नई दिल्ली
द्वारका सेक्टर-21 मेट्रो स्टेशन पर डीएमआरसी के स्टेशन मैनेजर और सीआईएसएफ के सब इंस्पेक्टर के बीच 31 मई को हुई मारपीट का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। मारपीट के बाद मेट्रो कर्मचारियों ने 2 बार मेट्रो को रोक दिया था। इससे आम लोगों को होने वाली परेशानी और मेट्रो को पहुंचे नुकसान का हवाला देते हुए एडवोकेट अभिषेक कुमार चौधरी ने जनहित याचिका दायर की है।
इसमें मामले की जांच कर जिम्मेदार मेट्रो कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की अपील की गई है। उन्होंने शनिवार को रजिस्ट्रार जनरल सतीश कौशिक के सामने केस दायर किया। केस पर डबल बेंच के सामने सुनवाई के लिए 4 जून की तारीख तय कर दी गई है। याचिका दायर करने वाले का कहना है कि मेट्रो स्टेशन पर 15 दिनों की सीसीटीवी फुटेज ही सुरक्षित रखी जाती है, ऐसे में कोर्ट उसे सुरक्षित रखवाए। मेट्रो रोकने से यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी और मेट्रो को आर्थिक नुकसान पहुंचा। इसका हर्जाना जिम्मेदार मेट्रो कर्मचारियों से लेना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
यह भी तर्क दिया गया कि मेट्रो कर्मचारियों का मामूली बात पर ऐसा रवैया बेहद आपत्तिजनक है। ऐसे तो वे अपनी मांगों को लेकर कभी भी मेट्रो स्टेशनों पर कब्जा कर उसे बंद कर देंगे। आरोप है कि घटना के दिन मेट्रो कर्मचारियों ने कई जगह बिजली भी काट दी थी। याचिका में बताया गया है कि घटना वाले दिन सुबह एसआई ने स्टाफ पार्किंग में अपनी बाइक खड़ी की थी। इस पर दोनों पक्षों में बहस हुई, फिर नौबत मारपीट तक आ गई। बाद में मेट्रो को ही रोक दिया गया।
द्वारका सेक्टर-21 मेट्रो स्टेशन पर डीएमआरसी के स्टेशन मैनेजर और सीआईएसएफ के सब इंस्पेक्टर के बीच 31 मई को हुई मारपीट का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। मारपीट के बाद मेट्रो कर्मचारियों ने 2 बार मेट्रो को रोक दिया था। इससे आम लोगों को होने वाली परेशानी और मेट्रो को पहुंचे नुकसान का हवाला देते हुए एडवोकेट अभिषेक कुमार चौधरी ने जनहित याचिका दायर की है।
इसमें मामले की जांच कर जिम्मेदार मेट्रो कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की अपील की गई है। उन्होंने शनिवार को रजिस्ट्रार जनरल सतीश कौशिक के सामने केस दायर किया। केस पर डबल बेंच के सामने सुनवाई के लिए 4 जून की तारीख तय कर दी गई है। याचिका दायर करने वाले का कहना है कि मेट्रो स्टेशन पर 15 दिनों की सीसीटीवी फुटेज ही सुरक्षित रखी जाती है, ऐसे में कोर्ट उसे सुरक्षित रखवाए। मेट्रो रोकने से यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ी और मेट्रो को आर्थिक नुकसान पहुंचा। इसका हर्जाना जिम्मेदार मेट्रो कर्मचारियों से लेना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
यह भी तर्क दिया गया कि मेट्रो कर्मचारियों का मामूली बात पर ऐसा रवैया बेहद आपत्तिजनक है। ऐसे तो वे अपनी मांगों को लेकर कभी भी मेट्रो स्टेशनों पर कब्जा कर उसे बंद कर देंगे। आरोप है कि घटना के दिन मेट्रो कर्मचारियों ने कई जगह बिजली भी काट दी थी। याचिका में बताया गया है कि घटना वाले दिन सुबह एसआई ने स्टाफ पार्किंग में अपनी बाइक खड़ी की थी। इस पर दोनों पक्षों में बहस हुई, फिर नौबत मारपीट तक आ गई। बाद में मेट्रो को ही रोक दिया गया।
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Read more: मारपीट के बाद मेट्रो रोकने का मामला पहुंचा HC