नई दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी में 16 दिसंबर, 2012 को चलती बस में क्रूरतम गैंगरेप में जान गंवाने वाली निर्भया की मां आशा देवी कहती हैं कि महिला के मुद्दों पर जोर-शोर से बातें करने वाली राजनीतिक पार्टियां अक्सर चुनावों से पहले वोट बंटोरने के लिए महिलाओं के मान-सम्मान, सुरक्षा और सशक्तीकरण के वादे करती हैं, लेकिन वोट मिलने के बाद उन वादों को भुला देती हैं। देश में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं, यह बात किसी से छुपी नहीं है। अब तो विदेशों में इस बात की चर्चा है कि भारत में महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं।
उन्होंने कहा कि देश शर्मसार करने वाली घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। महिलाओं की समस्याओं को लेकर सरकारें कितनी संवेदनशील हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महिला को सशक्त करने के दावे के साथ अस्तित्व में आया महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में सालों से लटका है। इस अटके, लटके, भटके विधेयक की बात उठाने पर मौजूदा सरकार शर्त रख देती है कि पहले तीन तलाक विधेयक पारित कराने में सहयोग दीजिए।
आशा देवी ने कहा कि तीन तलाक विधेयक में बीजेपी की ज्यादा रुचि इसलिए है कि उसे लगता है कि इससे मुस्लिम महिलाएं खुश होंगी और आधी मुस्लिम आबाद के वोट उसके लिए पक्के हो जाएंगे।
देश में महिलाओं की स्थिति पर आशा देवी ने कहा, 'चुनावों से पहले राजनेता महिलाओं के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद महिलाएं उनकी प्राथमिकता सूची से बाहर निकाल दी जाती हैं।' उन्होंने कहा, 'महिलाएं अपना हक मांग रही हैं, लेकिन उनके साथ मजाक हो रहा है। उन्हें शर्म आनी चाहिए इस बात पर कि देश के हर कोने-कोने में बच्चियों से, जिसे हमारे देश में देवी का दर्जा दिया जाता है, दरिंदगी का शिकार हो रही हैं और महिला सुरक्षा के ठेकेदार खामोश हैं। वोट बटोरने के दौरान उन्हें हम सबसे पहले दिखाई देते हैं और वोट मिलने के बाद वह हमें और हमारी समस्याओं को अगले चुनावों के लिए टाल देते हैं, इसलिए ताकि वह एक बार फिर हमारे नाम पर वोट बटोर सकें।'
राष्ट्रीय राजधानी में 16 दिसंबर, 2012 को चलती बस में क्रूरतम गैंगरेप में जान गंवाने वाली निर्भया की मां आशा देवी कहती हैं कि महिला के मुद्दों पर जोर-शोर से बातें करने वाली राजनीतिक पार्टियां अक्सर चुनावों से पहले वोट बंटोरने के लिए महिलाओं के मान-सम्मान, सुरक्षा और सशक्तीकरण के वादे करती हैं, लेकिन वोट मिलने के बाद उन वादों को भुला देती हैं। देश में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं, यह बात किसी से छुपी नहीं है। अब तो विदेशों में इस बात की चर्चा है कि भारत में महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं।
उन्होंने कहा कि देश शर्मसार करने वाली घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। महिलाओं की समस्याओं को लेकर सरकारें कितनी संवेदनशील हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महिला को सशक्त करने के दावे के साथ अस्तित्व में आया महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में सालों से लटका है। इस अटके, लटके, भटके विधेयक की बात उठाने पर मौजूदा सरकार शर्त रख देती है कि पहले तीन तलाक विधेयक पारित कराने में सहयोग दीजिए।
आशा देवी ने कहा कि तीन तलाक विधेयक में बीजेपी की ज्यादा रुचि इसलिए है कि उसे लगता है कि इससे मुस्लिम महिलाएं खुश होंगी और आधी मुस्लिम आबाद के वोट उसके लिए पक्के हो जाएंगे।
देश में महिलाओं की स्थिति पर आशा देवी ने कहा, 'चुनावों से पहले राजनेता महिलाओं के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद महिलाएं उनकी प्राथमिकता सूची से बाहर निकाल दी जाती हैं।' उन्होंने कहा, 'महिलाएं अपना हक मांग रही हैं, लेकिन उनके साथ मजाक हो रहा है। उन्हें शर्म आनी चाहिए इस बात पर कि देश के हर कोने-कोने में बच्चियों से, जिसे हमारे देश में देवी का दर्जा दिया जाता है, दरिंदगी का शिकार हो रही हैं और महिला सुरक्षा के ठेकेदार खामोश हैं। वोट बटोरने के दौरान उन्हें हम सबसे पहले दिखाई देते हैं और वोट मिलने के बाद वह हमें और हमारी समस्याओं को अगले चुनावों के लिए टाल देते हैं, इसलिए ताकि वह एक बार फिर हमारे नाम पर वोट बटोर सकें।'
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Read more: वोट लेकर भुला दी जाती है महिलाएंः निर्भया की मां