21 जुलाई 1999 को दुश्मनों ने नरेंद्र के कैंप पर हमला बोल दिया। नरेंद्र के साथ ही उनकी बटालियन के जवानों ने मजबूती से मोर्चा संभालते हुए दुश्मनों को पीछे हटाया।
Read more: दुश्मनों पर चीते की फुर्ती से किया था हमला, पीछे नहीं हटाए कदम, हंसते हुए हो गए शहीद