नई दिल्ली
आप बोतलबंद पानी को सबसे स्वच्छ मानकर उसकी ऊंची कीमत चुकाते हैं। अपनी गाड़ियों में हमेशा ऑरिजिनल पार्ट्स (पुर्जे) ही डलवाते हैं, ताकि सफर में जोखिम न रहे। सोचिए, यदि वही बोतलबंद पानी पीने से डायरिया या टायफाइड होने लगे! जिस ऑरिजनल पार्ट्स के भरोसे सफर पर निकलें, वही रास्ते में धोखा दे जाएं! कोई हादसा-अनहोनी हो जाए! ब्रेक या क्लच प्लेट जैसा कोई महत्वपूर्ण पार्ट फेल हो जाए। ऐसे में कितना नुकसान हो सकता है!
दरअसल, यह महज सोच नहीं, आज की खौफनाक हकीकत है। यूं तो बाजार में बहुत कुछ नकली बिक रहा है, लेकिन यहां मोटर पार्ट्स और बोतलबंद पानी का जिक्र इसलिए किया गया है कि उनसे संबंधित टॉप कंपनियों ने दिल्ली पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाई है। कंपनियों के अनुसार, नकली माल की न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग हो रही है, बल्कि उसकी हूबहू पैकिंग और मार्केटिंग तक की जा रही है। पुलिस को दी गई शिकायत में न सिर्फ कॉपीराइट ऐक्ट का हवाला देकर नक्कालों की वजह से होने वाले नुकसान की दुहाई दी है, बल्कि नकली पार्ट्स और दूषित पानी से आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ होने से भी आगाह किया है।
इस संबंध में सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के ही अलग-अलग थानों में तीन बड़ी कंपनियों ने एफआईआर दर्ज करवाई हैं। पुलिस का कहना है कि नक्कालों के अड्डे पर दबिश दी जा रही है। कुछ लोगों को अरेस्ट भी किया है। दूसरी ओर कानून के जानकारों का कहना है कि नक्कालों पर पुलिस की कार्रवाई में औपचारिकता ज्यादा होती है। कंपनियों से शिकायत मिली तो ऐक्शन ले लिया, वरना बीट स्टाफ या लोकल थाने की मिलीभगत से नकली माल बनाने का धंधा धड़ल्ले से चलता है। इससे ज्यादा हैरानी की बात क्या होगी कि नकली पुर्जे बनाने वाले भी अपना माल दुकानों तक पहुंचाने के लिए मार्केटिंग कर रहे हैं। ऐसे केसों में पुलिस कॉपीराइट ऐक्ट के तहत केस दर्ज करती है। जब तक पुलिस इस तरह के धंधे में लिप्त रहने वालों के खिलाफ मकोका नहीं लगाएगी, तब तक उन्हें कानून का भय नहीं होगा।
बाइक चलाने वाले ज्यादा सतर्क रहें!
हाल में एक नामी बाइक कंपनी के सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि मार्केट में उनकी कंपनी के मोटर पार्ट्स और पैकिंग की नकल में ड्युप्लिकेट व घटिया पार्ट्स बिक रहे हैं, जिनकी वजह से उपभोक्ता जोखिम में हैं। इस संबंध में कंपनी की ओर से करोल बाग थाने में शिकायत दी गई है। कंपनी के अनुसार, नकली पार्ट्स बाइक के इंजन और बाकी फंक्शन को डैमेज कर सकते हैं। कस्टमर असली पार्ट्स की पैकिंग में नकली माल खरीदकर न सिर्फ ठगी का शिकार हो रहे हैं, बल्कि उनके सफर में जो जोखिम भी है।
दूसरी ओर ऑटो पार्ट्स से जुड़े कुछ व्यापारियों का कहना है कि नकली पार्ट्स धड़ल्ले से मार्केट में बिकते हैं, क्योंकि इनको बेचने से दुकानदारों को भी मोटा कमीशन (मुनाफा) मिलता है। पर ऐसा गलत काम, सभी दुकानदार नहीं करते। कुछ लालची व्यवसायी नकली पार्ट्स में डील करते हैं। पुलिस चाहे तो आसानी से नकली पार्ट्स का कारोबार करने पर कार्रवाई कर सकती है।
कंपनी के जार में दूषित पानी
नामी कंपनियों के जार (बोतल) में लोकल आरओ प्लांट से पानी भरा और उस पर कंपनी के नाम की नकली सील व स्टीकर लगा दिए। इस तरह कंपनी का जो 20 लीटर का जार मार्केट में 70 से 80 रुपये का पड़ता है, उसका ड्युप्लिकेट जार दुकानदार को 20-25 रुपये में मिल जाता है। इस तरह नकली पानी के धंधे से मोटा मुनाफा निकाला जा रहा है। ठगे जा रहे हैं वह उपभोक्ता, जो स्वच्छ जल के लिए मोटी कीमत चुकाकर बीमारियां मोल ले रहे हैं।
