नई दिल्ली
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) के शुरू होने का फायदा पहले ही दिन से नजर आने लगा है। मिली जानकारी के मुताबिक, रविवार रात को दिल्ली में 50 हजार के करीब कम भारी वाहनों की एंट्री हुई। बता दें कि दिल्ली में सामान्य तौर पर रोजाना तकरीबन 1.5 लाख बड़े ट्रक आते हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि जैसे-जैसे दिल्ली में घुसनेवाले ट्रकों की संख्या कम होगी तो प्रदूषण का लेवल भी कुछ नीचे आएगा। 2016 में एक स्टडी से सामने आया था कि दिल्ली में होने वाले कुल वायु प्रदूषण में से 30 प्रतिशत ट्रकों की वजह से होता है।
हुई थी पूरी तैयारी
दिल्ली पुलिस ने ईपीई और दिल्ली को जोड़नेवाले आठ बॉर्डर्स पर 50 से ज्यादा पुलिसवालों को तैनात किया था। उनका काम यूपी और हरियाणा की पुलिस के साथ ताल-मेल बनाकर ट्रकवालों को शहर में घुसने से रोकना था। पुलिसवालों ने बताया कि सबसे बड़ी परेशानी ओवरलोडिंग की है। ज्यादातर ट्रकवाले अपने ट्रकों में लिमिट से ज्यादा सामान लादकर चलते हैं। ऐसे में वे ईपीई को चुनने से बचेंगे क्योंकि वहां लगे सिस्टम से सही लोड पता चल जाता है। ऐसे में वे लोड से बचने के लिए ईपीई से बच रहे हैं। हालांकि, आनेवाले दिनों में व्यवस्था को और दुरुस्त बनाने की तैयारी की जाएगी।
जानें एक्सप्रेसवे की खूबियां
- 135 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे की सबसे खास बात यह है कि इसका काम 500 रेकॉर्ड दिनों में पूरा किया गया है।
- इस एक्सप्रेसवे को देश का पहला स्मार्ट एक्सप्रेसवे कहा जा रहा है।
- यह एक्सप्रेसवे गाजियाबाद, फरीदाबाद, पलवल और ग्रेटर नोएडा के बीच सिग्नल फ्री कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा।
- 11,000 करोड़ रुपये से बनने वाला यह एक्सप्रेसवे 6 लेन को है। यही नहीं यह एक्सप्रेसवे इंटेलिजेंट हाइवे ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और विडियो इन्सिडेंट डिटेक्शन सिस्टम से लैस होगा।
- इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में 10 लाख टन सीमेंट और इसकी मजबूती के लिए 200 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ।
- इस एक्सप्रेसवे पर लाइटिंग की पूरी सुविधा सोलर पैनल के जरिए दी जाएगी। यही नहीं इसका दृश्य भी बेहद सुंदर होगा क्योंकि इस एक्सप्रेसवे के किनारों पर तकरीबन 2.5 लाख पेड़ लगाए जाएंगे।
- अब तक यूपी से हरियाणा और हरियाणा से यूपी जाने वाले तकरीबन दो लाख वाहन प्रतिदिन दिल्ली से होकर सफर करते थे। इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने पर ये वाहन दिल्ली को बाईपास कर निकलेंगे, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।
- नैशनल एक्सप्रेसवे 2 कहे जाने वाले इस मार्ग पर पेट्रोल पंप, रेस्ट एरिया, होटल, रेस्तरां, दुकानों और रिपेयर सर्विसेज की सुविधा होगी।
- हर 500 मीटर की दूरी पर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की भी व्यवस्था होगी। ड्रिप इरिगेशन की तकनीक के चलते इस पानी से ही पेड़ों की सिंचाई भी होगी।
- राजधानी बाकी देश से 9 बड़े स्टेट और नैशनल हाई-वे जुड़ी है। पेरिफेरल न होने और वैकल्पिक रूट न होने की वजह से दिल्ली की सड़कों को पर लोगों को जाम का सामना करना पड़ता था। पेरिफेरल एक्सप्रेसवे बनने की वजह से दिल्ली के ट्रैफिक की वजह से होने वाले प्रदूषण में भी काफी कमी आएगी।
- स्वच्छ भारत मिशन को ध्यान में रखते हुए हर 2.5 किलोमीटर की दूरी पर टॉइलट्स बनाए गए हैं। इस पूरे मार्ग पर 6 इंटरचेंज, 4 फ्लाईओवर, 71 अंडरपास और 6 आरओबी होंगे। इसके अलावा यमुना और हिंडन पर दो बड़े पुल होंगे।
