नई दिल्ली
एक लड़की के साथ रेप के मामले में निचली अदालत ने एक आरोपी को उम्रकैद जबकि दूसरे को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। रेप के बाद लड़की गर्भवती हुई और बच्चे को अनाथालय में रखा गया जिसके बाद लड़की की किसी और से शादी हो गई।
जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने यह माना कि लड़की की उम्र 16 साल से ऊपर थी और संबंध बनाने के लिए उसकी सहमति थी। ऐसे में आरोपियों को रेप मामले से बरी किया जाता है, लेकिन यह बात साबित हो गई कि लड़की इन्हीं आरोपियों द्वारा संबंध बनाए जाने के कारण गर्भवती हुई और जांच के बाद बच्चे का बायॉलजिकल पिता एक आरोपी निकला। हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को बरी कर निर्देश दिया कि वे बच्चे की 13 लाख रुपये की एफडी करवाकर दें।
मामला बवाना के शाहबाद डेयरी इलाके का है। पुलिस के मुताबिक लड़की के पिता चाय का स्टॉल चलाते थे। चार्जशीट के मुताबिक बच्ची ने बताया कि पड़ोस की कंपनी के मालिकों जीतेंद्र और सुरेंद्र (दोनों काल्पनिक नाम) ने कई महीनों तक उसके साथ रेप किया। इसी दौरान वह जब बीमार हुई तो डॉक्टर के पास ले जाया गया और पता चला कि वह वह 7-8 महीने की गर्भवती है। लड़की के बयान के आधार पर 28 जनवरी 2012 को दोनों आरोपियों के खिलाफ रेप का केस दर्ज किया गया। 23 मार्च 2012 को लड़की ने एक बेटे को जन्म दिया। बच्चे का डीएनए एक आरोपी से मेल खाया।
निचली अदालत में महिला ने बताया कि 2015 में वह किसी और से शादी कर चुकी है। बच्चे को हरियाणा के एक प्राइवेट अनाथालय में रखा गया है। निचली अदालत ने इनमें से एक आरोपी जीतेंद्र को उम्रकैद की सजा सुनाई जबकि सुरेंद्र को 10 साल कैद की सजा सुनाई और दोनों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
उम्र 16 से ऊपर थी
हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि लड़की ने रिलेशन बनाने के दौरान कोई प्रतिरोध नहीं किया और बिना किसी दबाव के उनके पास जाती रही थी। मेडिकल टेस्ट से पता चला कि घटना के वक्त लड़की की उम्र 16 साल से ऊपर थी। हाई कोर्ट ने माना कि मामले में लड़की की उम्र 16 साल से ऊपर थी और जो परिस्थितियां हैं, उससे साबित होता है कि संबंध बनाए जाने के लिए उसकी सहमति थी। चूंकि उम्र 16 साल से ऊपर है ऐसे में आरोपियों के खिलाफ रेप का केस नहीं बनता और ऐसे में दोनों आरोपियों को रेप के आरोप से बरी किया जाता है।
एक लड़की के साथ रेप के मामले में निचली अदालत ने एक आरोपी को उम्रकैद जबकि दूसरे को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। रेप के बाद लड़की गर्भवती हुई और बच्चे को अनाथालय में रखा गया जिसके बाद लड़की की किसी और से शादी हो गई।
जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने यह माना कि लड़की की उम्र 16 साल से ऊपर थी और संबंध बनाने के लिए उसकी सहमति थी। ऐसे में आरोपियों को रेप मामले से बरी किया जाता है, लेकिन यह बात साबित हो गई कि लड़की इन्हीं आरोपियों द्वारा संबंध बनाए जाने के कारण गर्भवती हुई और जांच के बाद बच्चे का बायॉलजिकल पिता एक आरोपी निकला। हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को बरी कर निर्देश दिया कि वे बच्चे की 13 लाख रुपये की एफडी करवाकर दें।
मामला बवाना के शाहबाद डेयरी इलाके का है। पुलिस के मुताबिक लड़की के पिता चाय का स्टॉल चलाते थे। चार्जशीट के मुताबिक बच्ची ने बताया कि पड़ोस की कंपनी के मालिकों जीतेंद्र और सुरेंद्र (दोनों काल्पनिक नाम) ने कई महीनों तक उसके साथ रेप किया। इसी दौरान वह जब बीमार हुई तो डॉक्टर के पास ले जाया गया और पता चला कि वह वह 7-8 महीने की गर्भवती है। लड़की के बयान के आधार पर 28 जनवरी 2012 को दोनों आरोपियों के खिलाफ रेप का केस दर्ज किया गया। 23 मार्च 2012 को लड़की ने एक बेटे को जन्म दिया। बच्चे का डीएनए एक आरोपी से मेल खाया।
निचली अदालत में महिला ने बताया कि 2015 में वह किसी और से शादी कर चुकी है। बच्चे को हरियाणा के एक प्राइवेट अनाथालय में रखा गया है। निचली अदालत ने इनमें से एक आरोपी जीतेंद्र को उम्रकैद की सजा सुनाई जबकि सुरेंद्र को 10 साल कैद की सजा सुनाई और दोनों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
उम्र 16 से ऊपर थी
हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि लड़की ने रिलेशन बनाने के दौरान कोई प्रतिरोध नहीं किया और बिना किसी दबाव के उनके पास जाती रही थी। मेडिकल टेस्ट से पता चला कि घटना के वक्त लड़की की उम्र 16 साल से ऊपर थी। हाई कोर्ट ने माना कि मामले में लड़की की उम्र 16 साल से ऊपर थी और जो परिस्थितियां हैं, उससे साबित होता है कि संबंध बनाए जाने के लिए उसकी सहमति थी। चूंकि उम्र 16 साल से ऊपर है ऐसे में आरोपियों के खिलाफ रेप का केस नहीं बनता और ऐसे में दोनों आरोपियों को रेप के आरोप से बरी किया जाता है।
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