इस संबंध में बोतलबंद पानी बेचने वाली एक बड़ी कंपनी ने एक सप्ताह पहले करोल बाग थाने में कॉपीराइट ऐक्ट के तहत शिकायत दर्ज करवाई है। कंपनी ने कहा है कि सेंट्रल दिल्ली में उनकी कंपनी के स्टीकर लगे जार में पानी भरकर व नकली सील लगाकर मार्केट में सप्लाई किया जा रहा है। कई एरिया में यह धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। कंपनी में विश्वास रखने वाले मासूम कस्टमर्स न सिर्फ ठगे जा रहे हैं, बल्कि उनकी जान भी खतरे हैं। इस तरह का धंधा करने वाले गैर कानूनी तरीके से आरओ प्लांट चला रहे हैं। उनकी वजह से डायरिया, मलेरिया, टायफाइड जैसी बीमारियां फैलने का डर है।
पुलिस कार्रवाई कर रही है
इस बारे में पुलिस का कहना है कि मार्केट में नामी कंपनियों की पैकिंग में नकली मोटर पार्ट्स बेचे जाने की शिकायतें अलग-अलग कंपनियों से मिली हैं। छानबीन जारी है। नामी कंपनी के जार में दूषित पानी बेचने के मामले में हाल में कार्रवाई हुई है। पुलिस ने करोल बाग में एक घर में छापा मारकर 20 लीटर पानी के जार वाली बोतलों के कंपनी के नाम से बने नकली सील-स्टीकर बरामद की। तीन को अरेस्ट किया, लेकिन तीनों को जमानत पर छोड़ना पड़ा। एक आरोपी ने पुलिस को बताया कि वे कई सालों से यह धंधा कर रहे हैं। यह कार्रवाई डीआईयू की टीम ने की थी, इससे जाहिर है कि आरोपियों से लोकल पुलिस की मिलीभगत की आशंका से वरिष्ठ अधिकारियों ने डीआईयू को कार्रवाई की जिम्मेदारी दी। यह धंधा रिहायशी कॉलोनी के बीच चल रहा था। आरोपियों ने यह भी बताया कि वे कंपनी के जार कबाड़ी से 10-20 रुपए में खरीदते थे। लगभग 25 रुपये के खर्च के बाद 20 लीटर के जार को मार्केट में 70 से 80 रुपये में बेचा जाता था।
नकली-असली ऐसे पहचानें
यह सच है कि मार्केट में दोपहिया और चारपहिया वाहनों के ड्युप्लिकेट पार्ट्स बिक रहे हैं। अधिक मुनाफे के लालच में ज्यादातर दुकानदार ड्युप्लिकेट पार्ट्स बेचते हैं। अगर ब्रेक में ड्युप्लिकेट पार्ट लगेगा तो ब्रेक सिस्टम फेल होने का डर रहता है। इंजन में ड्युप्लिकेटट पार्ट की वजह से इंजन सीज हो सकता है। सोचिए, हेड लाइट का बल्ब छोटा सा पार्ट है, लेकिन घटिया क्वॉलिटी की वजह से वह रात में कहीं फ्यूज हो जाए तो सफर कितनी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए कस्टमर्स लोकल की जगह कंपनी के पार्ट्स खरीदते हैं। ऐसा नहीं है कि कंपनी के पार्ट्स खराब नहीं होते, लेकिन उनकी एक अवधि होती है, उनसे धोखे की आशंका कम रहती है। यह पहली नजर में आसान नहीं है। ड्युप्लिकेट पैकिंग करने वाले होलोग्राम तक नकली लगा देते हैं। यदि आपको किसी पैकिंग को चेक करना है तो उस पर एक बार कोड, सीरियल नंबर और बैच नंबर होता है। साथ ही हेल्पलाइन नंबर भी दिया है। हेल्पलाइन पर कॉल करके सीरियल नंबर या बैच नंबर बताकर असलियत का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा बार कोड भी चेक करवा सकते हैं। कुछ प्रॉडक्ट में जो बैच नंबर डिब्बे के नीचे होगा, वही उसके ढक्कन पर भी लिखा होगा।
आप बोतलबंद पानी को सबसे स्वच्छ मानकर उसकी ऊंची कीमत चुकाते हैं। अपनी गाड़ियों में हमेशा ऑरिजिनल पार्ट्स (पुर्जे) ही डलवाते हैं, ताकि सफर में जोखिम न रहे। सोचिए, यदि वही बोतलबंद पानी पीने से डायरिया या टायफाइड होने लगे! जिस ऑरिजनल पार्ट्स के भरोसे सफर पर निकलें, वही रास्ते में धोखा दे जाएं! कोई हादसा-अनहोनी हो जाए! ब्रेक या क्लच प्लेट जैसा कोई महत्वपूर्ण पार्ट फेल हो जाए। ऐसे में कितना नुकसान हो सकता है!
