Friday, June 1, 2018

गजब बर्थडे गिफ्ट, पापा ने दी सेक्स चेंज की इजाजत

प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली
तक्ष बचपन से ही अपनी पहचान के लिए जूझ रहा था। लड़का होकर भी जब भी मौका मिलता, वह खुद को महिलाओं के कपड़ों में सजा लेता। बचपन में बातें दरकिनार होती रहीं। बड़े होते-होते सख्ती हुई। तक्ष समझ नहीं पाया कि वह क्या है। लड़का या लड़की? शरीर कुछ, मन कुछ। तक्ष के पिता समझ चुके थे कि एक पुरुष के तौर पर उनका बेटा खुश नहीं है। आखिरकार उन्होंने बेटे की ख्वाहिश पूरी कर दी। उसके जन्मदिन पर जेंडर चेंज कराने वाली सर्जरी की इजाजत दे दी।
अब तक्ष ने एक महिला के तौर पर पहचान ले ली है।

कृतिका की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। वह लड़का थी। कुछ लड़कों ने उसके यौन उत्पीड़न की कोशिश की। कृतिका टूट गई। उसने सेक्स चेंज कराने का निर्णय लिया। सर्जरी कर वह अब महिला बन चुकी है। हालांकि रास्ता इतना आसान नहीं रहा। कृतिका कहती हैं, हॉर्मोन थेरपी के बाद मेरे शरीर में बदलाव आने लगा था। इसी बीच नौकरी की तलाश शुरू कर दी। कंपनीवाले जब मेरा अतीत जानते तो दोबारा कॉल ही नहीं करते थे। पहचान पत्र और मार्कशीट पर महिला की पहचान बनानी चाही, तब भी परेशानी हुई। ऑफिस में भी भेदभाव हुआ। हालांकि मैंने जो ठाना वो ही किया।

क्या है जेंडर डायसफोरिया
फोर्टिस शालीमार बाग के प्लास्टिक ऐंड रीकंस्ट्रक्टिव सर्जन डॉक्टर ऋचि गुप्ता ने कहा कि जेंडर डायसफोरिया ऐसी स्थिति होती है, जिसमें शख्स को लगातार गलत बॉडी में होने की अनुभूति होती है। उसका दिमाग मौजूदा सेक्स में खुद को बेहतर महसूस नहीं करता। यह न्यूरोलॉजिक, अनुवांशिक और हॉर्मोनल होता है। सेक्स चेंज करने से पहले व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक जांच जरूरी होती है। दोनों केस में ऐसा किया गया।

दो साल लगते हैं सेक्स चेंज में
पहले 2 साल तक इनडॉक्रिनोलॉजिकल मूल्यांकन और हॉर्मोन थेरपी की जाती है। फिर फेमिनाइजिंग जेनिटोप्लस्टी यानी सेक्स चेंज करने वाली सर्जरी होती है। इसमें पुरुष का प्राइवेट पार्ट निकालना, उसकी जगह महिला का प्राइवेट पार्ट बनाना प्रक्रियाएं होती हैं। आवाज बदलने, बाल का ट्रांसप्लांट, राइनोप्लास्टी, लिपोसक्शन भी होते हैं ताकि पुरुष का चेहरा सर्जरी के बाद महिला जैसा दिखे।

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