खोलने में मदद करेंगे।
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पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 2007 में ललित के पिता भोपाल दास की मौत हुई थी। ललित ने परिवार को बताया था कि तभी से उसके सपने में पिता आते हैं। ललित को अहसास होने लगा था कि वह मृत पिता की रूह के संपर्क में है। मंगलवार को इस बात की पुष्टि पुलिस को उन लोगों से हुई, जिन्होंने बताया कि ललित के बच्चे अकसर साथ पढ़ने वालों से कहते थे, ‘आज फिर हमारे पापा के ऊपर दादाजी आए थे।’ जैसी अटकलें थीं कि परिवार ने किसी तांत्रिक बाबा के चक्कर में आत्महत्याएं कीं, इसे पुलिस ने सिरे से खारिज किया है।
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ललित ने सपने में कही पिता की बातों को 2007 से ही रजिस्टर में लिखना शुरू कर दिया था। पुलिस को अब तक 20 से अधिक रजिस्टर और डायरी मिल चुकी हैं। एक रजिस्टर तो 2007 से लिखा मिला है। पुलिस को मिले 24 जून के नोट पर अगर गौर करें, तो हर लाइन के अलग मायने हैं, जो इस बात पर जोर देते हैं कि पूरा परिवार मरना नहीं चाहता था। पुलिस सूत्रों की मानें तो जिस अवस्था में घर में सभी शव मिले, उसमें बड़े भाई भुवनेश उर्फ भूपी के शव को देखकर लगता है कि अंत समय उसने अपने चेहरे के हिस्से को ऊपर-नीचे कर फंदे से बचने की कोशिश की होगी। मगर वह बच नहीं सका।
घर में कई बार हुआ मोक्ष का रिहर्सल
ललित ने परिवार के सदस्यों को भरोसा दिया था कि स्वर्गीय पिता से उन्हें इस बारे में संदेश मिला है। तंत्र-मंत्र या पूजा की बात करें, तो ललित काफी सक्रिय था। नोट में मंगल, शनि, वीर और रविवार शब्द का जिक्र बताता है कि इन दिनों बार-बार प्रक्रिया को अपनाया गया। सभी के दिल और दिमाग में डायरी में लिखी इस बात को बैठा दिया गया था कि ‘ढीलापन और अविश्वास नुकसानदायक होता है। श्रद्धा में तालमेल और आपसी सहयोग जरूरी होता है। विश्वास और दृढ़ता से करो, मध्यम रोशनी का प्रयोग करना है।’ घर में जिस जगह सभी लोगों ने फांसी लगाई वहां ऊपरी हिस्से पर जाल के कारण रोशनी कम थी।
रजिस्टर में ललित के हवाले से परिवार को याद दिलाया गया है कि किस तरह उसने इस फैमिली के लिए कुर्बानियां दीं।
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