दरअसल, यह महज सोच नहीं, आज की खौफनाक हकीकत है। यूं तो बाजार में बहुत कुछ नकली बिक रहा है, लेकिन यहां मोटर पार्ट्स और बोतलबंद पानी का जिक्र इसलिए किया गया है कि उनसे संबंधित टॉप कंपनियों ने दिल्ली पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाई है। कंपनियों के अनुसार, नकली माल की न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग हो रही है, बल्कि उसकी हूबहू पैकिंग और मार्केटिंग तक की जा रही है। पुलिस को दी गई शिकायत में न सिर्फ कॉपीराइट ऐक्ट का हवाला देकर नक्कालों की वजह से होने वाले नुकसान की दुहाई दी है, बल्कि नकली पार्ट्स और दूषित पानी से आम लोगों के जीवन से खिलवाड़ होने से भी आगाह किया है।
इस संबंध में सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के ही अलग-अलग थानों में तीन बड़ी कंपनियों ने एफआईआर दर्ज करवाई हैं। पुलिस का कहना है कि नक्कालों के अड्डे पर दबिश दी जा रही है। कुछ लोगों को अरेस्ट भी किया है। दूसरी ओर कानून के जानकारों का कहना है कि नक्कालों पर पुलिस की कार्रवाई में औपचारिकता ज्यादा होती है। कंपनियों से शिकायत मिली तो ऐक्शन ले लिया, वरना बीट स्टाफ या लोकल थाने की मिलीभगत से नकली माल बनाने का धंधा धड़ल्ले से चलता है। इससे ज्यादा हैरानी की बात क्या होगी कि नकली पुर्जे बनाने वाले भी अपना माल दुकानों तक पहुंचाने के लिए मार्केटिंग कर रहे हैं। ऐसे केसों में पुलिस कॉपीराइट ऐक्ट के तहत केस दर्ज करती है। जब तक पुलिस इस तरह के धंधे में लिप्त रहने वालों के खिलाफ मकोका नहीं लगाएगी, तब तक उन्हें कानून का भय नहीं होगा।
बाइक चलाने वाले ज्यादा सतर्क रहें!
हाल में एक नामी बाइक कंपनी के सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि मार्केट में उनकी कंपनी के मोटर पार्ट्स और पैकिंग की नकल में ड्युप्लिकेट व घटिया पार्ट्स बिक रहे हैं, जिनकी वजह से उपभोक्ता जोखिम में हैं। इस संबंध में कंपनी की ओर से करोल बाग थाने में शिकायत दी गई है। कंपनी के अनुसार, नकली पार्ट्स बाइक के इंजन और बाकी फंक्शन को डैमेज कर सकते हैं। कस्टमर असली पार्ट्स की पैकिंग में नकली माल खरीदकर न सिर्फ ठगी का शिकार हो रहे हैं, बल्कि उनके सफर में जो जोखिम भी है।
दूसरी ओर ऑटो पार्ट्स से जुड़े कुछ व्यापारियों का कहना है कि नकली पार्ट्स धड़ल्ले से मार्केट में बिकते हैं, क्योंकि इनको बेचने से दुकानदारों को भी मोटा कमीशन (मुनाफा) मिलता है। पर ऐसा गलत काम, सभी दुकानदार नहीं करते। कुछ लालची व्यवसायी नकली पार्ट्स में डील करते हैं। पुलिस चाहे तो आसानी से नकली पार्ट्स का कारोबार करने पर कार्रवाई कर सकती है।
कंपनी के जार में दूषित पानी
नामी कंपनियों के जार (बोतल) में लोकल आरओ प्लांट से पानी भरा और उस पर कंपनी के नाम की नकली सील व स्टीकर लगा दिए। इस तरह कंपनी का जो 20 लीटर का जार मार्केट में 70 से 80 रुपये का पड़ता है, उसका ड्युप्लिकेट जार दुकानदार को 20-25 रुपये में मिल जाता है। इस तरह नकली पानी के धंधे से मोटा मुनाफा निकाला जा रहा है। ठगे जा रहे हैं वह उपभोक्ता, जो स्वच्छ जल के लिए मोटी कीमत चुकाकर बीमारियां मोल ले रहे हैं।