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) के शुरू होने का फायदा पहले ही दिन से नजर आने लगा है। मिली जानकारी के मुताबिक, रविवार रात को दिल्ली में 50 हजार के करीब कम भारी वाहनों की एंट्री हुई। बता दें कि दिल्ली में सामान्य तौर पर रोजाना तकरीबन 1.5 लाख बड़े ट्रक आते हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि जैसे-जैसे दिल्ली में घुसनेवाले ट्रकों की संख्या कम होगी तो प्रदूषण का लेवल भी कुछ नीचे आएगा। 2016 में एक स्टडी से सामने आया था कि दिल्ली में होने वाले कुल वायु प्रदूषण में से 30 प्रतिशत ट्रकों की वजह से होता है।
हुई थी पूरी तैयारी
दिल्ली पुलिस ने ईपीई और दिल्ली को जोड़नेवाले आठ बॉर्डर्स पर 50 से ज्यादा पुलिसवालों को तैनात किया था। उनका काम यूपी और हरियाणा की पुलिस के साथ ताल-मेल बनाकर ट्रकवालों को शहर में घुसने से रोकना था। पुलिसवालों ने बताया कि सबसे बड़ी परेशानी ओवरलोडिंग की है। ज्यादातर ट्रकवाले अपने ट्रकों में लिमिट से ज्यादा सामान लादकर चलते हैं। ऐसे में वे ईपीई को चुनने से बचेंगे क्योंकि वहां लगे सिस्टम से सही लोड पता चल जाता है। ऐसे में वे लोड से बचने के लिए ईपीई से बच रहे हैं। हालांकि, आनेवाले दिनों में व्यवस्था को और दुरुस्त बनाने की तैयारी की जाएगी।
जानें एक्सप्रेसवे की खूबियां
- 135 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे की सबसे खास बात यह है कि इसका काम 500 रेकॉर्ड दिनों में पूरा किया गया है।
- इस एक्सप्रेसवे को देश का पहला स्मार्ट एक्सप्रेसवे कहा जा रहा है।
- यह एक्सप्रेसवे गाजियाबाद, फरीदाबाद, पलवल और ग्रेटर नोएडा के बीच सिग्नल फ्री कनेक्टिविटी को मजबूत करेगा।
- 11,000 करोड़ रुपये से बनने वाला यह एक्सप्रेसवे 6 लेन को है। यही नहीं यह एक्सप्रेसवे इंटेलिजेंट हाइवे ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम और विडियो इन्सिडेंट डिटेक्शन सिस्टम से लैस होगा।
- इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में 10 लाख टन सीमेंट और इसकी मजबूती के लिए 200 टन स्टील का इस्तेमाल हुआ।
- इस एक्सप्रेसवे पर लाइटिंग की पूरी सुविधा सोलर पैनल के जरिए दी जाएगी। यही नहीं इसका दृश्य भी बेहद सुंदर होगा क्योंकि इस एक्सप्रेसवे के किनारों पर तकरीबन 2.5 लाख पेड़ लगाए जाएंगे।
- अब तक यूपी से हरियाणा और हरियाणा से यूपी जाने वाले तकरीबन दो लाख वाहन प्रतिदिन दिल्ली से होकर सफर करते थे। इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने पर ये वाहन दिल्ली को बाईपास कर निकलेंगे, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।
- नैशनल एक्सप्रेसवे 2 कहे जाने वाले इस मार्ग पर पेट्रोल पंप, रेस्ट एरिया, होटल, रेस्तरां, दुकानों और रिपेयर सर्विसेज की सुविधा होगी।
- हर 500 मीटर की दूरी पर रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की भी व्यवस्था होगी। ड्रिप इरिगेशन की तकनीक के चलते इस पानी से ही पेड़ों की सिंचाई भी होगी।
- राजधानी बाकी देश से 9 बड़े स्टेट और नैशनल हाई-वे जुड़ी है। पेरिफेरल न होने और वैकल्पिक रूट न होने की वजह से दिल्ली की सड़कों को पर लोगों को जाम का सामना करना पड़ता था। पेरिफेरल एक्सप्रेसवे बनने की वजह से दिल्ली के ट्रैफिक की वजह से होने वाले प्रदूषण में भी काफी कमी आएगी।
- स्वच्छ भारत मिशन को ध्यान में रखते हुए हर 2.5 किलोमीटर की दूरी पर टॉइलट्स बनाए गए हैं। इस पूरे मार्ग पर 6 इंटरचेंज, 4 फ्लाईओवर, 71 अंडरपास और 6 आरओबी होंगे। इसके अलावा यमुना और हिंडन पर दो बड़े पुल होंगे।
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