इस संबंध में बोतलबंद पानी बेचने वाली एक बड़ी कंपनी ने एक सप्ताह पहले करोल बाग थाने में कॉपीराइट ऐक्ट के तहत शिकायत दर्ज करवाई है। कंपनी ने कहा है कि सेंट्रल दिल्ली में उनकी कंपनी के स्टीकर लगे जार में पानी भरकर व नकली सील लगाकर मार्केट में सप्लाई किया जा रहा है। कई एरिया में यह धंधा धड़ल्ले से चल रहा है। कंपनी में विश्वास रखने वाले मासूम कस्टमर्स न सिर्फ ठगे जा रहे हैं, बल्कि उनकी जान भी खतरे हैं। इस तरह का धंधा करने वाले गैर कानूनी तरीके से आरओ प्लांट चला रहे हैं। उनकी वजह से डायरिया, मलेरिया, टायफाइड जैसी बीमारियां फैलने का डर है।
पुलिस कार्रवाई कर रही है
इस बारे में पुलिस का कहना है कि मार्केट में नामी कंपनियों की पैकिंग में नकली मोटर पार्ट्स बेचे जाने की शिकायतें अलग-अलग कंपनियों से मिली हैं। छानबीन जारी है। नामी कंपनी के जार में दूषित पानी बेचने के मामले में हाल में कार्रवाई हुई है। पुलिस ने करोल बाग में एक घर में छापा मारकर 20 लीटर पानी के जार वाली बोतलों के कंपनी के नाम से बने नकली सील-स्टीकर बरामद की। तीन को अरेस्ट किया, लेकिन तीनों को जमानत पर छोड़ना पड़ा। एक आरोपी ने पुलिस को बताया कि वे कई सालों से यह धंधा कर रहे हैं। यह कार्रवाई डीआईयू की टीम ने की थी, इससे जाहिर है कि आरोपियों से लोकल पुलिस की मिलीभगत की आशंका से वरिष्ठ अधिकारियों ने डीआईयू को कार्रवाई की जिम्मेदारी दी। यह धंधा रिहायशी कॉलोनी के बीच चल रहा था। आरोपियों ने यह भी बताया कि वे कंपनी के जार कबाड़ी से 10-20 रुपए में खरीदते थे। लगभग 25 रुपये के खर्च के बाद 20 लीटर के जार को मार्केट में 70 से 80 रुपये में बेचा जाता था।
नकली-असली ऐसे पहचानें
यह सच है कि मार्केट में दोपहिया और चारपहिया वाहनों के ड्युप्लिकेट पार्ट्स बिक रहे हैं। अधिक मुनाफे के लालच में ज्यादातर दुकानदार ड्युप्लिकेट पार्ट्स बेचते हैं। अगर ब्रेक में ड्युप्लिकेट पार्ट लगेगा तो ब्रेक सिस्टम फेल होने का डर रहता है। इंजन में ड्युप्लिकेटट पार्ट की वजह से इंजन सीज हो सकता है। सोचिए, हेड लाइट का बल्ब छोटा सा पार्ट है, लेकिन घटिया क्वॉलिटी की वजह से वह रात में कहीं फ्यूज हो जाए तो सफर कितनी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए कस्टमर्स लोकल की जगह कंपनी के पार्ट्स खरीदते हैं। ऐसा नहीं है कि कंपनी के पार्ट्स खराब नहीं होते, लेकिन उनकी एक अवधि होती है, उनसे धोखे की आशंका कम रहती है। यह पहली नजर में आसान नहीं है। ड्युप्लिकेट पैकिंग करने वाले होलोग्राम तक नकली लगा देते हैं। यदि आपको किसी पैकिंग को चेक करना है तो उस पर एक बार कोड, सीरियल नंबर और बैच नंबर होता है। साथ ही हेल्पलाइन नंबर भी दिया है। हेल्पलाइन पर कॉल करके सीरियल नंबर या बैच नंबर बताकर असलियत का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा बार कोड भी चेक करवा सकते हैं। कुछ प्रॉडक्ट में जो बैच नंबर डिब्बे के नीचे होगा, वही उसके ढक्कन पर भी लिखा होगा।
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